Friday - 25 October 2024 - 7:25 PM

अब किसका निजीकरण करने की तैयारी में है मोदी सरकार

जुबिली न्यूज डेस्क

साल 2014 में सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार का सबसे ज्यादा जोर निजीकरण पर रहा है। इन छह सालों में मोदी सरकार ने देश की कई बड़ी-बड़ी सरकारी संस्थाओं को निजी हाथों में सौंप दिया। हालांकि इसका एक तबके ने जोरदार विरोध भी किया, बावजूद मोदी सरकार निजीकरण करने से पीछे नहीं हट रही है।

मोदी सरकार जहां बैंकिंग सेक्टर में बड़े पैमाने पर निजीकरण की ओर बढ़ रही है तो वहीं रेलवे में भी इसकी शुरुआत हो चुकी है। कई स्टेशनों को निजी हाथों में सौंपने के बाद अब मोदी सरकार की प्लानिंग भारतीय रेलवे के आईआरसीटीसी का निजीकरण (IRCTC disinvestment) करने की है।

 

जानकारों के मुताबिक इसके लिए केंद्र सरकार ऑफर ऑफ सेल्स यानी ओएफएस का सहारा से सकती है। ऑफर ऑफ सेल्स के तहत एक मौजूदा कंपनी अपने शेयर्स को एक्सचेंज प्लेटफॉर्म के जरिए ही बेच सकती है। ऑफर ऑफ सेल्स में कम से कम 25 फीसदी शेयर म्यूचुअल फंड और इंश्योरेंस कंपनियों जैसे इंस्टीट्यूशनल निवेशकों के लिए सुरक्षित रहते हैं।

बिजनेस चैनल सीएनबीसी आवाज की रिपोर्ट के मुताबिक निजीकरण के विभाग ने मर्चेंट बैंकर्स और सेलिंग बैंकर्स की नियुक्ति के लिए बोलियां भी मंगाई हैं, ताकि एक डील हो सके। रिपोर्ट के अनुसार 3 सितंबर को बोली लगाने से पहले की एक मीटिंग हो सकती है और 11 सितंबर से बोली लगाने की प्रक्रिया शुरू हो सकती है।

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फिलहाल सरकार ने निजीकरण के एजेंडे में अभी आईआरसीटीसी सबसे ऊपर है। बता दें कि सरकार करीब दर्ज भर पब्लिक सेक्टर यूनिट का निजीकरण करने की तैयारी में है, जिनमें कम से कम 4 बड़े सरकारी बैंक भी शामिल हैं। आईआरसीटीसी पर पूरी तरह से भारतीय रेलवे का अधिकार है, जिसके पास ट्रेनों में टूरिज्म, कैटरिंग, ऑनलाइन टिकट बुकिंग और पीना का पैक्ड पानी बेचने के एक्सक्लूसिव राइट्स हैं।

मालूम हो कि अक्टूबर 2019 में आईआरसीटीसी ने अपना आईपीओ लॉन्च किया था। रिटेल निवेशकों और कर्मचारियों के लिए ये शेयर 10 रुपये के डिस्काउंट पर 310 रुपये में ऑफर किए गए थे, जबकि बाकी निवेशकों को ये शेयर 320 रुपये के पड़े थे। आईपीओ के जरिए सरकार ने करीब 645 करोड़ रुपये जमा किए थे और 12.6 फीसदी की हिस्सेदारी बेची थी।

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इससे पहले केंद्र सरकार ने 151 ट्रेनों के जरिए 109 रूट्स पर निजी कंपनियों को यात्री ट्रेनें चलाने की इजाजत दी थी। इसके जरिए सरकार को करीब 30 हजार करोड़ रुपयों का निवेश मिलने की उम्मीद थी और साथ ही मेक इन इंडिया के तहत घरेलू मैन्युफैक्चरिंग भी बढऩे की उम्मीद थी।

बता दें कि कुल रेल नेटवर्क का सिर्फ 5 फीसदी ही प्राइवेट ट्रेनें होंगी। ये ट्रेनें 12 क्लस्टर में चलेंगी, जिनमें बेंगलुरु, चंडीगढ़, जयपुर, दिल्ली, मुंबई, पटना, प्रयागराज, सिकंदराबाद, हावड़ा और चेन्नई भी शामिल हैं।

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