जुबिली न्यूज डेस्क
छह अगस्त की सुबह अहमदाबाद के श्रेय अस्पताल में आग लगने से आठ लोगों की मौत हो गई थी। इन घटना को दो दिन बीत चुके हैं पर अब तक इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
यह लापरवाही ही है कि अब तक इस मामले में किसी की जिम्मेदारी तय नहीं हो सकी है। इस घटना का कौन जिम्मेदार है अब तक किसी को नहीं पता। अब तक कोई कार्रवाई न होने से इस पर सवाल उठ रहा है कि क्या किसी को बचाने की कोशिश की जा रही है।
ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि पिछले साल जब सूरत की एक कोचिंग सेंटर में आग लगी थी तो इस मामले में पुलिस ने तुरंत एफआईआर दर्ज की थी और कोचिंग सेंटर के मालिक को गिरफ्तार करने के अलावा दो बिल्डर्स के खिलाफ भी केस दर्ज किया था। इसके अलावा दो फायर अफसरों को इस बिल्डिंग को नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (एनओसी) देने के कारण सस्पेंड भी किया गया था।
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क्यों नहीं हुई कार्रवाई?
किसी कोविड डेडिकेटेड अस्पताल में आग लगने का यह पहला मामला है। इस घटना में आठ लोगों की मौत हो गई थी। इतनी बड़ी घटना के बावजूद श्रेय अस्पताल के मामले में फायर विभाग की ओर से अब तक इस घटना की जिम्मेदारी लेने के लिए कोई आगे नहीं आया है। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि क्या इस घटना पर पर्दा डालने की कोशिश की जा रही है।
जिस तरह सूरत के मामले में कोचिंग सेंटर के मालिक और बिल्डर्स के खिलाफ कार्रवाई की गई, वैसी ही कार्रवाई इस मामले में अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ भी की जानी चाहिए थी, पर अब तक ऐसा कुछ नहीं हुआ है।
कौन है अस्पताल का मालिक?
‘अहमदाबाद मिरर’ ने एक शीर्ष आईएएस अफसर के हवाले से कहा है कि अभी तक यह तक पता नहीं चल सका है कि श्रेय अस्पताल का असली मालिक कौन है। अहमदाबाद जोन-1 के डीसीपी रविंद्र पटेल कहते हैं कि दुर्घटना से मौत होने की शिकायत दर्ज की गई है और वे फ़ॉरेंसिक सहित पांच विभागों की रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं।
‘अहमदाबाद मिरर’ के अनुसार, जांचकर्ताओं ने दावा किया है कि अस्पताल की ओर से किसी तरह की लापरवाही का कोई सबूत नहीं मिला है।
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डीसीपी पटेल ने कहा कि अस्पताल की फायर एनओसी इस साल 4 अप्रैल को खत्म हो गई थी और अस्पताल की ओर से अग्निशमन यंत्रों को फिर से भरे जाने और एनओसी लेने की प्रक्रिया 21 मार्च को ही शुरू कर दी गई थी, तालाबंदी की वजह से अस्पताल इसकी अर्जी नहीं लगा सका। लेकिन ‘अहमदाबाद मिररÓ ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि एनओसी को डेडलाइन से पहले रिन्यू नहीं कराया गया।
वहीं इस मामले में डीसीपी का कहना है कि फायर विभाग ने एक रिपोर्ट जमा की थी जिसमें कहा गया था कि अस्पताल में आग से बचने के लिए सभी इंतजाम किए गए हैं, तो फिर इतना बड़ा हादसा कैसे हो गया, इसका जवाब फायर विभाग को देना चाहिए।
पुलिस का कहना है कि वह सीसीटीवी फ़ुटेज हासिल करने की कोशिश में जुटी है जिससे पता चल सके कि आग किस वजह से लगी लेकिन अब तक उसे किसी भी तरह की लापरवाही का सबूत नहीं मिला है।