जुबिली न्यूज डेस्क
पांच अगस्त को भारत में जश्न का माहौल था। अयोध्या नगरी राममय थी तो दुनिया भर की मीडिया की निगाहे भी यहां बनी हुई थी।
बुधवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए भूमिपूजन किया और फिर मंदिर की आधारशिला रखी।
देश में यह एक विवादित मुद्दा रहा है। इसलिए मंदिर के निर्माण की शुरुआत होने और खासकर प्रधानमंत्री मोदी के उस कार्यक्रम में शामिल होकर मंदिर की आधारशिला रखने के कारण विदेशों में भी इस पर ख़ूब चर्चा हो रही है। भारत के पड़ोसी मुल्कों की मीडिया ने भी इस पूरे घटनाक्रम को कवर किया है। आइये जानते हैं कि पड़ोसी मुल्क की मीडिया इस घटनाक्रम को कैसे देखती है?
पाकिस्तान
बीबीसी के मुताबिक पाकिस्तान के अंग्रेजी अखबार ‘द डॉन’ ने अपनी रिपोर्ट में प्रतिष्ठित भारतीय मुसलमानों का नाम लिए बिना उनके हवाले से कहा है कि इस समुदाय ने इस नई सच्चाई के सामने घुटने टेक दिए है लेकिन उसे डर है कि इसके राष्ट्रवादी विचारों से ताल्लुक रखनेवाले हिंदू उत्तर प्रदेश की दूसरी मस्जिदों को निशाना बनायेंगे।
वहीं दूसरे अंग्रेजी अखबार ‘द डेली टाइम्स’ ने अपनी हेडलाइन में कहा है कि पाकिस्तान ने ढहाई गई बाबरी मस्जिद की जगह पर मंदिर बनाये जाने की निंदा की है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में बहुसंख्यकवाद के मामले के बढऩे के साथ-साथ मुसलमान अपने आपको असुरक्षित महसूस कर रहे हैं और उनके अधिकारों पर लगातार हमला हो रहा है।
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नेपाल : सदियों का इंतजार खत्म हुआ
आज भले ही नेपाल और भारत के रिश्ते में तनाव आ गया है पर नेपाली मीडिया ने इस घटनाक्रम को अच्छे से कवर किया है। नेपाल के अखबार ‘द हिमालयन’ ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अयोध्या में दिए गए भाषण के उस हिस्से को हेडलाइन बनाया है जिसमें कहा गया था- ‘सदियों का इंतजार खत्म हुआ’।
अखबार ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अयोध्या के बहुत सारे मुसलमानों ने मंदिर निर्माण का स्वागत किया है, इस उम्मीद में कि इसके बाद हिंदू-मुसलमानों के बीच उपजी कटुता समाप्त हो जाएगी और इसके बाद शहर में आर्थिक प्रगति के काम हो सकेंगे।
मगर अखबार ने कहा है कि एक प्रभावशाली मुस्लिम संगठन ने मंदिर निर्माण का विरोध किया है जिसे उसने नाइंसाफी और दबानेवाला, शर्मनाक और बहुसंख्यकों को लुभानेवाला करार दिया है।
अखबार ने इसके लिए ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के बयान का हवाला दिया है।
वहीं नेपाली भाषा के अखबार ‘कान्तिपुर’ ने कहा है कि राममंदिर जो भारतीय राजनीति में दशकों से एक बड़ा मुद्दा रहा है, वहां निर्माण का काम बुधवार से शुरु हो गया।
कान्तिपुर अखबार में कहा गया है कि हालांकि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी राम मंदिर निर्माण को राजनीतिक मुद्दे के तौर पर पिछले तीन दशकों से उठाती रही है फिर भी बीजेपी और हिंदूवादी संगठन नींव का पत्थर रखे जाने के कार्यक्रम को वैचारिक और राजनीतिक जीत करार दे रहे हैं।
नेपाल की प्रतिष्ठित वेबसाइट हिमालय का कहना है कि अयोध्या में कार्यक्रम हो गया है लेकिन नेपाल को सतर्क रहने की जरूरत है ताकि कोई सांप्रदायिक दंगा ना हो, न ही भारत की तरह यहां राजनीति और धर्म का घालमेल किया जाना चाहिए।
अपने लेख में जाने-माने पत्रकार कनकमणि दीक्षित ने कहा है कि जब मजहब और राजनीति साथ-साथ मिलाये जाते हैं तो इससे समाज में बिखराव पैदा होता है।
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बांग्लादेश – बुधवार को एक हिंदू देवता को टाइम्स स्क्वायर में क्यों दिखाया जाएगा?
