जुबिली न्यूज ब्यूरो
उत्तर प्रदेश में मेडिकल सप्लाई कॉरपोरेशन में भ्रष्टाचार खत्म होने का नाम ही नहीं ले पा रहा है बल्कि भ्रष्टाचार करने के नये नये तराके अपनाये जा रहे हैं। कारपोरेशन के अधिकारियों के भ्रष्टाचार की तमाम परतें खुलने के बाद भी सरकार में बैठे बड़े अफसर उन पर अपनी मेहरबानी बनाए हुए हैं जिससे सरकार के इन अधिकारियों पर भी प्रश्नचिन्ह लग रहा है।
ताजा मामला कोरोना के मरीजों की जांच में स्वाब कलेक्शन के सैम्पल लेने में प्रयोग की जाने वाली वीटीएम वायल की कम सप्लाई को लेकर उठा है।
क्या है मामला
प्रबंध निदेशक उत्तर प्रदेश मेडिकल सप्लाई कॉरपोरेशन लखनऊ द्वारा 5000 वीटीएम वायल 50-50 के सीलबंद बॉक्स में प्रदेश के जिलों के सीएमओ को उपलब्ध कराये गये। जब सीलबंद बॉक्स खोला गया तो कुल 5000 बीटीएम में से 455 अदद वायल की संख्या कम निकली।बताया जा रहा है कि बक्सों को सील बंद करने से पहले उनमें से किसी में से 20 तो किसी में से 10 वायल कम कर दी गई थी जिससे 5000 में से वायल कम हो गयी।
पैकिंग में वायल किस तरह से कम रखी गयी नीचे फोटो देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है
इसका खुलासा तब हुआ जब मुख्य चिकित्सा अधिकारी कुशीनगर द्वारा प्रबंध निदेशक,उत्तर प्रदेश मेडिकल सप्लाई कारपोरेशन लखनऊ को 18 अगस्त को पत्र लिखा और इसकी प्रतिलिपि प्रमुख सचिव,स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, महानिदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य को भी दिया।
पत्र में साफ लिखा है कि सप्लाई कारपोरेशन से 5000 वी टी एम सील बन्द बाक्स में प्राप्त हुआ जब फीजिकल वेरिफिकेशन किया गया तो पता चला कि 30बाक्स मे 455अदद वीटीएम कम था।
इसकी निर्माता कम्पनी AVTM-3ML-2PS Global (Aakar biotechnologies pvt.Ltd. Lucknow) है।
पता यह चला कि इस पत्र को दबा लिया गया। इसके बाद कई जिलों में कमोबेश इसी तरह से वीटीएम कम निकले। बताया जा रहा है कि बदायूं जिले के सीएमओ ने भी 19अगस्त को पत्र लिख कर बताया है कि 286 वीटीएम वायल कम है। यह भी जानकारी आई है कि कई जिलों के फार्मेसिस्टों ने इस को लेकर हंगामा भी किया लेकिन कोई कुछ सुनने को तैयार नहीं है।
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बड़ा घोटाला आ सकता है सामने
50 वीटीएम वाइल की सील बंद पैकिंग थी जिसकी एमआरपी ₹ 10640 निर्धारित है लेकिन जैसा कि सूत्र बता रहे हैं कि इसकी खरीद दर काफी कम रखकर फर्म ने परचेज आर्डर लिया है। सूत्रों के अनुसार 210.00 की वायल ठेके को हासिल करने के लिये प्रति वायल कम दर दिया गया है फिर कम दर होने के कारण आर्डर हासिल करके कम संख्या में आपर्ति करके फायदा कमाने की तरकीब है, सूत्र तो इसकी क्वालिटी पर भी सवाल उठा रहे हैं । ये सप्लाई 75 जिलों में हुई है तो सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह कितना बड़ा घोटाला है ।
कार्पोरेशन के द्वारा सप्लाई किए गए मामलों में गड़बड़ियों को लेकर अक्सर जिलों के सीएमओ को पत्र लिखने की जरुरत क्यों पड़ रही है , यह एक बड़ा सवाल है । सवाल ये भी है कि लगातार हो रहे खुलासों के बाद भी ,आखिर सरकार क्यों नहीं कार्पोरेशन के भ्रष्टाचार को खत्म कर पा रही है।
ऐसे मामलों में कार्पोरेशन के अधिकारयों द्वारा कोई सुनवाई नहीं करना उनकी संलिप्तता को साफ दिखा रहा है। जिस समय कोरोना वायरस की मार का बहाना दिखा कर सारा फण्ड चिकित्सा सुविधा पर व्यय हो रहा है तो कार्पोरेशन की करोड़ों की लूट पर सरकार का मौन रहना हर आदमी को परेशान कर रहा है जो यह अच्छा संकेत नहीं कहा जायेगा। कारपोरेशन में कुण्डली मारे बैठे अधिकारियों पर सरकार क्या कारवाई करती है,देखने वाली बात होगी।
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