जुबिली न्यूज डेस्क
कोरोना वायरस बीते 100 सालों में सामने आया सबसे बड़ा आर्थिक और स्वास्थ्य संकट हैं। कोरोना वायरस ने उत्पादन, रोजगार और लोगों की सेहत पर अभूतपूर्व नकारात्मक असर डालेगा।
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने ये बात एसबीआई बैंकिंग एंड इकोनॉमिक कॉनक्लेव के दौरान कही है।
ये भी पढ़े: सितंबर तक लागू हो जायेगा श्रम सुधारों से जुड़ा पहला कानून ‘मजदूरी संहिता’
ये भी पढ़े: सुब्रमण्यम स्वामी ने पूछा- क्या वे कानून से ऊपर हैं ?
ये भी पढ़े: कैसे हुआ करोड़ों का ‘विकास’, ED ने शुरू की जांच
इस मौके पर दास ने कहा कि इस संकट ने वर्तमान वैश्विक तंत्र, वैश्विक आपूर्ति तंत्र, श्रम और पूंजी के प्रवाह को प्रभावित किया है, और ये महामारी हमारे आर्थिक और वित्तीय ढांचे की मजबूती और बर्दाश्त करने की क्षमता के लिए शायद सबसे बड़ी परीक्षा होगी।
उन्होंने कहा कि फरवरी 2019 से लेकर अब तक कोरोना वायरस माहमारी के चलते हमने रेपो रेट में 135 बेसिस पॉइंट की कटौती की है। विकास दर की धीमी गति से निपटने के लिए ऐसा किया गया है। दास ने यह भी कहा कि कोरोना वायरस माहमारी के चलते एनपीए में बढ़ोत्तरी हो सकती है।
ये भी पढ़े: स्कूल फीस में छूट की मांग वाली याचिका पर एससी का विचार करने से इनकार
ये भी पढ़े: भारतीय मीडिया की किस रिपोर्ट से नाराज है नेपाल ?
दास ने कहा कि कोरोना के कारण पैदा हुए संकट से वित्तीय सिस्टम को बचाने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना के कारण ग्लोबल वैल्यू चेन, लेबर और कैपिटल मूवमेंट को झटका लगा है। दास के अनुसार, बेसिस प्वाइंट में यह कटौती लिक्विडिटी तनाव को कम करने और अर्थव्यवस्था को स्थिरता प्रदान करने के लिए की गई है।
ये भी पढ़े: विकास दुबे के एनकाउंटर पर क्या बोले MP के गृह मंत्री