Friday - 25 October 2024 - 3:15 PM

हिरासत में मौतों के मामले में यूपी टॉप पर

जुबिली न्यूज़ डेस्क

लखनऊ. न्यायिक हिरासत और पुलिस हिरासत दोनों ही स्थितियों में व्यक्ति की मौत हो जाए तो वह क़ानून व्यवस्था के मुंह पर तमाचा है. केन्द्रीय गृह मंत्रालय के आंकड़ों पर नज़र डालें तो वह डरा देने वाले हैं. न्यायिक हिरासत में होने वाली मौतों में उत्तर प्रदेश देश में पहले नम्बर पर है. पहली अप्रैल 2019 से 31 मार्च 2020 तक उत्तर प्रदेश में 400 लोगों की जान गई है. पुलिस हिरासत में सबसे ज्यादा मौतें मध्य प्रदेश में हुई हैं.

मानसून सत्र के दौरान केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने लोकसभा में जो बयान साझा किया है उससे यह पता चलता है कि देश में हर दिन कम से कम पांच लोगों की मौत पुलिस या न्यायिक हिरासत में हो जाती है. वर्ष 2019-20 में देश में 1584 लोगों की मौत न्यायिक हिरासत में और 113 लोगों की मौत पुलिस हिरासत में हुई. न्यायिक हिरासत में इतनी बड़ी संख्या में लोगों का मर जाना काफी भयावाह है. लोगों का भरोसा न्यायपालिका पर सबसे ज्यादा है. न्यायपालिका की जानकारी में हिरासत में मौजूद लोगों को ज्यादा सुरक्षित होना चाहिए लेकिन दिक्कत की बात यह है कि वहीं सबसे ज्यादा मौतें हो रही हैं.

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न्यायिक हिरासत में पूरे देश में होने वाली 1584 मौतों में से सबसे ज्यादा 400 मौतें उत्तर प्रदेश में हुई हैं. न्यायिक हिरासत में होने वाली मौतों में मध्य प्रदेश में 143, पश्चिम बंगाल में 115 और बिहार में 105 मौतें हुई हैं. न्यायिक और पुलिस हिरासत की वजहें तलाशी जाएँ तो पुलिस टार्चर की कहानी सबसे ऊपर नज़र आती है. हिरासत में टार्चर के डर से भी कई लोग आत्महत्या कर लेते हैं.

सेन्ट्रल बार एसोसियेशन के महामंत्री संजीव पाण्डेय से इस सम्बन्ध में बात हुई तो उन्होंने कहा कि न्यायिक हिरासत का मतलब सिर्फ रिमांड का दौर नहीं होता. जो कैदी जेल में बंद है वह भी न्यायिक हिरासत में है.उन्होंने कहा कि न्यायिक हिरासत में स्वाभाविक मौतें भी होती हैं और अस्वाभाविक मौतें भी होती हैं.

संजीव पाण्डेय ने बताया कि जेलों में उम्रकैद की सजा काट रहे कई कैदियों की ज्यादा उम्र हो जाने, कई की बीमारी की वजह से भी मौत होती है. जेल में मुन्ना बजरंगी की हत्या हुई वह भी न्यायिक हिरासत में था. पेशी पर आये कैदी पर घात लगाकर बदमाश हमला कर उसकी हत्या कर देते हैं वह भी हिरासत में मौत होती है. जबकि पुलिस हिरासत में होने वाली मौतों की संख्या कम इसीलिये होती है कि इनकाउंटर या फिर फिर पूछताछ के दौरान हार्ट अटैक या फिर कभी-कभी किसी अन्य वजह से मौत हो जाती है.

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