जुबिली न्यूज़ डेस्क
राजस्थान में चल रहे सियासी संकट के बीच मंगलवार को अशोक गहलोत कैबिनेट की बैठक होगी। बैठक सुबह 10 बजे सीएम निवास पर आयोजित की जाएगी। कैबिनेट की बैठक में विधानसभा-सत्र को लेकर चर्चा की जाएगी। इसमें राज्यपाल द्वारा विधानसभा-सत्र को लेकर उठाई गई आपत्तियों के जवाब पर मंथन किया जाएगा। वहीं, विधानसभा-सत्र के कामकाज पर भी चर्चा की जाएगी।
प्रदेश में लगातार गहराते जा रहे सियासी संकट का अभी तक कोई हल नहीं निकल पाया है। इस मसले को लेकर करीब 15 दिन पहले सीएमआर में हुई विधायक दल की बैठक के बाद यह हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट होते हुए अब विधानसभा-सत्र को आहूत करने को लेकर राजभवन और सरकार के टकराव में तब्दील हो चुका है।
विधानसभा-सत्र बोलने की राज्य सरकार की मांग के बाद राजभवन और सरकार के बीच पत्रावली संवाद चल रहा है। राज्य सरकार की इस मांग पर विचार करते हुए राजभवन ने विधानसभा-सत्र को आहूत करने के लिए कुछ शर्तें रखी हैं।
दूसरी ओर राजस्थान में सियासी संकट के बीच कांग्रेस खुद को ही घिरा हुआ महसूस कर रही हैं। पार्टी यह तय नहीं कर पा रही है कि अब आगे की रणनीति क्या होगी। पार्टी इस मुद्दे पर राज्यपाल से सीधे टकराव से भी बचना चाहती है।
राजस्थान संकट पर पार्टी की रणनीति से जुड़े एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि राज्यपाल की शर्तों को लेकर पार्टी में दो राय है। कुछ नेताओं का मानना है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सरकार को अपनी शर्तों पर कायम रहना चाहिए। जबकि कई दूसरे नेताओं की राय है कि हमे इस वक्त राज्यपाल की 21 दिन की राय को स्वीकार कर लेना चाहिए।
यह भी पढ़ें: कितनी होगी कोरोना वैक्सीन की कीमत?
पार्टी का कहना है कि राजस्थान विधानसभा में कई बार 21 दिन से कम के नोटिस पर विधानसभा बुलाई गई है। 12वीं विधानसभा में दो बार, 13वीं विधानसभा में सात, चौदहवीं में एक और 15वीं विधानसभा में भी तीन बार अभी तक 21 दिन से कम के नोटिस पर विधानसभा का सत्र बुलाई गई है।
यह भी पढ़ें: जल्द भारत पहुंच रहा राफेल फाइटर जेट
पार्टी के कई नेता मानते है कि इस लड़ाई को अदालत के बजाए राजनीतिक तौर पर लड़ना चाहिए। पार्टी की चिंता यह है इतने लंबे वक्त तक विधायको को एकजुट रखना मुश्किल होगा। पर पार्टी को यह जोखिम उठाते हुए राजनीतिक तौर पर इस लड़ाई को लड़ना चाहिए।