बांग्लादेश की मीडिया ने भी इस खबर को प्रमुखता से उठाया है। दो भाषाओं में प्रकाशित होनेवाली वेबसाइट ड्ढस्रठ्ठद्ग2ह्य24.ष्शद्व ने ख़बर को ‘स्पॉटलाइट’ में जगह दी है और कहा है कि मंदिर वहीं बन रहा है जहां तीन दशक पहले एक मस्जिद को ढहा दिया गया था, जिसके बाद मुल्क भर में सांप्रदायिक दंगे होने लगे थे।
इस रिपोर्ट को पहले पन्ने पर जगह दी गई। इसमें कहा गया है कि ”मोदी और उनके राष्ट्रवादी राजनीतिक दल ने इसके साथ ही अपने बहुत पुराने वायदे को पूरा किया है, साथ ही ये उनकी सरकार के दूसरे वायदे को पूरा किये जाने की भी पहली वर्षगांठ है – भारत के इकलौते मुस्लिम-बहुल सूबे के विशेष दर्जे को खत्म किए जाने की।”
साइट पर सबसे ज्यादा पढ़ी गई कहानियों में बाबरी मस्जिद के एक पैरोकार इकबाल अंसारी और अयोध्या वासी मोहम्मद शरीफ को कार्यक्रम में शामिल होने का न्योता मिलने की कहानी शामिल है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 1992 में हुए दंगे के चश्मदीद दोनों मुसलमान कार्यक्रम में शामिल हो रहे हैं जो उनकी तरफ से ‘सुलह का संकेत’ है।
बांग्लादेश के सबसे बड़े अंगे्रजी अखबारों में से एक ‘डेली स्टार’ ने खबर को अपने ‘वल्र्ड’ पेज में जगह देते हुए पिछले साल आए भारतीय सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जिक्र करते हुए कहा है, “हालांकि बीजेपी के लिए ये एक शानदार जीत थी, लेकिन आलोचकों के मुताबिक, ये धर्मनिरपेक्ष भारत को एक हिंदू राष्ट्र में बदलने के लिए उठाया गया एक और कदम था, जो मोदी के एजेंडे का हिस्सा है।”
‘ढाका ट्रिब्यून’ में अयोध्या पर एक अलग तरह की रिपोर्ट छपी है जिसका शीर्षक है – बुधवार को एक हिंदू देवता को टाइम्स स्क्वायर में क्यों दिखाया जाएगा?
इस खबर में सबसे पहले ये बताया गया है कि मुद्दा इतना विवादास्पद क्यों है? खबर में कहा गया है कि कई लोग इस पूरे मामले को ‘हिंदू फासीवाद’ का हिस्सा बता रहे हैं और विरोध के मद्देनजर कई स्पॉन्सर कंपनियां पीछे हट गई हैं हालांकि डिज़्नी और क्लियर चैनल आउटडोर कार्यक्रम का हिस्सा हैं।
अंतरराष्ट्रीय पेज में दूसरी खबर में कहा गया है कि हालांकि उनके एक मंत्री को कोविड-19 हो गया है, मगर प्रधानमंत्री कार्यक्रम में शामिल होने अयोध्या जा रहे हैं।
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