डॉ. प्रशांत राय
भारत में हर दिन कोरोना के रिकार्ड मामले दर्ज हो रहे हैं। एक ओर कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं तो दूसरी ओर सरकार ने तालाबंदी से अधिकांश प्रतिबंधों को हटा दिया है। लोग घरों से बाहर निकल रहे हैं, लेकिन लोग सतर्क नहीं दिख रहे। बाहर न तो लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे हैं और न ही मास्क पहन रहे है। ऐसे हालात में देश में आने वाले समय में कोरोना कितना भयावह रूप लेगा इसका अंदाजा लगा पाना मुश्किल है।
देश में इस समय कोरोना के हर रोज हजारों मामले दर्ज हो रहे हैें। जाहिर है जब टेस्टिंग ज्यादा होगी तो मामले ज्यादा आयेंगे ही। अब तो कोरोना के मामले गांव और छोटे कस्बे में भी खूब आ रहे हैं। वहां अब संक्रमण का तेजी से फैलाव हो रहा है। जिस तरह से कोरोना संक्रमण फैल रहा है सरकार के लिए उसे रोक पाना चुनौती बन गया है।
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अगर आईसीएमआर के डाटा को देखा जाए तो उससे अनुमान लगाया जा सकता है कि भारत में जो सिंप्टोमेटिक और एसिंप्टोमेटिक कोरोना का संक्रमण है वह हमारे आपके आम जनमानस के बहुत नजदीक पहुंच चुका है। बावजूद इसके आम जनमानस और सरकार सर्तक नहीं है। आम लोगों से लेकर सरकार ने भी सब भगवान भरोसे छोड़ दिया है।
यहां अभी ध्यान रखने वाली बात यह है जिसके पास एसिंप्टोमेटिक संक्रमण है वह भी दूसरे लोगों को संक्रमण फैलाने में उतना ही योगदान करेंगे जितना कि एक सिंप्टोमेटिक संक्रमित व्यक्ति फैलायेगा। फिर भी हम सजग नहीं हैं।
सावधानी है कोरोना से बचने का उपाय
कोविड-19 के आए आठ माह होने को हैं, बावजूद यह वैज्ञानिकों के लिए अब भी रहस्य बना हुआ है। दुनिया भर के वैज्ञानिक इसका चरित्र जानने का प्रयास कर रहे हैं, पर अब तक सफल नहीं हो पाए हैं। शायद इसीलिए हर दिन इसको लेकर कोई न कोई खुलासा होता रहता है।
डब्न्यूएचओ से लेकर दुनिया भर के वैज्ञानिक पिछले सात माह से कह रहे हैं कि कोरोना का स्थायी इलाज टीका ही है। जब तक आम जन के लिए टीका उपलब्ध नहीं हो जाता तब तक कोरोना दुनिया से नहीं जायेगा। पर कोरोना के रहस्य ने कोरोना वैक्सीन पर भी सवाल खड़ा कर दिया है।
बीते दिनों एक शोध में खुलासा हुआ कि कोरोना के बदलते स्वरूप की वजह से जरूरी नहीं है कि इस पर वैक्सीन कारगर हो।
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दरअसल इसके बदलते चरित्र की वजह से विशेषज्ञ चिंतित हैं। रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक चीन से जो वायरस फैला था उसका स्वरूप डी 614जी था। उसके बाद अब तक लगभग 83 बार इस वायरस का म्यूटेशन हो चुका है, यानी वायरस 83 से ज्यादा बार अपने स्वरूप को बदल चुका है। रिसर्च रिपोर्ट में शोधकर्ताओं ने बताया है कि अमेरिका में सबसे ज्यादा लगभग 60 बार कोरोना वायरस का म्यूटेशन हुआ तो मलेशिया में 8 बार वायरस ने अपना स्वरूप बदला है। वहीं भारत में लगभग 5 बार इस वायरस के बदलते हुए स्वरूप को देखा गया है। ऐसे में जब वैज्ञानिकों को यह लगता है कि कोरोना की वैक्सीन बन गई है तब तक ये वायरस अपना स्वरूप बदल लेता है।
अब जब वैक्सीन को लेकर भी वैज्ञानिकों ने आशंका व्यक्त की है तो सवाल उठता है कि आखिर कोरोना वायरस हमारे बीच से कैसे जायेगा। इसका एक ही जवाब है सावधानी। डॉक्टर शुरु से कह रहे हैं कि जिसका इम्यून सिस्टम मजबूत होगा उस पर कोरोना का असर ज्यादा नहीं होगा। इसलिए कोरोना से बचना है तो सावधानी के साथ-साथ अपना इम्यून सिस्टम मजबूत करें।
हम सबने अपने आस-पास देखा होगा कि अधिकांश लोगों पर covid-19 केवल ज्यादा असर नहीं किया पर वहीं कुछ लोग कोरोना की वजह से अपनी जान गवां दिए। जिन्होंने अपनी जान गवाई वे वहीं लोग थे जिनका इम्यून सिस्टम मजबूत नहीं था। उन्हें उच्च रक्तचाप, हृदय या मधुमेह की समस्या थी।
वैक्सीन का ना होना या अभी देर से आना भी एक प्रकार से कोराना के संक्रमण को बढ़ा रहा है लेकिन यह नहीं कहा जा सकता है कि वैक्सीन लगवा लेने के बाद कोरोना का संक्रमण नहीं होगा। यह सब भविष्य के गर्भ में छिपा है। इसीलिए इन सबसे अलग खुद को बदलते हुए सावधानी के साथ हमें कोरोना के साथ जीना सीखना होगा।
(डॉ. प्रशांत राय, सीनियर रिचर्सर हैं। वह देश-विदेश के कई जर्नल में नियमित लिखते हैं।)