जुबिली न्यूज़ डेस्क
किसानों के मुद्दे पर केन्द्र सरकार की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। कृषि बिल को लेकर राजनीति गरमाती ही जा रही है। जहां अभी तक कांग्रेस इन बिलों का विरोध कर रही थी वहीं अब राजग के सहयोगी दल भी सरकार से नाराज हैं।
बता दें कि शिरोमणि अकाली दल नेता सुखबीर सिंह बादल ने बृहस्पतिवार को लोकसभा में कहा कि पार्टी नेता और केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल संसद में लाये गये कृषि संबंधी विधेयकों के विरोध में केंद्र की मोदी सरकार से इस्तीफा देंगी।
भाजपा की सबसे पुरानी सहयोगी पार्टी है शिरोमणि अकाली दल
हरसिमरत मोदी सरकार में एकमात्र शिरोमणि अकाली दल प्रतिनिधि के तौर पर मौजूद हैं। वह केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री हैं। पंजाब में पार्टी भाजपा की सबसे पुरानी सहयोगी है।
यह भी पढ़ें : …और कांग्रेस ने PM मोदी के जन्मदिन को ऐतिहासिक बना दिया
बादल ने कहा, ‘हम राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के साथी हैं। हमने सरकार को किसानों की भावना बता दी। हमने इस विषय को हर मंच पर उठाया। हमने प्रयास किया कि किसानों की आशंकाएं दूर हों लेकिन ऐसा नहीं हो पाया।’
सुखबीर सिंह बादल ने प्रस्तावित कानून पर कहा कहा यह पंजाब की सरकारों द्वारा की गई 50 साल की मेहनत को “नष्ट” कर देगा। उन्होंने खाद्यान्न उत्पादन में भारत को आत्मनिर्भर बनाने में पंजाब के बड़े पैमाने पर योगदान को याद किया।
विधेयकों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं पंजाब के किसान
गौरतलब है कि केंद्र सरकार संसद के मौजूदा मानसून सत्र में किसानों से संबंधित कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा प्रदान करना) विधेयक, 2020, कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020 लेकर आई है। आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक मंगलवार को लोकसभा से पारित हो गया।
यह भी पढ़ें : दिवंगत कांग्रेस नेता की पत्नी का आरोप- ऑक्सीजन बंद करने से हुई पति की मौत
पंजाब में किसान इन विधेयकों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। भारतीय किसान यूनियन (लखोवाल) के महासचिव हरिंदर सिंह ने इन बिलों को ‘कोरोना वायरस से भी बदतर’ बताया है। उन्होंने कहा कि यदि इन्हें लागू किया गया तो किसान, आढ़तिये और कृषि मजदूर बुरी तरह प्रभावित होंगे।
बीजेपी ने कांग्रेस पर लगाया राजनीति करने का आरोप
कृषि क्षेत्र से जुड़े तीन बिलों पर मचे घमासान के बीच भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने कांग्रेस पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा था कि कांग्रेस राजनीतिक वजहों से बिलों का विरोध कर रही है।
वहीं पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर इसे किसान-विरोधी षड्यंत्र बताया था। उन्होंने लिखा कि, ‘किसान ही हैं जो ख़रीद खुदरा में और अपने उत्पाद की बिक्री थोक के भाव करते हैं। मोदी सरकार के तीन ‘काले’ अध्यादेश किसान-खेतिहर मज़दूर पर घातक प्रहार हैं ताकि न तो उन्हें एमएसपी व हक़ मिलें और मजबूरी में किसान अपनी ज़मीन पूंजीपतियों को बेच दें।’
उन्होंने आरोप लगाया, ‘यह मोदी जी का एक और किसान-विरोधी षड्यंत्र है।’
किसान ही हैं जो ख़रीद खुदरा में और अपने उत्पाद की बिक्री थोक के भाव करते हैं।
मोदी सरकार के तीन ‘काले’ अध्यादेश किसान-खेतिहर मज़दूर पर घातक प्रहार हैं ताकि न तो उन्हें MSP व हक़ मिलें और मजबूरी में किसान अपनी ज़मीन पूँजीपतियों को बेच दें।
मोदी जी का एक और किसान-विरोधी षड्यंत्र।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) September 14, 2020
यह भी पढ़ें : …जब शिक्षामंत्री ने लिया ग्यारहवीं क्लास में एडमिशन