जुबिली स्पेशल डेस्क
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में बीते कुछ दिनों से दुर्दांत अपराधी विकास दुबे मीडिया में लगातार बना हुआ है। हालांकि यूपी एसटीएफ ने एनकाउंटर में विकास दुबे को मार गिराया है लेकिन उससे जुड़ी कई बातें अब भी राज है। उधर उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के बिकरू गांव में 3 जुलाई को एनकाउंटर हुआ था। हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के इस केस की जांच के लिए अब स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) का गठन किया गया है। इसके साथ ही विकास दुबे का पुलिस के साथ क्या कनेक्शन था, इसको लेकर कयासों का दौर जारी है लेकिन स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) इस मामले से पर्दा उठा सकती है।
दरअसल स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) की टीम अब उस जगह पहुंच गई जहां पर 2 जुलाई की रात को 8 पुलिसकर्मियों की हत्या की गई थी। इसको लेकर इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) रविवार को बिकरू गांव पहुंची। विकास दुबे से जुड़ी कई चीजों पर जांच करने में जुट गई। इस हत्याकांड से जुड़े सभी चीजों पर जांच की जा रही है। बता दें कि 2 और 3 जुलाई के बीच दुर्दांत अपराधी विकास दुबे अपने साथियों के साथ मिलकर डीएसपी देवेंद्र मिश्रा समेत 8 पुलिसकर्मी की हत्या कर डाली थी।
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बिकरू गांव पहुंची एसआईटी की टीम के साथ मौके पर डीएम और एसएसपी भी मौजूद है। बता दें कि योगी सरकार ने इस पूरे मामले पर स्थानीय पुलिसकर्मियों और गैंगस्टर विकास दुबे की मिलीभगत की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था। इस टीम का नेतृत्व राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजय भूसरेड्डी कर रहे हैं जबकि पुलिस महानिदेशक हरिराम शर्मा और डीआईजी रवींद्र गौड़ सदस्य हैं. इस टीम को 31 जुलाई तक अपनी रिपोर्ट देनी है। एसआईटी की टीम कानपुर शूटआउट के साथ विकास दुबे का थानीय पुलिस के साथ क्या कनेक्शन था, इसकी भी जांच कर रही है।
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गौरतलब है कि बिकरू गांव में हुए शूटआउट के बाद पुलिस से लेकर शासन-प्रशासन के कई बड़े लोगों के नाम सामने आए थे। अब इन सभी बिन्दुओं पर जांच के लिए सरकार ने एसआईटी का गठन किया है। एसआईटी अब जांच करेगी कि, विकास दुबे के खिलाफ जन शिकायतों पर चौबेपुर एसओ ने क्या कार्रवाई की थी। यदि जिले के अन्य अधिकारियों ने कोई जांच की तो क्या कार्रवाई की गई? पुलिस विभाग के कर्मियों की संलिप्तता, फाइनेंस की संपत्ति, आय का जरिया आदि की जांच ईडी और आयकर विभाग से कराई जाएगी।
विकास दुबे और उसके साथियों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट, गुंडा एक्ट, एनएसए आदि अधिनियमों के तहत कार्रवाई की गई। लेकिन बाद में ठंडे बस्ते में डाल दी गई। अब उन मामलों की नए सिरे से जांच होगी। विकास दुबे और उसके साथियों के पिछले एक साल के सीडीआर का परीक्षण कराया जाएगा।