जुबिली न्यूज़ डेस्क
लखनऊ। भ्रष्टाचार को लेकर यूपी सरकार ने जीरो टारलेंस की नीति अपनाई है। सरकार ने कोरोना किट में हुए घोटाले को लेकर जांच के आदेश दिए हैं। इतना ही नहीं घोटाले की जांच के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एसआईटी गठित की है। एसआईटी की अगुवाई अपर मुख्य सचिव राजस्व रेणुका कुमार करेंगी। जिन्हें 10 दिन में रिपोर्ट देनी होगी।
बता दें कि सुल्तानपुर, गाजीपुर सहित कई जनपदों में कोरोना किट घोटाला सामने आया है। ग्राम पंचायतों में पल्स ऑक्सीमीटर, इन्फ्रारेड थर्मामीटर बाजार मूल्य से कहीं अधिक दाम पर खरीदे गए हैं। सुल्तानपुर में हुए घोटाले की जांच के लिए लम्भुआ सीट से बीजेपी विधायक देवमणि द्विवेदी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को खत भी लिख चुके हैं।
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देवमणि द्विवेदी ने पत्र में कहा है कि उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों की अपेक्षा सुलतानपुर जिले में कोरोना किट व संबंधित सामग्री महंगी कीमत पर खरीदी गई है। इसकी शिकायत उन्होंने मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव से की थी।
प्रमुख सचिव का पत्र मिलने के तुरंत बाद जिलाधिकारी सुलतानपुर सी इंदुमती द्वारा सार्वजनिक रूप से उन्हें झूठा साबित करने की कोशिश की गई। इसके लिए त्वरित आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए कोरोना किट की खरीद को शासनादेश के अनुरूप बताया गया।
द्विवेदी ने बताया है कि मीडिया को जारी विज्ञप्ति में जिलाधिकारी ने खुद ही 24 जुलाई के शासनादेश का जिक्र किया है। इसके बावजूद कई दिन तक महंगी कीमत तक क्रय किए गए सामग्री का भुगतान किया जाता रहा। जिलाधिकारी ने भुगतान पर कोई रोक नहीं लगाई, जिससे उनकी मंशा संदिग्ध है।
महत्वपूर्ण बात यह है कि एक अगस्त 2020 को जिले के शासकीय व्हाट्सएप पर विभिन्न अफसरों ने डीएम के आदेशों का जिक्र करते हुए एडीओ पंचायत पर प्रत्येक ग्राम पंचायतों से भुगतान के लिए दबाव बनाया गया। जो डीएम की मंशा को परिलक्षित करता है। विधायक ने इसके साक्ष्य अपने पास सुरक्षित होने का हवाला भी दिया है।
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