सुरेन्द्र दुबे
राजस्थान में अब कांग्रेस के साथ भाजपा को भी अपने विधायकों के बिक जाने का खतरा सताने लगा है। यानी कि अभी तक जो भाजपा सचिन खेमे के विधायकों की संख्या 19 से बढ़ा कर 30 करने के जुगाड़ में लगी हुई थी उसे खुद के घर में सेंध लगने का खतरा सताने लगा है। भाजपा ने 7 विधायकों को गुजरात के सोमनाथ मंदिर भेज दिया है। जब मंदिर ही इस देश में सभी समस्याओं का हल करने करने की एजेंसी है तो फिर इन्हें अयोध्या में विराजमान राम लला के दर्शन करने के लिए क्यों नहीं भेजा गया। क्या भाजपा को सिर्फ गुजरात पर ही विश्वास है।
भाजपा कह रही है कि उसे अपने विधायकों के बिकने का कोई खतरा नहीं है। पर दूसरों के घर में सेंध लगाने वालों को ये तो पता ही रहता है कि सेंध कैसे लगाई जाती है। इसलिए उसकी आशंका सही लगती है कि उसके घर में भी सेंध लग सकता है। लगता है कि कांग्रेस के घर में भी कोई चाणक्य पैदा हो गया है।
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अभी तक तो भाजपा का ही चाणक्य पूरे देश में गदर काटे हुए था। हाल में ही उसने मध्य प्रदेश में उसने कमलनाथ को उठाकर फेंक दिया था। बड़ा हंगामा था की अब गहलौत की खैर नहीं। पर तब तक उनके मन में भी चाणक्य की धूर्तता घुस चुकी थी। इसलिए उनकी सरकार फिलहाल बची हुई है।
वैसे चाणक्य हमारे इतिहास के बड़े सम्मानित महापुरुष रहे हैं। पर आजकल उन्हें धूर्तता का पर्याय बना दिया गया है। उन्हें हीरो के बजाय खलनायक बना दिया गया है। भाजपाई चाणक्य के पास सीबीआई, इनकम टैक्स व ईडी थी तो कांग्रेसी चाणक्य ने सी ओजी के जरिए सचिन पायलट को फंसा लिया।
भाजपा को यह अहसास नहीं था कि गहलौत भी उन्हीं को तरह घटियापन पर उतर आएंगे। पर प्यार व युद्ध में सब जायज है। इसलिए पायलट और उनके समर्थक विधायक हरियाणा में छिपे बैठे हैं। भाजपाई चाणक्य ने गहलौत के भाई व कुछ मित्रों पर छापेमारी शुरू करा दी, तो जादूगर गहलौत ने एक केंद्रीय मंत्री शेखावत को फंसा दिया। यानी घटियापन की एक ब्लॉक बस्टर फिल्म चल रही है।
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इस महामारी में सिनेमा हाल तो बंद है तो पूरे देश का मनोरंजन इस देश कि घटिया फिल्में ही कर रही है। हमें अपने रहनुमाओं पर पूरा भरोसा है। इस संकट काल में रोटी का टोटा हो सकता है पर मनोरंजन का टोटा नहीं होने पाएगा।
राजस्थान में राज्यपाल कलराज मिश्रा ने बहुत दांव चले पर गहलौत भी पुराने खिलाड़ी है। लगे रहे। अंतत: 14 अगस्त से विधान सभा का सत्र बुलाने के लिए राज्यपाल को मजबूर होना पड़ा। अगर दूसरे राज्यों के मुख्यमंत्री भी गहलौत की तरह चाणक्य बने होते तो कांग्रेस को इतनी सरकारें न गंवानी पड़ती।
भाजपाइयों का दावा था कि वे कई कांग्रेसी विधायक तोड़ लेंगे। पर अब वे अपने ही विधायकों को बचाने में लग गए हैं। कई बार ऐसा होता है कि दूसरे का घर तोडऩे वालों के अपने ही घर में सेंध लग जाती है। लगा है कि इस बार के शक्ति परीक्षण में गहलौत बच जाएंगे। पर सचिन और उनके सहयोगियों का क्या होगा यह बता पाना मुश्किल है।
अगर वे गहलौत के विरोध में वोट डालेंगे तो उनकी विधायकी जा सकती है। एस सीओजी उन्हें अपने चंगुल में फंसा सकती है, क्योंकि आजकल की जांच एजेंसियां आकाओं की कठपुतलियां मात्र है। जब लोकतंत्र की कडिय़ा टूटती है तो फिर इस तरह के दृश्य सामने पहले आते रहे हैं। पर एक बात तो है कि गहलौत ने साबित कर दिया कि वे कांग्रेस के चाणक्य है। कांग्रेस को उनका एहसान मानना चाहिए कि उनके पास भी कोई तो है जो बीजेपी चाणक्य से मोर्चा ले रहा है।
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(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, लेख में उनके निजी विचार हैं)