जुबिली स्पेशल डेस्क
राजस्थान की अशोक गहलोत की सरकार पर भी मध्य प्रदेश वाला संकट ही हावी हो गया है। मध्य प्रदेश की सरकार को गिराने में गहलोत सरकार में डिप्टी सीएम सचिन पायलट का सहारा लिया जा रहा है। सचिन पायलट ने मध्य प्रदेश की सरकार गिराने के सूत्रधार ज्योतिरादित्य सिंधिया से दिल्ली में मुलाकात की है।
इसके बाद से ही राजस्थान में अशोक गहलोत की सरकार पर संकट का बादल मंडराता दिख रहा है। इतना ही नहीं कयासों का दौर भी जारी है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच टकराव लगातर बढ़ रहा है।
आलम तो यह है कि दोनों के मतभेद खुलकर अब सामने आ गए है। जानकारी के मुताबिक विधायक दल की बैठक से भी सचिन पायलट किनारा कर सकते हैं। सचिन पायलट इस समय दिल्ली में है और सोनिया गांधी और राहुल गांधी से मुलाकात करना चाहते हैं। हालांकि अभी उनकी मुलाकात नहीं हुई है।
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सचिन पालयट ने बगावती तेवर अपनाते हुए कहा कि है कि वो कांग्रेस विधायक दल की बैठक में नहीं शामिल होंगे। सोमवार सुबह 10.30 बजे विधायक दल की बैठक होनी है। पायलट खेम की ओर से दावा किया जा रहा है कि गहलोत सरकार अल्पमत आ गई है। पायलट ने कहा कि कई निर्दलीय विधायक हमारे साथ हैं। जानकारी के मुताबिक सचिन पायलट समेत 27 विधायक बीजेपी के संपर्क में हैं।
दूसरी ओर अशोक गहलोत अपनी सरकार को बचाने के लिए पूरा जोर लगा दिया है। उनके खेमे की माने तो उनके पास 100 से अधिक विधायकों के समर्थन और इस वजह से सरकार अभी कोई खतरा नहीं है। इसके लिए रविवार रात सीएम गहलोत ने पार्टी विधायकों और मंत्रियों के साथ बैठकी की। अब देखना होगा कि राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बचती है या नहीं।
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क्यों सचिन पायलट ने की बगावत
राजस्थान पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप की तरफ से डिप्टी सीएम सचिन पायलट को नोटिस भेजे जाने को लेकर उनके खेमे में नाराजगी है.। गहलोत सरकार के तीन विधायक सुरेश टाक, खुशवीर जोजावर और ओम प्रकाश हुडला सरकार को समर्थन दे रहे थे, लेकिन एसओजी ने इन तीनों के खिलाफ खरीद फरोख्त मामले में मामला दर्ज किया है। इस बीच कांग्रेस ने उन तीन निर्दलीय विधायकों की संबद्धता समाप्त कर दी। साथ ही तीनों पर आरोप है कि सरकार गिराने के विधायकों की खरीद फरोख्त की कोशिश की। हालांकि इस मामले में अशोक गहलोत ने सफाई दी थी लेकिन इसका असर सचिन पायलट पर कोई खास नहीं पड़ता दिख रहा है।
क्या है आंकड़ा
- राजस्थान विधानसभा में 200 सीटों में से कांग्रेस के पास 107
- बीजेपी के पास 72 सीटें हैं। 13 विधायक निर्दलीय हैं कांग्रेस के 16 और निर्दलीयों में से 3 सचिन पायलट के साथ हैं।
- जाहिर है कि अगर यह संख्या अशोक गहलोत से अलग होती है तो सरकार बचाना मुश्किल हो जाएगा।