जुबिली न्यूज डेस्क
कोरोना महामारी का असर दिखने लगा है। सिंगापुर जैसे अमीर देश को कोरोना वायरस ने मंदी में धकेल दिया है। वैश्विक व्यापार की सेहत बताने वाले बैरोमीटर के रूप में देखा जाने वाला सिंगापुर बाहरी झटकों के लिए बेहद संवेदनशील है। ऐसे में सिंगापुर के डराने वाले आंकड़े वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए भी खतरनाक संकेत दे रहे हैं।
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मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सिंगापुर साल की दूसरी तिमाही में रिसेशन में चला गया है क्योंकि व्यापार आधारित सिंगापुर की अर्थव्यवस्था में तिमाही दर तिमाही 41.2 फीसदी की गिरावट देखी गई है।
कोरोना वायरस का संक्रमण को रोकने में सिंगापुर शुरु में तो कामयाब रहा लेकिन बाद के दिनों में यहां तेजी से संक्रमण के मामले बढ़े। संक्रमण को रोकने के लिए सिंगापुर सरकार ने दो माह का सख्त तालाबंदी किया। इस दौरान जरूरी चीजें ही खुली रही बाकी सबकुछ बंद रहा।
तालाबंदी की वजह से सिंगापुर मंदी की चपेट में आ गया। सिंगापुर को काफी नुकसान हुआ है। वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार पिछले साल के मुकाबले देखा जाए तो अप्रैल से जून के बीच सिंगापुर की अर्थव्यवस्था में 12.6 प्रतिशत की दर से गिरावट आई है। यह गिरावट कोरोना संक्रमण रोकने के लिए हुई तालाबंदी की वजह से हुई है।
सिंगापुर ने संक्रमण को रोकने के लिए कठोर प्रतिबंध लगाए गए थे। इस तरह अर्थव्यवस्था में गिरावट का ये दूसरा हफ्ता है जब दुनिया की सबसे खुली अर्थव्यवस्थाओं में से एक सिंगापुर की अर्थव्यवस्था में गिरावट देखी गई है।
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सिंगापुर के वाणिज्य मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है कि दूसरी तिमाही में जीडीपी में जो भारी गिरावट आई है, उसके लिए “सात अप्रैल से एक जून के बीच कोरोना वायरस के प्रसार को कम करने के लिए लगाए गए प्रतिबंध जिम्मेदार हैं। इन प्रतिबंधों के तहत सभी गैर-जरूरी सेवाओं और ज़्यादातर सभी काम की जगहों को बंद कर दिया गया था।”्र
बीते दस सालों में ये पहला मौका है जब सिंगापुर रिसेशन के दौर में गया है। सरकारी बयान में ये भी कहा गया है कि इस संकुचन के लिए दुनिया भर में आ रही आर्थिक गिरावट की वजह से बाहरी मांग में आने वाली कमी भी जिम्मेदार है।
वहीं दुनिया भर के अर्थशास्त्री इसे अच्छा संकेत नहीं मान रहे हैं। उनका कहना है कि जब अमीर देश सिंगापुर का यह हाल है तो गरीब देशों का क्या होगा।