जुबिली न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली। सरकार ने ऐलान किया कि सभी सहकारी बैंकों और बहु- राज्यीय सहकारी बैंकों को रिजर्व बैंक की देख रेख के तहत लाया जायेगा। सरकार के इस कदम का मकसद सहकारी बैंकों के जमाकर्ताओं को संतुष्टि और सुरक्षा देना है।
अब को-ऑपरेटिव बैंक भी रिजर्व बैंक की निगरानी में आएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बुधवार को कैबिनेट बैठक हुई। इससे पीएमसी बैंक जैसे घोटोलों पर रोक लगाने में मदद मिलेगी।
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सरकार के फैसले के बारे में बताते हुए केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, देश में 8.6 करोड़ जमाकर्ताओं का करीब पांच लाख करोड़ रुपये जमा वाले 1,540 को-ऑपरेटिव बैंक हैं। अब को-ऑपरेटिव बैंकों में आरबीआई की गाइडलाइंस लागू करने का प्रस्ताव है, उनसे जुड़े प्रशासनिक मसलों को रजिस्ट्रार ऑफ को-ऑपरेटिव्स देखते रहेंगे।
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण में कहा था कि बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट में संशोधन कर कोऑपरेटिव बैंकों में प्रोफेशनलिज्म बढ़ाने और कोऑपरेटिव गवर्नेंस में सुधार लाने के लिए उनकी निगरानी का काम आरबीआई को दिया जाएगा।
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साथ ही सरकार ने अपनी प्रमुख योजना प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) के तहत शिशु कर्ज श्रेणी के कर्जदाताओं को 2 प्रतिशत ब्याज सहायता देने को मंजूरी दे दी है। शिशु श्रेणी के अंतर्गत लाभार्थियों को 50,000 रुपये तक कर्ज बिना किसी गारंटी के दिया जाता है। पात्र कर्जदाताओं को 31 मार्च 2020 तक के बकाया ऋण पर ब्याज सहायता 12 महीने के लिये मिलेगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ अप्रैल 2015 को पीएमएमवाई की शुरूआत की थी। इसके तहत 10 लाख रुपये तक का कर्ज लघु एवं सूक्ष्म उद्यमों को दिया जाता है। मुद्रा कर्ज के नाम से चर्चित यह ऋण वाणिज्यिक बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, छोटी राशि के कर्ज कर्ज देने वाले संस्थान (एमएफआई) और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां देती हैं।
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