- डॉ. फाउची ने कोरोना वक्सीन पर राजनीतिक दबाव से किया इनकार
जुबिली न्यूज डेस्क
दुनिया के कई देशों में कोरोना वैक्सीन का ट्रायल अंतिम चरण में पहुंच गया है। उनमें अमेरिका भी शामिल है। अमेरिका में दो वैक्सीन का ट्रायल अंतिम चरण में है। पिछले दिनों ही राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रंप ने खुशखबरी देने की बात कही थी। फिलहाल अमेरिका के जाने-माने संक्रामक बीमारी विशेषज्ञ एंथोनी फाउची ने कहा है कि अमरीकी नियामकों ने वैज्ञानिकों को आश्वस्त किया है कि कोरोना वायरस की वैक्सीन को लेकर कोई राजनीतिक दबाव नहीं डाला जाएगा।
दरअसल डॉ. फाउची का यह बयान इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि अमेरिका में नवंबर में राष्ट्रपति चुनाव है और ऐसा कहा जा रहा है कि ट्रंप चाहते हैं कि चुनाव से पहले कोई प्रभावी वैक्सीन आ जाए जिससे उन्हें चुनाव में इसका लाभ मिले।
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डॉ. फाउची ने एक समाचार एजेंसी को दिए इंटरव्यू में कहा, ”हमें आश्वस्त किया गया है कि वैक्सीन को लेकर कोई दबाव नहीं बनाया जाएगा। वैक्सीन को लेकर हम पर कोई राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं होगा। हमें बताया गया है कि वैक्सीन को लेकर सबसे अहम सुरक्षा और प्रभावी मानक हैं न कि राजनीतिक दबाव।”
अमरीका में तीन नवंबर को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव से पहले के ओपिनियन पोल में रिपब्लिकन ट्रंप डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जो बाइडन से पीछे चल रहे हैं।
दरअसल कोरोना वायरस से निपटने में ट्रंप की भूमिका की आलोचना हो रही है और इसका असर मतदाताओं पर भी पड़ा है। ऐसे में ट्रंप बाइडन के सामने अलोकप्रिय हुए हैं। अगर अक्टूबर महीने तक वैक्सीन आ जाती है तो ट्रंप को चुनावी मदद मिल सकती है।
फाउची ने कहा कि अगले साल की शुरुआत में शायद कोरोना वैक्सीन की करोड़ों डोज आ सकती है। उन्होंने कहा कि ”हमें मैन्युफैक्चरर्स ने बताया है कि 2021 के अंत तक वैक्सीन की करोड़ों डोज मिलेगी। ऐसे में मुझे लगता है कि चीजें हमारे नियंत्रण में हैं और वैक्सीन बनने की प्रक्रिया सकारात्मक है। मैं आशावान हूं लेकिन कुछ भी कहा नहीं जा सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि वैक्सीन को लेकर कुछ भी गारंटी नहीं दी जा सकती। वैक्सीन के बावजूद मुझे नहीं लगता है कि हम इसका जड़ से उन्मूलन करने जा रहे हैं क्योंकि कोरोना वायरस जैसा संक्रामक वायरस बहुत कम होते हैं।”
डॉ एंथोनी फाउची ने कहा है कि कोरोना वायरस से जितनी तबाही अमरीका में हुई उतनी किसी भी मुल्क में नहीं हुई ह। हालांकि राष्ट्रपति ट्रंप ऐसा नहीं मानते हैं।
फाउची ने कहा, ”कोराना ने पूरी दुनिया को तबाह किया है लेकिन अमरीका जितना झेल रहा है उतना किसी ने नहीं झेला। उन्होंने कहा कि संक्रमितों की संख्या और मरने वालों की तादाद देखिए तो साफ पता चलता है।
उन्होंने कहा कि दुनिया भर में कोरोना संक्रमितों और उससे होने वाली मौत के मामले केवल अमरीका में 20 से 25 फीसदी हैं जबकि यहां की आबादी दुनिया की कुल आबादी के पांच फीसदी से भी कम है। संख्या से साफ है कि अमरीका में कोरोना का जख्म ज़्यादा गहरा और हरा है।”
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