जुबिली स्पेशल डेस्क
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में कोरोना लगातार खतरनाक हो रहा है। आलम तो यह है कि पिछले 24 घंटों में प्रदेश के अंदर कोरोना संक्रमण के 4336 नए मामले सामने आए हैं। कोरोना जहां आम आदमी को अपना शिकार बना रहा है तो दूसरी ओर योगी सरकार के कई मंत्री इसकी चपेट में आ रहे हैं।
इस कड़ी में नया नाम जुड़ गया है यूपी के राज्य मंत्री अतुल गर्ग का नाम भी जुड़ गया है। दरअसल चिकित्सा एवं स्वास्थ्य राज्यमंत्री अतुल गर्ग की रिपोर्ट कोरोना वायरस पॉजिटिव आई है। रिपोर्ट आने के बाद उन्हें होम आइसोलेट किया गया है। गौरतलब हो कि इससे पूर्व कमल रानी वरुण और चेतन चौहान समेत दो मंत्रियों की कोरोना के चलते अपनी जान गवानी पड़ी है।
उधर स्वास्थ्य राज्यमंत्री अतुल गर्ग कैसे कोरोना की चपेट में आए, इसको लेकर कयासों का दौर जारी है। सूत्रों की मानें तो बदायूं जनपद में एक मीटिंग के बाद से वहां पर कोरोना फैला है।
कहा तो यह भी जा रहा है कि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य राज्य मंत्री अतुल गर्ग में सीएमओ बदायूं के सम्पर्क से कोरोना का संक्रमण हुआ है। हालांकि इसको लेकर अभी कोई ठोस जानकारी नहीं है।
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सीएमओ बीमार हो कर भी मीटिंग में हुए शामिल
जानकारी के अनुसार 13 अगस्त को मंत्री ने बदायूं जिले में कोविड-19 के कन्ट्रोल रूम का निरीक्षण किया था। इस दौरान मंत्री ने अधिकारियों के साथ बैठक भी की थी। इस बैठक में पीएचसी इस्लामनगर को नियम विरुद्ध 10 किलोमीटर दूर नयी सीएचसी रुदायन स्थानांतरित करने को लेकर हंगामा भी हुआ था।
सूत्रों की माने तो बदायूं के स्वास्थ विभाग के कई आला अफसरों की तबीयत पहले से ही खराब चल रही थी। इतना ही नहीं जानकारी यहां तक मिल रही है कि फर्जी नाम और पते के सहारे कोरोना टेस्ट कराया गया है। इस वजह से ये पता नहीं चल पा रहा है कि किन-किन लोगों को कोरोना हुआ हुआ था।
उधर बंदायू में इस बात को लेकर चर्चा हो रही है कि सीएमओ डॉक्टर यशपाल सिंह की तबीयत पहले से खराब थी। इसके आलावा डीपीएम कमलेश शर्मा और डॉ. कौशल गुप्ता में कोरोना संक्रमण के लक्षण थे लेकिन इसके बावजूद ये लोग उनके सहयोगी मंत्री की मीटिंग में गए और बाद में चिकित्सा स्वास्थ्य राज्यमंत्री डॉ. अतुल गर्ग भी पॉजिटिव पाए गए।
अगले ही दिन सीएमओ बदायूं सहित कई अधिकारियों ने भी तबीयत ठीक न होने पर जांच अपनी कराई उसमें सीएमओ बदायूं डॉक्टर यशपाल सिंह, डीपीएम कमलेश शर्मा, डॉक्टर शब्बू खान सहित कई लोग पॉजिटिव पाए गए हैं।
सीएमओ की उम्र को लेकर है विवाद
जांच रिपोर्ट में डॉक्टर यशपाल सिंह सीएमओ की उम्र 56 वर्ष अंकित है उस पर भी सवाल उठ रहा है कि वह सही नहीं है। सूत्रों के अनुसार सीएमओ की उम्र 60वर्ष के आसपास है। अगर यह सही है तो डा. यशपाल ने अपनी उम्र गलत क्यों लिखाया और फिर 60 साल का हवाला देकर होम क्वारंटाइन का फायदा लेने की बात सामने आई है।
यह भी बताया जा रहा है कि डॉ. कौशल गुप्ता एपीडेमियोलाजिस्ट भी पॉजिटिव है, जिन्हें ब्लड शुगर की बीमारी होने के कारण उन्हें मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया।
लेकिन सूत्र बता रहे हैं कि बिना बताए वह घर आ गए थे, होम क्वारंटाइन होने के लिए लेकिन जानकारी होने पर मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य ने उनको घर से वापस बुलाकर पुन: भर्ती कराया।
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सूत्रों के अनुसार डॉ. यशपाल सिंह हाई ब्लड प्रेशर के मरीज हैं और उन्हें क्वारंटाइन सेंटर में होना चाहिए था। लेकिन शासन द्वारा निर्धारित मानकों में शिथिलता बरतते हुए इन्हें होम क्वारंटाइन किया गया है। जबकि ब्लड प्रेशर और शुगर वाले मरीजों को खतरा ज्यादा होता है, इसलिये उन्हें होम क्वरंटाइन नहीं किया जाता है।
आपको बता दें कि क्वारंटाइन मुद्दे पर जनपद के दर्जनों लोग होम क्वारंटाइन का आग्रह कर चुके हैं किन्तु सीएमओ ने जिलाधिकारी के आदेशों को दरकिनार कर सदैव अपनी मनमानी की है और लोगों को मजबूरी में L-1 अथवा L-2 में ही भर्ती होना पड़ा है।
अभी कुछ दिन पहले ही जिला अस्पताल में तैनात एक फार्मासिस्ट शिवम रस्तोगी ने तो सरकारी गाइडलाइन के अनुसार अपने खर्चे पर होटल में क्वारंटाइन करने का आग्रह किया था और एक वीडियो भी जारी किया था लेकिन सीएमओ ने उनकी एक नहीं सुनी।
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इस मुद्दे पर डिप्लोमा फार्मासिस्ट एसोसिएशन ने विरोध भी जताया था। फिर भी सीएमओ ने अपनी हठधर्मिता नहीं छोड़ी और कोरोना वार्ड में ड्यूटी करने वाले फार्मासिस्ट शिवम रस्तोगी को जिला अस्पताल में ही क्वारंटाइन होना पड़ा था।
उल्लेखनीय है की मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. यशपाल सिंह की कार्यप्रणाली से बदायूं के स्वास्थ्य विभाग की स्थिति काफी खराब हो चुकी है। तमाम घटनाओं के बाद भी जिला प्रशासन और शासन मौन बना है। स्वास्थ्य राज्य मंत्री के पाजिटिव होने के पीछे सीएमओ की लापरवाही की संम्भावना साफ देखी जा सकती है।