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गांव वाले अब नहीं करते रातभर पानी की रखवाली

रूबी सरकार

 

सीहोर जिला मुख्यालय से मात्र 9 और मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से 50 किलोमीटर दूर सतपिपलिया गांव के लोगों को कभी रात भर जागकर पानी की रखवाली करना पड़ती थी, क्योंकि पेयजल के अभाव के चलते लोगों को सारे काम पीछे छोड़कर पहले पानी का इंतजाम करना पड़ता था। भले ही उन्हें इसके लिए चोरी क्यों न करना पड़े। हालांकि कभी इस चोरी के लिए संबंधित थाने में मामला दर्ज नहीं हुआ, हां पंचायत गांव वालों के सामने पानी चोर को दण्डित जरूर करते थे। लेकिन पानी की आपूर्ति के लिए पंचायत व्यवस्थित ढंग से कुछ नहीं कर पा रहे थे।

औरतों को 15-15 किलो का कूपा उठाते देख सबकी आंखें भर आती थी। यह सिलसिला सालों-साल चलता रहा। इस बीच पंचायत में तमाम विकास कार्य होते रहे। परंतु गांव प्यासा ही रहा। कुंआ जनवरी-फरवरी में ही सूख जाते थे और तालाब निर्माण के लिए जमीन ही नहीं बची थी।

गांव वाले पेयजल प्रस्ताव लेकर तत्कालीन लोक स्वास्थ्य यांत्रिक (पीएचई) विभाग के मुख्य कार्यपालन यंत्री के दफ्तर और मंत्रियों के यहां चक्कर काटते रहे। लोकतंत्र में लोक की तरफ से मांग उठे, इससे बेहतर और कुछ हो ही नहीं सकता। फिर भी पीएचई के अधिकारियों ने नलजल योजना की लागत की 3 फीसदी राशि जमा करने की शर्त रख दी। ऐसे समय में मुख्यमंत्री ग्रामीण पेयजल निश्चय योजना वर्ष 2016-17 में प्रारंभ की गई, जिसके तहत राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में प्रत्येक घरों को वर्ष 2019-20 तक पाईप द्वारा शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया।

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पीएचई के कार्यपालन यंत्री एमसी अहिरवार

पीएचई के कार्यपालन यंत्री एमसी अहिरवार बताते हैं कि ग्रामीणों ने ढाई लाख रुपए इकठ्ठे भी कर लिये थे, तभी मुख्यमंत्री नल-जल योजना आ गई और गांव को प्राथमिकता में लेकर योजना पर काम शुरू कर दिया गया। इसके भू-जल स्तर का एक वैज्ञानिक डेटाबेस का आकलन किया गया। इसके साथ ही पानी के स्रोत की तलाश भी की गई। गांव से लगभग 2 किलोमीटर दूर 1 हजार, 375 मीटर खोदाई करने के बाद पानी का स्रोत मिला।

विभाग ने सवा लाख लीटर की टंकी बनाई और 6 हजार मीटर पाइप लाइन बिछाकर लगभग 2200 आबादी वाले गांव के 418 घरों में, जो लगभग 6 दशकों से पानी को तरस रहे थे, उन्हें नल कनेक्शन द्वारा पानी पहुंचाया। प्रतिव्यक्ति 70 लीटर पानी प्रतिदिन पहुंचाना विभाग के लिए चुनौती का काम था, जिसे विभाग ने इस योजना के माध्यम से थोड़े अंतर में ही सही, परंतु पूरा किया। वर्तमान में हर घर में नल कनेक्शन है, जिससे उन्हें अब पेयजल के लिए भटकना नहीं पड़ता। आज अपने घर के आंगन में ही उन्हें पेयजल मिल रहा है।

