जुबिली न्यूज़ डेस्क
उत्तर प्रदेश सरकार सरकारी नौकरियों में भर्ती को लेकर बड़े बदलाव करने की योजना बना रही है। इस योजना के तहत समूह ‘ख’ व ‘ग’ की भर्तियों में चयन के बाद पांच वर्ष तक संविदा कर्मचारी के तौर पर काम करना होगा। इन बीच हर छह महीने में कर्मचारी का मूल्यांकन किया जाएगा । साथ ही साल में 60 फीसदी से कम अंक पाने वालों को सेवा से बाहर कर दिया जाएगा।
इसके बाद जब पांच साल पूरे होने के बाद उन्ही कर्मचारी को नियमित सेवा में रखा जायेगा जिन्हें 60 फीसदी अंक मिलेंगे। इस दौरान कर्मचारियों को नियमित सेवकों की तरह मिलने वाले अनुमन्य सेवा संबंधी लाभ नहीं मिलेंगे।
बताया जा रहा है कि इस प्रस्ताव को जल्द कैबिनेट के समक्ष लेने के लिए कार्मिक विभाग लाने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए हर विभाग से सुझाव मांगे जा रहे हैं। सभी विभागों से सुझाव लेने के बाद इसे कैबिनेट में लाया जा सकता है।
सरकार इसके पीछे ये तर्क दे रही है कि इस व्यवस्था से कर्मचारियों की दक्षता बढ़ेगी। साथ ही नैतिकता देशभक्ति और कर्तव्यपरायणता के मूल्यों का विकास होगा। इतना ही नहीं सरकार पर वेतन का खर्च भी कम होगा।
बता दें कि मौजूदा समय में अलग-अलग भर्ती प्रक्रिया में चुने गये कर्मचारियों को एक या दो वर्ष के प्रोबेशन पर नियुक्ति दी जाती है। इस दौरान कर्मियों को नियमित कर्मी की तरह वेतन व अन्य लाभ दिए जाते हैं। एक या दो वर्षों के प्रोबेशन अवधि के दौरान वे वरिष्ठ अफसरों की निगरानी में कार्य करते हैं।
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प्रोबेशन पीरियड के बाद इन्हें नियमित किया जाता है। लेकिन जो नई प्रस्तावित व्यवस्था है उसके तहत पांच वर्ष बाद ही मौलिक नियुक्ति की जाएगी।
ख़बरों के अनुसार प्रस्तावित व्यवस्था समस्त सरकारी विभागों के समूह ख व समूह ग के कर्मचारियों पर लागू होगी। इसके अलावा मृतक आश्रित कोटे से भर्ती होने वाले कर्मचारियों पर भी लागू किया जाएगा। हालांकि इसके दायरे से केवल पीसीएस, पीपीएस और पीसीएस-जे के पद ही बाहर होंगे।