जुबिली न्यूज डेस्क
सात साल के मगावा चर्चा में है। चर्चा में इसलिए हैं क्योंकि उन्हें बहादुरी के लिए गोल्ड मेडल से नवाजा गया है। अब यह भी जानिए मगावा कौन है।
मगावा एक सात साल का अफ्रीकी नस्ल का चूहा है। वह अफ्रीकी जाइंट पाउच्ड चूहा है। उसकी उम्र सात साल है। शुक्रवार को ब्रिटेन की एक चैरिटी संस्था पीडीएसए ने इस चूहे को सम्मानित किया।
यह भी पढ़ें : जलवायु परिवर्तन : आंदोलन को धार देने के लिए सड़क पर उतरी ग्रेटा
यह भी पढ़ें : पवार के ट्वीट से महाराष्ट्र की सियासत में मची हलचल
पीडीएसए के महानिदेशक जैन मैकलोगलिन ने कहा, “मागावा ने उन पुरुषों, महिलाओं और बच्चों की जिंदगी बचाई है जो इन बारूदी सुरंगों से प्रभावित होते हैं।”
सात साल की उम्र पूरी करने के बाद अब मागावा अपने रिटायरमेंट के करीब है। कैलिफोर्निया के सैन डिएगो चिडिय़ा घर का कहना है कि जाइंट अफ्रीकी पाउच्ड चूहों की औसत उम्र आठ साल होती है।
दरअसल मगावा ने कंबोडिया में बारूंदी सुरंगें हटाने में मदद की थी। यह पुरस्कार जीतने वाला मगावा पहला चूहा है।
मगावा ने सूंघकर 39 बारूदी सुरंगों का पता लगाया। इसके अलावा उसने 28 दूसरे ऐसे गोला बारूद का भी पता लगाया जो फटे नहीं थे।
मागावा ने दक्षिण पूर्व एशियाई देश कंबोडिया में 15 लाख वर्ग फीट के इलाके को बारूदी सुरंगों से मुक्त बनाने में मदद की। इस जगह की तुलना आप फुटबॉल की 20 पिचों से कर सकते हैं। यह बारूदी सुरंगें 1970 और 1980 के दशक की थीं जब कंबोडियो में बर्बर गृह युद्ध छिड़ा था।
कंबोडियो के माइन एक्शन सेंटर (सीएमएसी) का कहना है कि अब भी 60 लाख वर्ग फीट का इलाका ऐसा बचा है जिसका पता लगाया जाना बाकी है।
बारूदी सुरंग हटाने के लिए काम कर रहे गैर सरकारी संगठन हालो ट्रस्ट का कहना है कि इन बारूंदी सुरंगों के कारण 1979 से अब तक 64 हजार लोग मारे जा चुके हैं जबकि 25 हजार से ज्यादा अपंग हुए हैं।
यह भी पढ़ें : कृषि बिल: विरोध में हैं सहयोगी दल पर चुप है शिवसेना
यह भी पढ़ें :वकील की फीस के लिए बेच दिए सारे गहने : अनिल अंबानी
कैसे पता लगाया चूहे ने
विस्फोटकों में रसायनिक तत्वों का पता लगाने के लिए चूहों को सिखाया जाता है। उन्हें सिखाया जाता है कि विस्फोटकों में कैसे रासायनिक तत्वों को पता लगाना है और बेकार पड़ी धातु को अनदेखा करना है।
इसका मतलब है कि वे जल्दी से बारूदी सुरंगों का पता लगा सकते है। एक बार उन्हें विस्फोटक मिल जाए, तो फिर वे अपने इंसानी साथियों को उसके बारे में सचेत करते हैं। उनकी इस ट्रेनिंग में एक साल का समय लगता है।
यह भी पढ़ें : Bihar : चुनाव आते पाला बदलने में माहिर है ये नेता
यह भी पढ़ें : तो इस वजह से दब जाती है किसानों की आवाज !
मागावा का वजन सिर्फ 1.2 किलो है और वह 70 सेंटीमीटर लंबा है। इसका मतलब है कि उसमें इतना वजन नहीं है कि वह बारूदी सुरंगों के ऊपर से गुजरे तो वे फट जाए। वह आधे घंटे में टेनिस कोर्ट के बराबर जगह की तलाशी ले सकता है। इंसानों को इतने बड़े इलाके को मेटल डिटेक्टरों के सहारे साफ करने के लिए चार दिन चाहिए।