जुबिली न्यूज डेस्क
ऐसी उम्मीद की जा रही है कि श्रम सुधारों से जुड़ा पहला कानून ‘मजदूरी संहिता’ सितंबर तक लागू हो जायेगा। विभिन्न पक्षों की राय जानने के लिए श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने इसे सार्वजनिक किया है।
श्रम मंत्रालय ने सात जुलाई को जारी मसौदा नियमों को सरकारी राजपत्र में जारी किया। संसद ने प्रत्येक कर्मचारी के लिए न्यूनतम मजदूरी निर्धारित करने तथा कामगारों के भुगतान में देरी जैसे मसलों के समाधान को लेकर पिछले साल अगस्त में संहिता को मंजूरी दे दी थी।
श्रम मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक ‘संहिता पर नियमों के मसौदे पर सात जुलाई से 45 दिनों के भीतर लोग अपनी प्रतिक्रिया दे सकते हैं। मंत्रालय ने सात जुलाई को ही उसे राजपत्र में अधिसूचित किया।
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अधिकारी ने कहा कि अगर सब कुछ ठीक रहा तो लोगों की प्रतिक्रिया पर विचार करने के बाद इसे सितंबर से क्रियान्वित कर दिया जाएगा।
मजदूरी संहिता श्रम सुधारों का हिस्सा है और केंद्र सरकार के इस दिशा में उठाए गए कदम के तहत पहला कानून है।
संहिता में यह प्रावधान है कि न्यूनतम मजदूरी का आकलन न्यूनतम जीवनयापन स्थिति के आधार पर किया जाएगा। इससे देश भर में करीब 50 करोड़ कामगारों को लाभ होगा।
संसद में संहिता पारित होने के मौके पर श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने कहा था कि इससे देश में करीब 50 करोड़ कामगारों को लाभ होगा।
मजदूरी संहिता विधेयक, 2019 में मजदूरी, बोनस और उससे संबंधित मामलों से जुड़े कानून को संशोधित और एकीकृत किया गया है।
यह विधेयक को राज्यसभा ने दो अगस्त 2019 और लोकसभा ने 30 जुलाई, 2019 को पारित कर दिया था।
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यह संहिता चार श्रम कानून- न्यूनतम मजदूरी कानून, मजदूरी भुगतान कानून, बोनस भुगतान कानून और समान पारितोषिक कानून को समाहित करेगा।
श्रम मंत्रालय के मुताबिक इस संहिता में पूरे देश में एक समान वेतन और उसका सभी कर्मचारियों को समय पर भुगतान का प्रावधान है। अभी जो न्यूनतम वेतन कानून और वेतन भुगतान कानून है, वे उन कर्मचारियों पर लागू होते हैं जो मजदूरी सीमा के नीचे आते हैं और केवल अनुसूचित रोजगार में काम करते हैं।
फिलहाल मजदूरी के संदर्भ में विभिन्न श्रम कानूनों में अलग-अलग परिभाषाएं हैं। इससे इसके क्रियान्वयन में कठिनाई के साथ कानूनी विवाद भी बढ़ता है। इस संहिता में परिभाषा को सरल बनाया गया है और उम्मीद है कि इससे कानूनी विवाद कम होगा और नियोक्ताओं के लिए अनुपालन लागत भी कम होगा।
मजदूरी संहिता में आठ घंटे काम का प्रावधान है। ऐसी आशंका थी कि कामकाजी घंटे बढ़ाए जा सकते है। तालाबंदी के दौरान कुछ राज्यों ने उत्पादन नुकसान की भरपाई के लिए कामकाजी घंटे बढ़ा दिए थे।
केंद्र सरकार 44 केंद्रीय श्रम कानूनों को चार संहिता में समाहित करने की दिशा में काम कर रही है। ये संहिता है- मजदूरी संहिता, औद्योगिक संबंध, सामाजिक सुरक्षा और व्यावसायिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा संहिता।
औद्योगिक संबंध संहिता, 2019, व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कामकाजी स्थिति संहिता, 2019 और सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2019 को पिछले साल लोकसभा में पेश किया गया।
बाद में उसे विचार के लिए श्रम मामलों की संसद की स्थायी समिति के पास भेज दिया गया। समिति ने औद्योागिक संबंध और व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कामकाजी स्थिति संहिता पर अपनी रिपोर्ट दे दी है। सामाजिक सुरक्षा संहिता पर रिपोर्ट अभी आनी है।