कृष्णमोहन झा
इस बार हम अपनी आजादी का पर्व एक ऐसे प्रकोप से भयावह विपदा के साए में मना रहे हैं जिसके कारण सारी दुनिया मे हाहाकार मचा हुआ है। सारी दुनिया उस दिन का बेताबी से इंतजार कर रही है जब कोरोना वायरस के प्रकोप से मुक्त होकर खुली हवा में सांस लेना संभव हो सकेगा।
हमारे लिए कोरोना का प्रकोप अब पहले से अधिक चिंता का विषय बन गया है। कोरोना के संक्रमण की जब हमारे देश में शुरुआत हुई थी तब से अब तक लगभग 6 माह बीत चुके हैं और इस अवधि में कोरोना से संक्रमित होने वाले लोगों की संख्या लगभग 24 लाख हो चुकी है।
इस मामले में हम दुनिया के देशों में तीसरे क्रम पर हैं कोरोना ने इन 6 माहों में लगभग 45 हजार लोगों को मौत की नींद सुला दिया है। कोरोना ने लाखों लोगों को विपन्नता की स्थिति में पहुंचा दिया है। उद्योग धंधों में काम की रफ्तार भी अपने पूर्व स्तर तक नहीं पहुंच पाई है। प्रायमरी स्कूल से लेकर कालेज तक पढाई को कोरोना ने चौपट कर दिया है। कोरोना ने समाज के हर तबके को किसी न किसी रूप में प्रभावित किया है।
जब तक कोरोना की वैक्सीन नहीं आ जाती तब तक इस स्थिति में सुधार की कल्पना भी मुश्किल प्रतीत होती है। दुनिया के कई देश यह दावा कर रहे हैं कि उनके वैज्ञानिक कोरोना की वैक्सीन तैयार करने की दिशा में सफलता के बिंदु तक पहुच चुके हैं। रूस ने तो यह घोषणा भी की है कि उसने कोरोना की वैक्सीन तैयार कर ली है। हमारे देश में भी कोरोना वैक्सीन का परीक्षण प्रारंभ हो चुका है और अगले दो तीन महीनों में इसका उत्पादन प्रारंभ हो सकता है।
निश्चित रूप से इस भयावट संकट में उम्मीद की किरण भी दिखाई दे रही है। आपदा को अवसर में बदलने के प्रयास भी युद्ध स्तर पर किए ज रहे हैं।
आज जब हम कोरोना की भयावह विपदा के साए में अपनी आजादी की 73 वीं वर्षगांठ मना रहे हैं तब हम बहुत सी बंदिशों का सामना करने के लिए विवश हैं और इसमें संदेह की कोई गुंजायश भी नहीं है कि हमारे देश में कोरोना की भयावह रफ्तार को देखते हुए इन अनिवार्य बंदिशों पर कोई भी सवाल उठाना उचित नहीं होगा, बल्कि असली सवाल तो यह यह है कि इन अपरिहार्य बंदिशों का ईमानदारी से पालन करने में हम जो लापरवाही बरतते रहे हैं कहीं वह लापरवाही भी तो देश में कोरोना संक्रमण की रफ्तार बढाने के लिए जिम्मेदार नहीं है ?
लाकडाउन में मिली छूटों का बेजा उपयोग करने के उदाहरणों की कोई कमी नहीं है। अनलाक की प्रक्रिया प्रारंभ होने के बाद तो ऐसे दृश्य जहां तहां देखे जा सकते हैं। इसलिए इस बार का स्वतंत्रता दिवस हमारे लिए जिम्मेदारी के निर्वहन का संदेश भी लेकर आया है। स्वतंत्रता दिवस पर होने वाले सार्वजनिक समारोह अत्यंत सीमित स्वरूप में मनाए जाने की अनुमति दी गई है।
नई दिल्ली स्थित लाल किले में होने वाला ध्वजारोहण समारोह पर पहले जैसी भीडभाड इस स्वतंत्रता दिवस पर नदारद रहेगी। यही स्थिति हर जगह देखने को मिलेगी। नई दिल्ली में सरकार भले ही किसी भी दल की रही हो परंतु स्वतंत्रता दिवस पर ऐतिहासिक लाल किले से अपने संबोधनों में सभी प्रधानमंत्रियों ने एकाधिक विशिष्ट घोषणाएं करने की परंपरा का निर्वहन किया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने अभी तक के कार्यकाल में स्वतंत्रता दिवस पर लालकिले से दिए गए सभी संबोधनों में महत्वपूर्ण घोषणाएं की हैं। इन घोषणाओं को मोदी सरकार की दृढ इच्छा शक्ति और गरीब तथा कमजोर तबके के आर्थिक सामाजिक उन्नयन के प्रति सरकार की समर्पण भावना का परिचायक माना जा सकता है। तो लाल किले की प्राचीर से देश के प्रधानमंत्री द्वारा स्वतंत्रतादिवस के अवसर पर दिए जाने वाले संबोधन की सारे देश में अधीरता से प्रतीक्षा की जाती है परंतु इस बार यह विशेष उत्सुकता का विषय बन गया है।
स्वतंत्रता दिवस के पुनीत अवसर पर राष्ट्र के नाम मोदी का यह सातवां संबोधन होगा जब लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री मोदी अपने दूसरे कार्यकाल में कल दूसरी बार राष्ट्र को संबोधित कर रहे होंगे। विगत एक वर्ष में राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय जगत मे अनेक महत्वपूर्ण प्रसंग उपस्थित हुए हैं। इस साल अप्रैल मई में चीन के साथ सीमारेखा पर हिंसक झडप को लेकर विपक्ष ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा था। यद्यपि सरकार ने स्पष्ट कर दिया था कि चीन ने हमारी सीमा में कोई घुसपैठ नहीं की है परंतु विपक्ष और विशेषकर कांग्रेस पार्टी अभी इसे एक मुद्दा बनाने की कोशिश मे में लगी हुई है। भारत का परंपरागत मित्र राष्ट्र नेपाल भी सीमा पर शरारतों से बाज नहीं आ रहा है।
इन सबके बीच मोदी सरकार की अनेक विशिष्ट उपलब्धियां भी हैं जिन्हें देश के इतिहास में स्वर्णिम युग की शुरुआत के रूपमें देखा जा सकता है। हाल में ही फ्रांस से लडाकू राफेल विमानों की पहली खेप भारत आई है। सदियों पुराने अयोध्या विवाद का सुप्रीमकोर्ट के सर्व स्वीकार्य फैसले के माध्यम से शांतिपूर्ण समाधान होने के बाद विगत दिनो भगवान राम के भव्य मंदिर निर्माण हेतु प्रधानमंत्री के हाथों भूमिपूजन संपन्न हो चुका है। इसे मोदी सरकार सबसे चमकदार उपलब्धि कहना गलत नहीं होगा।
लालकिले की प्राचीर से देशवासियों को संबोधित करने के लिए प्रधानमंत्री के पास अपनी सरकार की जो विशिष्ट उपलब्धियां हैं वे देशवासियों के मनमस्तिष्क पर गहरी छाप छोडने में समर्थ सिद्ध होंगी इसमें संदेह की रंच मात्र भी गुंजायश नहीं है परंतु कोरोना की त्रासदी पर विजय पाने के लिए सरकार की विशिष्ट योजना के बारे में में जनता की विशेष उत्सुकता से इंकार नहीं किया जा सकता।