जुबिली न्यूज डेस्क
कोरोना माहामारी के बीच 14 सितंबर से आयोजित होने वाल संसद के मानसून सत्र के दौरान कोई प्रश्नकाल नहीं होगा। शून्य काल और अन्य कार्यवाही अनुसूची के अनुसार आयोजित की जाएगी।
यह जानकारी राज्यसभा सचिवालय द्वारा जारी एक अधिसूचना में दी गई। संसद का मानसून सत्र 14 सितंबर से शुरू होगा और 1 अक्टूबर को समाप्त होगा।
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अधिसूचना के मुताबिक सत्र में भाग लेने वाले सांसदों के साथ-साथ अधिकारियों और कर्मचारियों को कोरोना वायरस के आवश्यक प्रोटोकॉल का पालन करना होगा, जिसमें 72 घंटों के भीतर covid-19 का टेस्ट कराना शामिल है।
शीर्ष सरकारी सूत्रों के मुताबिक संसद का मानसून सत्र दैनिक आधार पर आयोजित किया जाना है, यहां तक कि सप्ताह के अंत पर भी कोई ब्रेक नहीं है। दोनों सदनों की कार्यवाही दैनिक आधार पर आयोजित की जाएगी।
14 सितंबर को लोकसभा सुबह 9 से दोपहर 1 बजे तक जबकि राज्यसभा की कार्यवाही दोपहर 3 से 7 बजे तक आयोजित की जाएगी। 14 सितंबर के बाद, राज्यसभा सुबह 9 बजे से दोपहर 1 बजे तक बैठेगी और लोकसभा की प्रक्रिया दोपहर & बजे से 7 बजे तक निर्धारित है।
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संसद के दोनों सदनों में प्रतिदिन चार घंटे बैठना है और महामारी को देखते हुए सरकार द्वारा हर एहतियाती कदम उठाया जाएगा।
लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति ने पहले ही अधिकारियों के साथ बैठक की और स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों की मौजूदगी में निर्देश दिए कि इस मानसून सत्र में covid-19 दिशानिर्देशों का पालन कैसे किया जाना चाहिए।
क्या होता है संसद का ‘प्रश्नकाल’
लोकसभा में कार्यवाही का पहला घंटा (11 से 12 बजे) प्रश्नकाल कहलाता है जबकि राज्यसभा में कार्यवाही के पहले घंटे को शून्यकाल (ज़ीरो आवर) कहते हैं। प्रश्नकाल में सांसद विभिन्न सूचीबद्ध मुद्दों पर प्रश्न करते हैं जिसकी शुरुआत राज्यसभा में 12 बजे से होती है। वहीं, शून्यकाल में सांसद बगैर तय कार्यक्रम के महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार व्यक्त करते हैं।