जबिली न्यूज डेस्क
राज्यसभा में आज कृषि से जुड़ा दो बिल कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने पेश किया। इस बिल पर सदन ही नहीं बल्कि देश के कई राज्यों में बवाल मचा हुआ है। राज्यसभा में आज टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने तंज कसते हुए पूछा कि इन बिलों का समर्थन कर रहे कितने सांसदों ने बिल पढ़ा है।
कृषि बिलों पर बोलते हुए सांसद ब्रायन ने कहा कि आपने कहा था कि किसानों की आय 2022 तक डबल हो जाएगी। पर अभी वर्तमान में जो रेट चल रहा है उसके हिसाब से किसान की आय 2028 तक डबल नहीं हो सकती। मैं भी बड़ी बातें कर सकता हूं।
PM said that Opposition is misleading the farmers. You (Centre) said double farmer income by 2022. But, at current rates, the farmer income will not be doubled before 2028. Your credibility is low to make promises: TMC MP Derek O’Brien in Rajya Sabha, on agriculture Bills pic.twitter.com/zhQxqmM9nP
— ANI (@ANI) September 20, 2020
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बिल पर पूरे देश में विरोध हो रहा है तो भ्रम तो है : संजय राउत
इस बिल के विरोध में शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा कि जब पूरा देश तालाबंदी के दौरान घर में बैठा था तो किसान खेत में काम कर रहा था। इसलिए हम आज अनाज खा रहे हैं। आप कहते हैं कि इस बिल के पास होने के बाद इनकम डबल हो जाएगी और किसान आत्महत्या नहीं करेगा और उनके बच्चे भूखे नहीं सोएंगे। यदि आप आश्वस्त करते हैं तो यह सरकार की सबसे सफलता होगी।
लेकिन इस बिल को लेकर पूरे देश में विरोध हो रहा है, मतलब इस बिल को लेकर जरूर कोई भ्रम है। क्या केंद्रीय मंत्री ने एक अफवाह की वजह से इस्तीफा दे दिया। क्या वो कान की इतने कच्चे थी। राउत ने कहा कि अभी तो शुरू नहीं किया आप खत्म करने के लिए कह रहे हैं। खेती धीरे-धीरे कॉरपोरेट के हाथ में जा रही है।
जेडीयू ने किया समर्थन
जेडीयू ने कृषि बिल का समर्थन किया है। जेडीयू सांसद राम चंद्र प्रसाद सिंह ने कहा कि पहली बार कृषि पर नीति तब आई जब अटल बिहार वाजपेयी प्रधानमंत्री थे और नीतिश कुमार कृषि मंत्री थे। दोनों बहुत अच्छे कानून है और किसानों की आय बढ़ेगी।
कांग्रेस सांसद ने सरकार को घेरा
राज्यसभा में कांग्रेस ने इस बिल का जमकर विरोध किया। कांग्रेस ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) समाप्त करने और कार्पोरेट जगत को फायदा पहुंचाने के लिए दोनों नए कृषि विधेयक लेकर आयी है। हालांकि सरकार ने इसका खंडन करते हुए कहा कि किसानों को बाजार का विकल्प और उनकी फसलों को बेहतर कीमत दिलाने के उद्देश्य से ये विधेयक लाए गए हैं।
कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य प्रताप सिंह बाजवा ने आरोप लगाया कि दोनों विधेयक किसानों की आत्मा पर चोट हैं, यह गलत तरीके से तैयार किए गए हैं तथा गलत समय पर पेश किए गए हैं। उन्होंने कहा कि अभी हर दिन कोरोना वायरस के हजारों मामले सामने आ रहे हैं और सीमा पर चीन के साथ तनाव है।
बाजवा ने आरोप लगाया कि सरकार का इरादा एमएसपी को खत्म करने का और कार्पोरेट जगत को बढ़ावा देने का है। उन्होंने सवाल किया कि क्या सरकार ने नए कदम उठाने के पहले किसान संगठनों से बातचीत की थी? उन्होंने आरोप लगाया कि दोनों विधेयक देश के संघीय ढांचे के साथ भी खिलवाड़ है। उन्होंने कहा कि जिन्हें आप फायदा देना चाहते हैं, वे इसे स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं। ऐसे में नए कानूनों की जरूरत क्या है। उन्होंने कहा कि देश के किसान अब अनपढ़ नहीं हैं और वह सरकार के कदम को समझते हैं।
बाजवा कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक 2020 तथा कृषक (सक्तिशकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक, 2020 पर सदन में एक साथ हुयी चर्चा की शुरूआत कर रहे थे।
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कृषि मंत्री ने क्या कहा?
राज्यसभा में ये कृषि बिल पेश करने के बाद कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि ये दोनों बिल ऐतिहासिक हैं और किसानों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाले हैं। इस बिल के माध्यम से किसान अपनी फसल किसी भी जगह पर मनचाही कीमत पर बेचने के लिए आजाद होगा। इन विधेयकों से किसानों को महंगी फसलें उगाने का अवसर मिलेगा।
इस बिल का समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और टीएमसी सांसद ने इसका विरोध किया। वहीं जेडीयू ने इस बिल का समर्थन किया है।