जुबिली न्यूज डेस्क
कोरोना वायरस ने भारत की स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोलकर रख दिया। दरअसल स्वास्थ्य का मुद्दा सरकार की प्राथमिकता में कभी सर्वोपरि रहा ही नहीं है। इसलिए लचर स्वास्थ्य व्यवस्था ने कोरोना काल में मरीजों की समस्याओं में और इजाफा कर दिया।
भारत कोरोना से कब मुक्त होगा यह तो आने वाला समय बतायेगा लेकिन इस कहर के बीच अब एक गंभीर बीमारी भारतीयों की जिंदगी लीलने के लिए तैयार होगा।
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कोरोना से जूझ रहे देश के लिए एक और बुरी खबर है। ऐसा अनुमान जताया गया है कि भारत में अगले पांच सालों में कैंसर के केस 12 फीसदी तक बढ़ जाएंगे।
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और राष्ट्रीय रोग सूचना विज्ञान एवं अनुसंधान केंद्र ने कहा है कि इस साल भारत में कैंसर के मामले 13.9 लाख रहने का अनुमान है, जो 2025 तक 15.7 लाख तक पहुंच सकते हैं।
आईसीएमआर ने कहा कि राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम रिपोर्ट, 2020 में दिया गया यह अनुमान 28 जनसंख्या आधारित कैंसर रजिस्ट्री से मिली सूचना पर आधारित है। इसने कहा कि इसके अलावा 58 अस्पताल आधारित कैंसर रजिस्ट्री ने भी आंकड़ा दिया।
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आईसीएमआर के बयान के मुताबिक तंबाकू जनित कैंसर के मामले 3.7 लाख रहने का अनुमान है, जो 2020 के कैंसर के कुल मामले का 27.1 फीसद हेागा। इसमें यह भी कहा गया है कि पूर्वोत्तर इलाकों में इस कैंसर का ज्यादा प्रभाव दिखेगा।
बयान में कहा गया है, ‘महिलाओं में छाती के कैंसर के मामले दो लाख (यानी 14.8 फीसद), गर्भाशय के कैंसर के 0.75 लाख (यानी 5.4 फीसद), महिलाओं और पुरूषों में आंत के कैंसर के 2.7 लाख मामले (यानी 19.7 फीसद) रहने का अनुमान है।
मालूम हो कि एक ओर जहां पुरुषों में, फेफड़े, मुंह, पेट और अन्नप्रणाली के कैंसर सबसे आम होते हैं, वहीं दूसरी ओर महिलाओं के लिए स्तन और गर्भाशय के कैंसर सबसे आम हैं।