- बाबा सहित 5 के खिलाफ एफआईआर दर्ज
- नहीं मिला क्लीनिकल ट्रायल का रिकॉर्ड
ज्ञानेन्द्र सिंह
नई दिल्ली। कोरोना की आयुर्वेदिक दवा की खोज का दावा करने वाले योग गुरु बाबा रामदेव अब तकनीकी दृष्टि से भी फसते नजर आ रहे हैं। क्लिनिकल ट्रायल का कोई भी रिकॉर्ड नहीं मिला है। जयपुर पुलिस कभी भी उनसे पूछताछ कर सकती है। आयुष मंत्रालय के पास भी मरीजों का ब्यौरा नहीं है।
राजस्थान पुलिस ने गैर जमानती धाराओं के तहत मामला दर्ज कर आयुर्वेदिक दावा बनाने की पूरी प्रक्रिया का पता लगा लिया है। थाना ज्योतिनगर के प्रभारी सुधीर उपाध्याय ने बताया कि मुकदमा दर्ज कर जांच अधिकारी नियुक्त कर दिया गया है। पुलिस ने निम्स अस्पताल के मालिक डा बलवीर सिंह तोमर और उनके बेटे अनुराग सिंह तोमर को तलब किया है। अस्पताल का रिकार्ड लेने के बाद पुलिस हरिद्वार जाएगी।
पुलिस को बताया गया है कि किसी भी दवा की खोज का दावा करने वाले शोधकर्ता को अपनी रिपोर्ट सरकार को देनी पड़ती है। सरकार अपने वैज्ञानिकों से रिपोर्ट को सत्यापित करवाती है। यदि रिपोर्ट सही है तो उसके सत्यापन के बाद विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में क्लिनिकल ट्रायल की अनुमति दी जाती है। यदि इस ट्रायल से मरीज स्वस्थ हो गए तो उनकी पूरी हिस्ट्री के साथ पुनः एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार होती है जिसे मंत्रालय में जमा कराया जाता है। क्लीनिकल ट्रायल रिपोर्ट का भी परीक्षण करवाया जाता है। इस प्रक्रिया से गुजरने के बाद किसी दवा को बनाने की अनुमति दी जाती है। इतना ही नहीं, दवा बनाने के बाद उसके नमूने मंत्रालय में जमा करने पड़ते हैं जिनका विभिन्न प्रयोगशालाओं में परीक्षण होता है। एनओसी मिलने के बाद नई दवा को लांच करने की अनुमति मिलती है।
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आयुष मंत्रालय के अधिकारी बताते हैं कि बाबा रामदेव ने इन सभी सरकारी नियम-कायदों को ताक पर रखकर आनन-फानन में अपनी दवा लांच कर दी। दरअसल कोरोना की आयुर्वेदिक दवा की खोज के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं उत्सुक थे इसलिए आयुष मंत्री यशो श्रीपद नायक भी दवा के लिए मजबूत प्रोटोकॉल बना दिया था ताकि कहीं कोई चूक न होने पाए ।
इससे पहले डा संजीव ने थाना गांधी नगर में मामला दर्ज कराया था। तब डा तोमर ने अपने अस्पताल में ट्रायल से मना कर दिया था। मगर अब दो वकीलों ने बाबा रामदेव की कानूनी मुश्किलें और ज्यादा बढ़ा दी है। उनकी शिकायत पर शनिवार को बाबा रामदेव के अलावा आचार्य बालकृष्ण, निजी मेडिकल कालेज (निम्स) के निदेशक डा. तोमर, उनके पुत्र अनुराग सिंह तोमर व एक वैज्ञानिक अनुराग वार्ष्णेय के नाम एफआईआर दर्ज की गई हैं। इनके खिलाफ धारा 420 तथा दवा व जादुई उपचार कानून की विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। राजस्थान के चिकित्सा विभाग ने शुक्रवार को निम्स अस्पताल को नोटिस जारी किया था। उत्तराखंड व महाराष्ट्र सरकार भी आपत्ति कर चुकी है।
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