जुबिली न्यूज डेस्क
दुनिया के कई देशों में कोरोना वैक्सीन के टीके का अंतिम चरण का ट्रायल चल रहा है। चीन में भी कई वैक्सीन तीसरे चरण के परीक्षण के दौर में पहुंच चुके हैं। इस चरण में हजारोंं लोगों को वैक्सीन देकर इसके सुरक्षित और प्रभावी होने का परीक्षण किया जाएगा। लेकिन इसके इतर ट्रायल के साथ-साथ चीन की सरकार कुछ चुनिंदा क्षेत्रों में काम करने वालों को जुलाई से कोरोना वैक्सीन दे रहा है जिस पर अभी पूरी तरह से मुहर नहीं लगी है।
ये भी पढ़े: तो क्या राष्ट्रपति ट्रंप झूठे और धोखेबाज हैं?
यह भी पढ़ें : डंके की चोट पर : अज़ादारी पर बंदिश भक्त की नहीं हनुमान की बेइज्ज़ती है
यह भी पढ़ें : प्रशांत भूषण मामले से कांग्रेस ने क्यों दूरी बना रखी है ?
चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग के विज्ञान और तकनीक केंद्र के प्रमुख चेंग चोंगेई ने सरकारी मीडिया संस्था सीसीटीवी से बातचीत में कहा कि सरकार ने सार्स-कोविड-2 (यानी कोविड-19) की वैक्सीन स्वास्थ्य कर्मियों और सीमा पर तैनात अधिकारियों को ‘आपातकालीन इस्तेमालÓ के तौर पर देने की अनुमति दी थी।
उन्होंने कहा कि सीमा पर काम करने वालों के बारे में माना जाता है कि उन्हें जोखिम ज़्यादा है।
चेंग चोंगेई कोरोना वैक्सीन विकसित करने वाली टास्क-फोर्स का नेतृत्व कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सात दिनों से चीन में कोई भी स्थानीय संक्रमण का नया मामला सामने नहीं आया है।
चीन में क्लीनिकल ट्रायल के बाहर वैक्सीन इस्तेमाल करने का यह पहला ऐसा मामला है जिसकी पुष्टि हुई है। हालांकि इस बात की अभी पूरी जानकारी नहीं है कि इन लोगों को कौनसी वैक्सीन दी गई और कितने लोगों को दी गई, मगर चेंग का कहना है कि यह पूरी तरह क़ानून का पालन करते हुए किया गया जिसके तहत गंभीर स्वास्थ्य संकट को देखते हुए गैर-प्रमाणित वैक्सीन के सीमित उपयोग की अनुमति होती है।
ये भी पढ़े: सरकार के जॉब पोर्टल पर कितने लोगों ने कराया रजिस्ट्रेशन और कितनों को मिली नौकरी
ये भी पढ़े: चेतन मामले में संजय सिंह दर्ज कराएंगे FIR
ये भी पढ़े: जानिये कौन होगा कांग्रेस का नया अध्यक्ष
बीबीसी के मुताबिक चेंग ने सीसीटीवी से कहा,”हमने एक पूरी योजना की श्रृंखला तैयार की है जिसमें मेडिकल सहमति-पत्र, साइड इफेक्ट मॉनिटरिंग प्लान, बचाव की योजना और मुआवजेे को लेकर योजना शामिल है ताकि यह निश्चित किया जा सके कि यह आपातकालीन इस्तेमाल पूरी तरह से व्यवस्थित और निगरानी के दायरे में है।”
चेंग ने बताया कि पतझड़ और सर्दियों से पहले इसे दूसरे समूहों पर टेस्ट करने की भी योजना बनाई गई है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक दुनिया भर में कोरोना के 170 संभावित वैक्सीनों पर काम चल रहा है।
जून में चीनी सरकार ने सरकारी कंपनियों में काम करने वालों को दो वैक्सीन के परीक्षण के लिए वॉलिंटियर बनने को कहा था। ये वो कर्मचारी हैं जिन्हें हमेशा दूसरे देशों की यात्राएं करनी पड़ती हैं।
सरकारी कंपनी चाइना नेशनल बायोटेक ग्रुप को अपने वैक्सीन के इंसानों पर परीक्षण के लिए संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन, पेरू, मोरक्को और अर्जेंटीना में इजाजत मिल गई है। कंपनी ने बताया है कि बीस हजार लोग बाहर के इन देशों में परीक्षण में हिस्सा ले रहे हैं।
चीन की दूसरी कंपनियां सीनोवैक और कैनसीनो बायोलॉजिक्स भी रूस, इंडोनेशिया और ब्राजील में परीक्षण कर रही हैं।