जुबिली न्यूज डेस्क
झारखंड के दसवीं पास शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने सबको चौका दिया है। अपनी पढ़ाई को लेकर सोशल मीडिया और विपक्ष के निशाने पर रहने वाले महतो ने इंटर में नामाकंन के लिए फॉर्म भरा है। महतो अब इंटर आर्ट्स के विद्यार्थी बनेंगे। शिक्षा मंत्री के इस फैसले के बाद सवाल उठ रहा है कि आखिर क्या बात थी जिसकी वजह से उन्होंने पढ़ाई करने का फैसला लिया?
झारखंड में हेमंत सोरेन सरकार में जब जगरनाथ महतो को शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी दी गई थी तभी सवाल उठा था कि दसवीं पास शिक्षा मंत्री आखिरकार राज्य की शिक्षा व्यवस्था को कितना दुरुस्त कर पाएगा। अपनी योग्यता पर उठ रहे सवालों का जवाब महतो ने इस तरह से देने का निश्चय किया। तंज से आहत महतो ने जुबानी बहस में पडऩे के बजाय अपनी उस कमी को दूर करने का निश्चय किया है।
शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो जब 10 अगस्त को एडमिशन के सिलसिले में बोकारो जिले के देवी महतो स्मारक इंटर महाविद्यालय, नावाडीह पहुंचे तो सबने सोचा कि वे हमेशा की तरह कामकाज का जायजा लेने आए होंगे, लेकिन वे सीधे काउंटर पर गए और 1100 रुपये का भुगतान कर फॉर्म खरीदा ताकि वे इंटर में नामांकन ले सकें।
31 दिसंबर,1967 को जन्मे जगरनाथ महतो ने 1995 में बोकारो जिला अंतर्गत चंद्रपुरा प्रखंड के नेहरू उच्च विद्यालय, तेलो से मैट्रिक (दसवीं) की परीक्षा बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के तहत पास की थी। उस समय एकीकृत बिहार था। महतो अब इंटर आर्ट्स के विद्यार्थी बनेंगे। वह 25 साल बाद फिर पढ़ाई की शुरुआत करेंगे।
वैसे तो पढ़ाई लिखाई इंसान का व्यक्तिगत मामला है पर भारतीय राजनीति में ऐसे कई विधायक व सांसद मिल जायेंगे जो बहुत ही कम पढ़े-लिखे हैं। भारत में राजनीतिज्ञ बनने के लिए उच्च शिक्षा कतई जरूरी नहीं है, लेकिन जिस साफगोई से महतो ने अपनी बात कही वह बहुत से लोगों के लिए मिसाल बन सकती है। उन्होंने इंटर में एडमिशन लेकर एक मिसाल कायम की है।
मीडिया ने जब महतो से पूछा कि इंटर में एडमिशन लेने की जरूरत क्यों पड़ी? तो उन्होंने कहा, “पढऩे के लिए कोई उम्र सीमा नहीं होती। जिस समय मुझे शिक्षा मंत्री बनाया गया, उसी समय कुछ लोगों ने व्यंग्य किया था कि दसवीं पास शिक्षा मंत्री क्या करेगा। शपथ ग्रहण के बाद कही गई इस बात से मुझे काफी ठेस पहुंची थी। इसी का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए मैंने एडमिशन लिया है। हम पढ़ेंगे भी और पढ़ाएंगे भी।”