पूरे जिले का सबसे सूखा क्षेत्र

सरपंच मंगलेश वर्मा

सरपंच मंगलेश वर्मा बताते हैं, कि यह पूरे जिले का सबसे सूखा क्षेत्र है। समय-समय पर गांव में 450 कुएं और करीब 150 ट्यूबवेल खोदे गए, फिर भी गांव की प्यास नहीं बूझी। जनवरी के बाद से ही दिन भर ग्रामीण खेतों के जल स्रोतों में पानी तलाशने में लगे रहते थे। इसके साथ ही वे कुंए से कीड़ायुक्त पानी को छानकर पीने को मजबूर थे। इससे लोगों के सेहत पर असर पड़ता था। लोग बीमार पड़ते थे। फिर भी आर्थिक कारणों से पूरे गांव को पानी मिले इसकी व्यवस्था नहीं हो पा रही थी। इसलिए मुख्यमंत्री पेयजल योजना प्रारंभ हुई, तो सबसे पहले इसका लाभ गांव को मिला। पानी को सहेजने की दिशा में आगे कदम बढ़ाते हुए हमने स्टॅाप डेम और 5 हजार से अधिक पौधे लगाये हैं। अब भू-जल स्तर बढ़ाने को सोख्ता गड्ढ़े खोदवा रहे हैं।

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गांव के बुजुर्ग 70 वर्षीय भोलाराम बताते हैं कि पानी के लिए ग्रामीणों ने 10 साल तक मंत्रियों नेताओं के चक्कर लगाए। किसी-किसी ने हैण्डपम्प लगवा भी दिए। लेकिन पानी का स्तर इतना नीचे जा चुका था, कि हैण्डपम्पों से पानी नहीं मिल पा रहा था। नल-जल योजना से पहले पंचायत के लगभग सभी सरपंचों ने भी पेयजल की भरपूर कोशिश की, पर स्थाई समाधान नहीं निकाल पाये। दिनभर औरतें, बच्चे, आदमी सब पानी के इंतजाम में लगे रहते थे। यहां तक, कि लोग पानी की चोरी तक करने को मजबूर थे।

नहीं करते पानी की बर्बादी

जल संरक्षण के लिए संकल्पित मनोहर सिंह बताते हैं कि अभी डेढ़ साल से प्रत्येक घरों में सुबह आधे घण्टे तक पर्याप्त पानी मिल रहा है। गांव के लोग पानी की बचत के लिए पहले से ही संकल्पित हैं। साथ ही गांव का प्रत्येक व्यक्ति समय पर जल कर देता है।

लखन लाल और पाल सिंह ने बताया, कि डेढ़ साल पहले गांव के लोग दो-तीन किलोमीटर दूर से बैलगाड़ी व साइकिल, मोटर साइकिल से पानी लाते थे। पानी की सुरक्षा के लिए रतजगा करते थे। कभी-कभी तो औरतें घर का सारा काम छोड़कर घण्टों टेंकर का इंतजार किया करती थी।

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लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के एसडीओ पीके सक्सेना ने बताया, कि ग्राम सतपिपलिया में इस योजना से पूर्व में 12 हैण्डपम्प थे, लेकिन सभी हैण्डपम्पों में जल स्तर इतना नीचे चला गया था, कि गर्मी से पहले ही सारे सूख जाते थे, जिससे ग्रामीणों को पानी के लिए त्राहि-त्राहि करना पड़ता था।

मुख्यमंत्री नल-जल योजना के तहत विभाग द्वारा पहले सर्वे करवाया गया, 3 सफल नलकूप कराये गये, जिसमें पर्याप्त पानी मिलने के बाद एक उच्च स्तरीय टंकी सम्पवेल वितरण नलिकाएं बिछाकर ग्राम के हर घर में नल के माध्यम से पेयजल की व्यवस्था की गई। साथ ही योजना के सफल संचालन के लिए ग्राम में समिति का गठन किया गया एवं खाता भी खुलवाया गया। जिसमें हर माह ग्रामीणों द्वारा जल कर की राशि जमा की जाती है।

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