जुबिली स्पेशल डेस्क
लखनऊ। कानपुर कांड के मास्टरमाइंड विकास दुबे के एनकाउंटर मामले को लेकर यूपी सरकार को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है। दरअसल हाईकोर्ट की वकील नंदिता भारती ने एक याचिका दाखिल की थी और विकास दुबे के एनकाउंटर की न्यायिक आयोग बनाकर हाईकोर्ट के सिटिंग या रिटायर्ड जज से जांच की मांग की थी। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सोमवार को सरकार के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है।
कोर्ट ने इस मामले में वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई हुई थी। राज्य सरकार की तरफ से AAG विनोद शाही ने कोर्ट को बताया रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में जांच आयोग का गठन कर दिया गया है। सीनियर आईएएस की अध्यक्षता में SIT बना दी गई है,जांच आरम्भ हो गई है दोनों पक्षों को सुनने के बाद जस्टिस पंकज जायसवाल और जस्टिस करुणेश पवार ने याचिकाकर्ता से कहा- SIT और आयोग से जांच जारी है,आपकी मांगे मानी जा चुकी हैं, अतः यह याचिका डिसमिस की जाती है।
यह भी पढ़ें : गरीबों का राशन हड़पने वाले को शिवराज ने बना दिया खाद्य मंत्री
यह भी पढ़ें : विभागों के बंटवारे में भी भारी पड़े सिंधिया
Lucknow Bench of Allahabad High Court dismisses a plea seeking judicial inquiry in #VikasDubeyEncounter case. (file pic) pic.twitter.com/s9fIhKlHO1
— ANI UP (@ANINewsUP) July 13, 2020
बता दें कि कानपुर के चौबेपुर में 8 पुलिसकर्मियों की हत्या से पूरी यूपी दहल गई थी। इस कारनामे को अंजाम विकास दुबे ने दिया था। इस घटना के बाद विकास फरार चल रहा था। यूपी पुलिस और एसटीएफ की टीमें विकास को खोज रही थी, लेकिन वह यूपी पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ा।
विकास दुबे ने उज्जैन के महाकाल मंदिर में खुद को पुलिस के हवाले कर दिया। यूपी पुलिस उसे मध्य प्रदेश से ट्रांजिट रिमांड पर लेकर कानपुर आ रही थी। पुलिस के मुताबिक, शुक्रवार की सुबह कानपुर के भौती के पास ही पुलिस की गाड़ी पलट गई जिसमें विकास दुबे भी था। गाड़ी पलटने के बाद विकास दुबे ने भागने की कोशिश की। पुलिस ने उसे आत्मसमर्पण करने के लिए कहा था लेकिन वह नहीं माना। जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने उस पर फायरिंग की, जिसमें वह मारा गया था।