जुबिली न्यूज़ डेस्क
देश की राजधानी दिल्ली में आत्महत्या करने वालों का आंकड़ा बढ़ गया है। पिछले वर्ष 2019 की तुलना में साल 2020 में ढाई गुना ज्यादा लोगों ने आत्महत्या की है। हालांकि विभिन्न स्वास्थ्य कारणों की वजह से कुल मिलाकर आत्महत्याओं करने वालों में काफी कमी आई है। हाल ही में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा दिल्ली में होने वाली आत्महत्या से जुड़ा एक आंकड़ा जारी किया गया है।
जानकरी के अनुसार, दिल्ली में हर साल करीब 2,526 लोग आत्महत्या कर रहे हैं। इन आत्महत्या करने वालों ‘परिवार की समस्या’ एक बड़ी वजह सामने आई है। इसमें पारिवारिक समस्याएं, परिवारों में झगड़े, रिश्तेदारों के जीवन में अच्छा नहीं होने जैसे कई मामले संबंधित हैं।
फिलहाल जो डेटा जारी किया गया है। इसमें कितनी बार आत्महत्या का प्रयास हुआ, को शामिल नहीं किया गया है, लेकिन ये डेटा जरुर बताता है कि आत्महत्या का रोजाना का आंकड़ा सड़क दुर्घटना में मारे जाने वाले लोगों से ज्यादा है। जानकारी के अनुसार साल 2019 में सड़क दुर्घटना में प्रतिदन 4 लोगों की मौत हुई वहीं रोजाना की आत्महत्या की संख्या 7 है।
वहीं साल 2019 में दिल्ली में मानसिक बीमारी के चलते 47 आत्महत्याएं दर्ज की गयीं थी। जोकि अभी तक दर्ज हुईं 18 मौतों से 161% गुना ज्यादा है। दोनों वर्षों में महिलाओं की संख्या छह पर स्थिर रही, जबकि मानसिक बीमारी के कारण आत्महत्या से मरने वाले पुरुषों की संख्या 12 से 41 पहुंच गई।
इसके अलावा तुलना करने पर अन्य प्रकार की बीमारी जैसे मानसिक, गंभीर और लंबे समय तक शारीरिक बीमारी के कारण होने वाली आत्महत्याएं 218 से घटकर 130 तक तक आ गयी है। इनमें 48% तक की गिरावट दर्ज हुई है। वहीं सभी 2,526 आत्महत्याओं में से 469 (18.5%) में, एनसीआरबी मौत का कारण पता नहीं लगा सका।
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इन आत्महत्याओं के पीछे बेरोजगारी एक ऐसा कारक था जिसके कारण साल 2018 की तुलना में 2019 में 20% अधिक आत्महत्याएं हुईं। कई लोगों की नौकरी जाने की वजह से 118 लोगों की मौत हुई है, जोकि साल 2018 में 98 थी। ऐसे में बेरोजगारों की आत्महत्या की संख्या 2018 में 611 से बढ़कर 2019 में 677 हो गई।