जुबिली न्यूज डेस्क
कोरोना वायरस के कहर के चलते पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था जर्जर हो गई है। वर्तमान में पाकिस्तान की विकास दर सिर्फ 2% है। यह सरकारी आंकड़ा है। विशेषज्ञ इसे भी सही नहीं मानते। बजट घाटा 8.9% हो चुका है। यह 30 साल में सर्वाधिक है। नेस्ले और टोयाटा जैसी कंपनियां देश से कारोबार समेटने लगी हैं। एफएटीफ ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में रखा है। डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपया 170 के स्तर पर पहुंच चुका है।
गिरती अर्थव्यवस्था और बढ़ती बेरोजगारी बीच पाकिस्तान में हिंसा और बलात्कार जैसी आपराधिक घटनाएं भी बढ़ती जा रही हैं। दुनिया के सामने मानवाधिकारों की दुहाई देने वाले पाकिस्तान के हुक्मरान अपने मुल्क में लगातार बढ़ती महिला उत्पीड़न की घटनाओं को लेकर घिरते नजर आ रहे हैं। पाकिस्तान में महिलाओं के प्रति अपराधों का ग्राफ लगातार ऊपर जा रहा है।
हालात इतने खराब हैं कि महिलाओं के लिए पाकिस्तान को दुनिया का छठा खतरनाक देश माना गया है। जर्नल ऑफ इंटरनेशनल वुमन स्टडीज में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, महिलाओं के लिए खतरनाक देशों की सूची में पाकिस्तान छठे पायदान पर है।
दूसरी ओर पाकिस्तान में मौलाना इस तरह की घटनाओं के लिए को-एजुकेशन को जिम्मेदार बता रहे हैं। कुछ दिनों पहले लाहौर में एक फ्रांसीसी महिला के साथ हुई गैंगरेप की घटना के बाद पूरे पाकिस्तान में बड़ी संख्या में महिलाओं ने विरोध प्रदर्शन किया था। वहीं, पाकिस्तानी मौलाना बलात्कार की बढ़ती घटनाओं के लिए लड़के-लड़कियों के साथ में पढ़ाई को जिम्मेदार बता रहे हैं।
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के चहेते मौलाना तारिक जमील ने भी लड़के-लड़कियों के साथ में पढ़ाई को बलात्कार का असली कारण बताया है। उन्होंने कहा कि अगर आग और पेट्रोल एक साथ रहेंगे तो बलात्कार तो होते रहेंगे। कॉलेजों में लड़के-लड़कियां इकट्ठे पढ़ते हैं।
मौलाना ने कहा कि जब पेट्रोल और आग इकट्ठा होगा तो फिर आग न लगे यह कैसे होगा। को-एजुकेशन ने बेहयाई को प्रमोट किया है। इसमें कोई शक नहीं है। मैं खुद कॉलेज लाइफ गुजार के अल्लाह के रास्ते की तरफ आया। उस वक्त में और आज उसको 50 साल गुजर चुके हैं। मेरा दुख-दर्द है भाइयों बहनों अपने बच्चों की…। मौलान के इस बयान के बाद न तो इमरान खान और न ही उनके मंत्रीमंडल के किसी मंत्री की तरफ से कोई बयान उल्टा कई अन्य मौलाना विवादित बयान देने वाले तारिक जमील के समर्थन में आ गए।
ऐसे में सवाल उठता है कि आर्थिक बदहाली के दौर से गुजर रहे पाकिस्तान मौलानाओ के चुंगल से बाहर क्यों नहीं निकल पा रहा है। टेक्नॉलॉजी और इंटरनेट के दौर में जहां सभी देश विकास की बात कर रहे हैं वहीं पाकिस्तान में रहने वाले 80 फीसदी सुन्नी मुसलमान वहां रह रहे 20 फीसदी मुसलमान पर अत्याचार कर रहे हैं। शिया विरोधी रैलीयां निकाली जा रहीं हैं। सबसे चौकाने वाली बात ये है कि इन रैलियों में जो संगठन शामिल हो रहे हैं वो पाकिस्तान गृह मंत्रालय की लिस्ट में प्रतिबंधित हैं। इसके बाद भी इन्हें इतनी छूट कैसे मिल रही है?
सोशल मीडिया में कई ऐसे वीडियो वायरल हो रहे हैं, जिसमें मौलाना मंच से शिया मुसलमानों के बहिष्कार की अपील कर रहे हैं। वीडियो में धमकी भी दी जा रही है कि जो लोग शिया मुसलमानों के साथ मेलजोल रखेंगे उन्हें भुगतना होगा। पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) ने सरकार से आग्रह किया कि शियाओं के ख़िलाफ़ खुलेआम नफ़रत को बढ़ावा देने का चलन बहुत ही ख़तरनाक है और इसे रोका जाए।
Can’t sit by & stay silent while a massive rally of hate-mongering mullahs in the federal capital call for social boycott of Shias, a few days after participants of another rally was shouting “Shia Kafir” on main thoroughfares of Karachi. This should be alarming for every (1/2) pic.twitter.com/dIgReqeMXx
— Bilal Farooqi (@bilalfqi) September 18, 2020
सोशल मीडिया पर भी शिया-सुन्नी में जंग छिड़ गई। देखते ही देखते ट्वीटर पर #ShiaGenocide ट्रेंड करने लगा। इसमें एक तरफ सुन्नी समुदाय के लोग शियाओं के खिलाफ कमेंट कर रहे थे तो दूसरी ओर शिया समुदाय के लोगों ने इस्लाम और इंसानियत का हवाला देते हुए ऐसे हमले बंद करने की मांग की।
इस मामले में शिया मज़हबी रहनुमा मौलाना यासूब अब्बास का कहना है कि पाकिस्तान अब इस्लामी देश नहीं, बल्कि आतंकवादी देश बन कर रह गया है। यहां के मौलानाओं ने दीन का मजाक बनाकर रखा है। धर्म के ठेकेदार बन कर अपनी नाक ऊंची करने में लगे हैं और आम जनता में फूट डालकर लड़ाने में लगे हैं।