जुबिली न्यूज डेस्क
सभी को उम्मीद थी कि इस बार संसद का सत्र हंगामेदार होगा, लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा। इसकी वजह है प्रश्न काल का ना होना।
इस बार सांसदों को प्रश्न काल के दौरान प्रश्न पूछने की इजाजत नहीं होगी। विपक्ष भी निराश है। वैसे इस बार विपक्ष के पास सरकार को घेरने के लिए कई अहम मुद्दे थे। सरकार के इस फैसले को लेकर विपक्ष के सांसद आपत्ति जता रहे हैं।
प्रश्नकाल खत्म किए जाने का टीएमसी के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने विरोध किया है। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा है, “सांसदों को संसद सत्र में सवाल पूछने के लिए 15 दिन पहले ही सवाल भेजना पड़ता था। सत्र 14 सितंबर से शुरू हो रहा है। प्रश्न काल कैंसल कर दिया गया है? विपक्ष अब सरकार से सवाल भी नहीं पूछ सकता। 1950 के बाद पहली बार ऐसा हो रहा है? वैसे तो संसद का सत्र जितने घंटे चलना चाहिए उतने ही घंटे चल रहा है, तो फिर प्रश्न काल क्यों कैंसल किया गया। कोरोना का हवाला दे कर लोकतंत्र की हत्या की जा रही है।”
MPs required to submit Qs for Question Hour in #Parliament 15 days in advance. Session starts 14 Sept. So Q Hour cancelled ? Oppn MPs lose right to Q govt. A first since 1950 ? Parliament overall working hours remain same so why cancel Q Hour?Pandemic excuse to murder democracy
— Derek O’Brien | ডেরেক ও’ব্রায়েন (@derekobrienmp) September 2, 2020
एक निजी पोर्टल के लिए लिखे अपने लेख में डेरेक ओ ब्रायन ने लिखा है- “संसद सत्र के कुल समय में 50 फीसदी समय सत्ता पक्ष का होता है और 50 फीसदी समय विपक्ष का होता है, लेकिन भाजपा इस संसद को M&S Private Limited में बदलना चाहती है। संसदीय परंपरा में वेस्टमिंस्टर मॉडल को ही सबके अच्छा मॉडल माना जाता है, उसमें कहा गया है कि संसद विपक्ष के लिए होता है।”
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सरकार के इस फैसले की आलोचना कांग्रेस के नेता शशि थरूर और मल्लिकार्जुन खडग़े ने भी सोशल मीडिया पर की है। थरूर ने दो ट्वीट के जरिए कहा है कि हमें सुरक्षित रखने के नाम पर ये सब किया जा रहा है।
उन्होंने लिखा है, “मैंने चार महीने पहले ही कहा था कि ताकतवर नेता कोरोना का सहारा लेकर लोकतंत्र और विरोध की आवाज दबाने की कोशिश करेंगे। संसद सत्र का जो नोटिफिकेशन आया है उसमें लिखा है कि प्रश्न काल नहीं होगा। हमें सुरक्षित रखने के नाम पर इसे सही नहीं ठहराया जा सकता।”
1/2 I said four months ago that strongmen leaders would use the excuse of the pandemic to stifle democracy&dissent. The notification for the delayed Parliament session blandly announces there will be no Question Hour. How can this be justified in the name of keeping us safe?
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) September 2, 2020
अपने दूसरे ट्वीट में उन्होंने लिखा है कि सरकार से सवाल पूछना, लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए ऑक्सीजन के समान होता है। ये सरकार संसद को एक नोटिस बोर्ड में तब्दील कर देना चाहती है। अपने बहुमत को वो एक रबर स्टैम्प की तरह इस्तेमाल करना चाहते हैं, ताकि जो बिल हो वो अपने हिसाब से पास करा सकें। सरकार की जवाबदेही साबित करने के लिए एक जरिया था, सरकार ने उसे भी खत्म कर दिया है।
कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के विरोध को लेफ्ट पार्टी से भी समर्थन मिला है। सीपीआई के राज्यसभा सांसद विनॉय विश्वम ने राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू को चिट्ठी लिख कर अपनी आपत्ति दर्ज कराई है।
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विश्वम ने चिट्ठी में लिखा है कि प्रश्न काल और प्राइवेट मेम्बर बिजनेस को खत्म करना बिल्कुल गलत है और इसे दोबारा से संसद की कार्यसूची में शामिल किया जाना चाहिए।
ऐसी ही एक चिट्ठी लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने भी लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को लिखी थी।
क्या है सरकार का पक्ष
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने प्रश्न काल स्थगित करने को लेकर विपक्ष के नेताओं से बात की है।
कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने सरकार की कोशिश के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि सरकार की तरफ से दलील य़े दी गई है कि प्रश्न काल के दौरान जिस भी विभाग से संबंधित प्रश्न पूछे जाएँगे, उनके संबंधित अधिकारी भी सदन में मौजूद होते हैं।
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मंत्रियों को ब्रीफिंग देने के लिए ये जरूरी होता है। इस वजह से सदन में एक समय में तय लोगों की संख्या बढ़ जाएगी, जिससे भीड़ भाड़ बढऩे का खतरा भी रहेगा। उसी को कम करने के लिए सरकार ने ये प्रावधान किया है।
संसद सत्र को लेकर किए गए कई बदलाव
कोरोना महामारी की वजह से संसद का मॉनसून सत्र इस बार देर से शुरू हो रहा है। इस कारण इस बार संसद सत्र को लेकर कई तरह के बदलाव भी किए गए हैं।
14 सितंबर से शुरू हो रहे इस सत्र में लोक सभा और राज्यसभा की कार्यवाही पहले दिन को छोड़ कर दोपहर 3 बजे से शाम 7 बजे तक होगी। पहले दिन दोनों ही सदन सुबह 9 बजे से दोपहर 1 बजे तक चलेंगे।
इसके अलावा सांसदों के बैठने की जगह में भी बदलाव किए गए हैं, ताकि कोरोना के दौर में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जा सके। इतना ही नहीं, इस बार का सत्र शनिवार और रविवार को भी चलेगा, ताकि संसद का सत्र जितने घंटे चलना ज़रूरी है, उस समयावधि को पूरा किया जा सके।
इससे पहले कई मौकों पर छुट्टी के दिन और जरूरत पडऩे पर रात के समय संसद का सत्र चला है। जीएसटी बिल भी ऐसे ही एक सत्र में रात को पास किया गया था।