अविनाश भदौरिया
उत्तर प्रदेश की राजनीति पिछले कुछ वक्त से बदली बदली सी नजर आने लगी है। कभी हाशिए पर रही भारतीय जनता पार्टी की आज सूबे में सरकार है तो वहीं यूपी में अपना वजूद तलाश रही कांग्रेस पार्टी इस समय अचानक प्रमुख विपक्षी दल की भूमिका में दिख रही है।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी लम्बे समय से योगी सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद किए हुए हैं। सरकार भी प्रियंका गांधी के वार पर पलटवार करने से नहीं चूक रही। जब भी प्रियंका योगी सरकार को घेरने की कोशिश करती हैं तो सरकार कोई न कोई ऐसा निर्णय लेती है जिससे कांग्रेस और प्रियंका गांधी को उम्मीद से भी ज्यादा पॉपुलर होने का अवसर मिल जाता है। ऐसे में बड़ा सवाल ये उठता है कि क्या योगी सरकार कांग्रेस की चाल में फंस जाती है या फिर जानबूझकर इन मुद्दों को इतना हवा दी जाती है।
पहले यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू की गिरफ़्तारी और प्रियंका गांधी के निजी सचिव संदीप सिंह के खिलाफ एफआईआर और फिर अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष शहनवाज आलम की गिरफ़्तारी ने कांग्रेस को नई संजीवनी दे दी है।
ऐसे में कई राजनीतिक पंडित ये भी कहने लगे हैं कि कांग्रेस को लगातार चर्चा में लाने के पीछे भाजपा की सोची समझी रणनीति तो नहीं है ? नागरिकता कानून के खिलाफ चले आंदोलन में भी काँग्रेसस नेताओं को हाई लाईट करना इसी रणनीति का हिस्सा है। जानकारों का कहना है कि इस बहाने भाजपा समाजवादी पार्टी के मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश में है । अगर मुसलमानों के वोट का एक हिस्सा सपा से टूट कर कांग्रेस में जाता है तो उसका सीधा फायदा भाजपा को ही होने वाला है। साथ ही साथ भाजपा अपने हिन्दू वोटों को इकट्ठा करके रखेगी।
हालांकि वरिष्ठ पत्रकार कुमार भवेश चंद्र का कहना है कि बीजेपी भले ही एक छद्म युद्ध लड़ रही हो लेकिन कांग्रेस जिस तरह इस वक्त एक्टिव है उसकी वजह कांग्रेस का अपनी प्रतिष्ठा को बचाना है। कांग्रेस की ये लड़ाई खुद के वजूद की लड़ाई है। पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस सिर्फ एक ही सीट जीत पाई है और अब उस सीट पर भी संकट नजर आ रहा है।
वरिष्ठ पत्रकार केपी सिंह कहते हैं बीजेपी का नेतृत्व इतना ज्यादा प्रतिक्रियावादी कभी नहीं रहा। ये बीजेपी की कोई रणनीति नहीं है बल्कि वह बार-बार प्रियंका के ही दांव में फंस जा रही है। वर्तमान सरकार पूरी तरह दमनात्मक नीति पर उतारू है जबकि प्रियंका गांधी योजनाबद्ध तरीके से काम कर रही हैं।
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वहीं राजनीतिक मुद्दों पर गहरी पकड़ रखने वाले पत्रकार गिरीश तिवारी का कहना है कि प्रियंका और कांग्रेस को इतना बढ़ावा देना बीजेपी की सोची समझी रणनीति का हिस्सा है। क्योंकि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में बीजेपी को कहीं न कहीं समाजवादी पार्टी से बड़ी टक्कर मिलने की संभवना अधिक है जबकि बसपा और कांग्रेस अभी इस स्थिति में नहीं है कि वो अकेले दम सरकार बना सके। ऐसे में कांग्रेस जितनी मजबूत होगी समाजवादी पार्टी उतनी ही कमजोर होगी। कुल मिलाकर बीजेपी अपने विरोधी वोट बैंक को कंफ्यूज करके उसे एकजुट नहीं होने देना चाहती। शायद यही वजह है कि कांग्रेस माइनॉरिटी सेल के चेयरमैन शाहनवाज़ आलम की गिरफ्तारी का मामला हो या फिर अजय कुमार लल्लू की गिरफ्तारी का मामला। कांग्रेस चाहती है कि अल्पसंख्यक वर्ग समाजवादी पार्टी से कटकर कांग्रेस में शिफ्ट हो ताकि बीजेपी आगामी चुनाव में आसानी से अपनी वापसी कर सके।
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