जुबिली न्यूज़ डेस्क
केरल सरकार के खिलाफ 1973 में मठ की सपत्ति को लेकर सुप्रीमकोर्ट में लड़ाई लड़ने वाले संत केशवानंद भारती का निधन हो गया। वे 79 साल के थे। उनके निधन पर देश उन्हें संविधान को बचाने वाले शख्स के तौर पर याद रखेगा। भारती केरल के कासरगोड में एडनीर मठ के प्रमुख थे।
बताया जा रहा है कि सांस लेने की तकलीफ और हृदय में समस्या की वजह से उन्हें मैंगलुरु के एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्हें 1961 मठ का प्रमुख बनाया गया था। संत होने के साथ ही वो एक एक क्लासिकल सिंगर भी थे। उन्होंने यक्षगाना मेला में गायक और डायरेक्टर के तौर पर 15 साल तक भाग लिया। साथ ही कई साहित्यिक कार्यक्रम भी चलाया।
उनकी मौत पर कर्नाटक लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष और स्वामीजी के भक्त, श्याम भट ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि केशवा नंद ने यक्षगान को अलग पहचान दी। इसके साथ ही उन्हें वो प्रमुखता मिली, जिसके वे हकदार थे।
गौरतलब है कि संत केशवानंद भारती जब 19 साल के थे तभी उन्होंने संन्यास लिया था। इसके कुछ सालों बाद ही उनके गुरु का निधन हो गया। इसकी वजह से वे एडनीर मठ के मुखिया बन गए। एडनीर मठ का इतिहास करीब 1,200 साल पुराना माना जाता है।
यही कारण है कि केरल और कर्नाटक में इसका काफी ज्यादा सम्मान है। इस मठ का भारत की नाट्य और नृत्य परंपरा को बढ़ावा देने के भी जाना जाता है। साठ-सत्तर के दशक में कासरगोड़ में इस मठ के पास हजारों एकड़ जमीन भी थी।
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केरल हाईकोर्ट में साल 1970 में इस मठ के मुखिया होने की वजह से केशवानंद भारती ने एक दायर याचिका दायर की थी। इस याचिका में उन्होंने अनुच्छेद 26 का ये हवाला दिया कि उन्हें अपनी धार्मिक संपदा का प्रबंधन करने का मूल अधिकार दिया जाए।
उन्होंने संविधान संशोधन के जरिए संपत्ति के मूल अधिकार पर पाबंदी लगाने वाले केंद्र सरकार के 24वें, 25वें और 29वें संविधान संशोधनों को चुनौती भी थी। 68 दिनों तक चली सुनवाई के बाद वे केस हार गए। इसके बाद उन्होंने इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। जहां सुप्रीम कोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया था।