जुबिली न्यूज डेस्क
कोरोना वायरस महामारी के चलते दुनिया भर के देशों में लोगों को नौकरी से हाथ धोना पड़ रहा है। भारत हो या अमेकिरा, सिंगापुर हो या सऊदी अरब। हर जगह लोगों की नौकरियां जा रही है।
महामारी की वजह से हुई तालाबंदी ने खाड़ी देशों की हालत खराब कर दी है। सऊदी अरब को भी काफी नुकसान हुआ है। भारी संख्या में लोगों की नौकरी चली गई है। वहां भारी संख्या में भारतीय श्रमिक बेरोजगार हुए हैं।
सऊदी अरब में 450 भारतीय श्रमिक नौकरी ना होने की वजह से सड़क पर भीख मांगने को मजबूर हो गए, जिसके बाद प्रशासन ने उन्हें डिटेंशन सेंटर भेजा दिया है।
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‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक अधिकांश श्रमिकों के कार्य परमिट की अवधि समाप्त हो गई थी, जिसके चलते उन्हें भीख मांगने के लिए मजबूर होना पड़ा।
ये सभी श्रमिक तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, कश्मीर, बिहार, दिल्ली, राजस्थान, कर्नाटक, हरियाणा, पंजाब और महाराष्ट्र के है।
इन भारतीय श्रमिकों का एक वीडियो भी वायरल हुआ है, जिसमें वह कह रहे हैं कि उनका एकमात्र अपराध भीख मांगना है। सऊदी अधिकारियों ने उनके कमरे में जाकर इन लोगों की पहचान की और इसके बाद उन्हें जेद्दा के शुमासी डिटेंशन सेंटर भेजा दिया गया।
जिन श्रमिकों को डिटेंशन सेंटर भेजा गया है उनमें 39 लोग उत्तर प्रदेश से, 10 बिहार से, पांच तेलंगाना से, कर्नाटक और प्रदेश से चार-चार लोग हैं। कई मजदूर पूरी तरह टूट चुके हैं और निराशाजनक स्थिति में हैं।
शिकायत करते हुए एक मजदूर ने कहा ” हम लोगों ने कोई अपराध नहीं किया है। बुरी स्थिति होने की वजह से हम भीख मांगने को मजबूर हुए। हमारे पास कोई नौकरी नहीं है। अब हम यहां डिटेंशन सेंटर में परेशान हो रहे हैं।”
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एक अन्य ने कहा कि वे चार महीने से अधिक समय से असहनीय स्थिति में है। एक मजदूर ने कहा “हमने पाकिस्तान, बांग्लादेश, इंडोनेशिया और श्रीलंका के श्रमिकों को उनके देशों के अधिकारियों द्वारा मदद करते हुए देखा है और उन्हें उनके देशों में वापस भेज दिया है, लेकिन हम लोग अब भी यहीं फंसे हुए हैं।”
वायरल वीडियो में एक मजदूर को अपील करते हुए सुना जा सकता है कि मेरा भाई गुजर गया और मेरी माँ गंभीर है। मैं भारत वापस भेजना चाहता हूं।
अमजद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, विदेश मंत्री एस जयशंकर, नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी और सऊदी अरब में भारतीय राजदूत औसाफ सईद को पत्र लिखा है। पत्र के माध्यम से 450 भारतीय श्रमिकों की दुर्दशा को सामने लाया गया और केंद्र से श्रमिकों की मदद कर उन्हें देश वापस लाने का आग्रह किया गया है।