Tuesday - 29 October 2024 - 5:35 PM

कैसे अपनी वास्तविक परिणति पर पहुंचा राम मंदिर आंदोलन

केपी सिंह

मंडल के खिलाफ साधे गये कमंडल के ब्रह्मास्त्र की परिणति रोचक और अप्रत्याशित रही। मंडल आयोग की रिपोर्ट लागू करने से सामाजिक भूचाल की जो स्थिति बनी थी माना गया था कि उसे संभालने के लिए लालकृष्ण आडवाणी ने राम मंदिर रथ यात्रा निकाली थी। जिसके तूफान में वीपी सिंह की तत्कालीन सरकार धराशायी हो गयी थी। हालांकि इसके बावजूद मंडल रिपोर्ट को वापस नहीं कराया जा सका था।

इन्दिरा साहनी बनाम भारत सरकार केस मे सुप्रीम कोर्ट ने भी मंडल रिपोर्ट को लागू करने के फैसले पर मुहर लगा दी थी। फिर भी कमंडलवादी आशान्वित थे कि देर सबेर मंडल के माध्यम से सामाजिक तख्ता पलट का जो शंखनाद हुआ है वह अरण्यरोदन की तरह बेअसर होकर रह जायेगा। लेकिन उनका यह अनुमान आज की स्थिति में दुराशा साबित दिखाई दे रहा है।

राम कथा का रहस्य जाके मन रही भावना जैसी तिन देखी प्रभु मूरत तैसी और हरि अनंत हरि कथा अनंता जैसे सूत्रों में निहित है। अनेकों राम कथायें प्रचलित हैं। भगवान विष्णु के एक अवतार के रूप में राम का जिक्र तब से है जब किसी रामकथा का प्रवर्तन नहीं हुआ था। राम की स्वतंत्र पूजा का विधान बकौल रामधारी सिंह दिनकर रामानंद स्वामी ने किया।

संत रामानंद स्वामी को राम भक्ति की प्रेरणा दक्षिण के आलवार संतों से मिली थी जो बहुधा निचली जातियों से थे। उन्होंने भक्ति के माध्यम से अपने को हीन स्थिति से उबारकर समाज में गौरव हासिल किया था। जाहिर है कि इसे लेकर रामकथा की एक अलग प्रतीकात्मकता है। जिसके निहितार्थ आज फिर उभरे हैं।

पुष्यमित्र शुंग को लक्ष्य करके जो रामकथा गढ़ी गई उसकी व्यंजना कवि की वर्ग दृष्टि के कारण अलग हो गई थी। जो राम दलितों के उद्धार में सहायक हुए थे वे ही राम नये परिप्रेक्ष्य में शम्बूक के संहारक के रूप में चित्रित कर दिये गये। यह दृष्टि मंडल बनाम कमंडल तक जारी रही। इसलिए राम मंदिर को विध्नमूलक मानकर सामाजिक न्याय की राजनीतिक धारा आशंका ग्रस्त रही तो यह अन्यथा न था।

लेकिन अपनी परिणति पर पहुचते-पहुचते इसमें फिर मोड़ आया। महाकवि कालिदास ने जब रघुवंशम लिखा था तो उनसे किसी ने पूंछा था कि क्या यह रचना आपने अपने सम्राट कुमार गुप्त को ईश्वरीय अवतार के रूप में स्थापित करने के लिए की है। प्रत्युत्तर में कालिदास ने स्वीकृति में सिर हिला दिया था।

गोस्वामी तुलसीदास के रामचरित मानस लिखने से जाने अनजाने में मुगलों की सत्ता को भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक लाभ मिला। मुगलों की जो सत्ता जो बाबर के बाद ही शेरशाह सूरी द्वारा हुंमायू को शिकस्त दी जाने से उखड़ गई थी वह रामकथा की सम्राट में ईश्वर का प्रतिबिंब दिखाने की तासीर के चलते अकबर के लिए इतनी फलदायी हुई कि उसके बाद मुगलों की सत्ता बहादुर शाह जफर तक चलती रही।

होना तो यह चाहिए था कि अगर शम्बूक वध का क्षेपक प्रसंग मंडल बनाम कमंडल की रोशनी में असर दिखाता तो मंदिर बनते समय कोई सवर्ण सम्राट सिंहासन पर होना चाहिए था। पर अंततोगत्वा राम जन्म भूमि मंदिर का मुहूर्त ऐसे समय फलित हुआ है जब शूद्र नेतृत्व को अवतार की प्रतिष्ठा मिले। बहुत से लोग राममंदिर के भूमि पूजन के समय के दृश्य संयोजन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की महिमा को भगवान के समकक्ष स्थापित किये जाने की बात कहते हुए असंतोष प्रकट कर रहे हैं लेकिन सही बात यह है कि इस पूरे सिंहावलोकन में देखें तो यह दृश्यांकन गढ़े हुए भी हैं और नही भी।

राम मंदिर आंदोलन का यह उपसंहार गणितीय तौर पर अपेक्षित और अवश्यम्भावी है। इस तारतम्य में यह भी ध्यान देने योग्य है कि भूमि पूजन समारोह का पहला प्रसाद 70 वर्षीय दलित बुजुर्ग महावीर प्रसाद को पहुचाया गया। इसका पहला निमंत्रण बाबरी मस्जिद के पक्षकार इकबाल अंसारी को दिया जाना भी कुछ विचित्र नहीं है। राम पूजा के प्रवर्तक रामांनन्द स्वामी के बैरागियों के दल में मुसलमान भी शामिल रहे थे जो राम आंदोलन के साथ श्री गणेश से मुसलमानों की भागीदारी के इतिहास को उद्धृत करने वाला तथ्य है।

राम मंदिर आंदोलन का सूत्रपात भले ही समाज की विभाजक रेखा को बचाये रखने के लिए किया गया हो लेकिन यह अपनी वास्तविकता के अनुरूप ही फलित हुआ। देश की भौगोलिक एकता के संदर्भ में भी। पुनः स्मरण कराना होगा कि भक्ति आंदोलन और रामकथाओं का प्रस्थान बिन्दु दक्षिण भारत रहा है इसलिए राममंदिर दक्षिण भारतीयों को इसके लिए स्वाभाविक तौर पर गर्मजोशी को जगाता है।

यह भी पढ़ें : तो अयोध्या में बाबर के नाम पर नहीं बनेगी मस्जिद !

यह भी पढ़ें : बीएड परीक्षा : लाखों जिंदगियों के साथ खिलवाड़, संचालकों पर FIR की मांग

यह भी पढ़ें : कोरोना से फीकी रहेगी जन्माष्टमी, बाजारों में सन्नाटा

डिस्क्लेमर : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं। इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति Jubilee Post उत्तरदायी नहीं है।
Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com