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आखिर क्यों असफल हुई मोदी सरकार की यह महत्वाकांक्षी योजना

  • 6 साल बाद भी असफल है सांसद आदर्श ग्राम योजना
  • ग्राम पंचायतों की सूरत बदलने की थी योजना, ऑडिट में कहा गया- समीक्षा करे सरकार

जुबिली न्यूज डेस्क

केंद्र की सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार ने बड़ी उम्मीदों के साथ “सांसद आदर्श ग्राम योजना” की शुरुआत की थी, पर छह साल बाद भी यह योजना सफल नहीं हुई।

इस योजना के तहत सरकार गांवों को मॉडल गांव में विकसित करना चाह रही थी, पर सांसदों के रूचि न लेने की वजह से यह योजना खटाई में पड़ती दिख रही है। सांसदों द्वारा चुनी गई ग्राम पंचायतों में कोई खास विकास कार्य नहीं हुए हैं। अब सेंट्रल परफॉर्मेंस ऑडिट ने ग्रामीण विकास मंत्रालय से इस योजना की समीक्षा करने की अपील की है।

केंद्र सरकार ने अक्टूबर 2014 में सांसद आदर्श ग्राम योजना लॉन्च किया था। इस योजना के तहत सांसदों को एक गांव गोद लेने को कहा गया था। हालांकि इसके लिए सरकार ने बजट का आवंटन नहीं किया था।

इस योजना के तहत सांसदों को अपनी सांसद निधि से गोद ली गई ग्राम पंचायत में विकास कार्य कराने थे। इस योजना का उद्देश्य था कि हर सांसद द्वारा मार्च 2019 तक तीन मॉडल गांव विकसित किए जाएं, जिन्हें 2024 तक बढ़ाकर पांच किया जाना था।

ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा कॉमन रिव्यू मिशन 2019 के तहत ग्रामीण योजनाओं की समीक्षा करने का निर्देश दिया गया था, जिसके बाद ऑडिट टीम ने देश के विभिन्न राज्यों में जाकर सांसद आदर्श ग्राम में हुए विकास कार्यों का जायजा लिया।

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जांच में पता चला है कि इन सांसद आदर्श ग्राम पंचायत में कोई खास विकास कार्य नहीं हुए हैं। सांसदों ने इस योजना के लिए अपनी सांसद निधि से ज्यादा रकम नहीं दी। कुछ जगहों पर ही सांसदों ने काम कराया है लेकिन वह भी इस योजना को प्रभावी बनाने में नाकाम रहा है।

प्रधानमंत्री के आह्वान पर सांसदों ने गांवों को गोद तो ले लिया लेकिन काम कराने में कोई रूचि नहीं लिया। मोदी के आह्वान के बाद भी सभी सांसदों ने गांवों को गोद भी नहीं लिया है। जिसने गोद लिया है उन्होंने भी एक-दो विकास कार्य कराकर फिर पलट कर नहीं देखे।

दरअसल इस योजना की असफलता का बड़ा कारण वोट बैंक रहा। सांसदों को डर था कि एक गांव गोद लेने पर अन्य गांवों में उनके प्रति लोगों में नाराजगी बढ़ सकती है। इसके साथ ही इस योजना में बजट का आवंटन नहीं किया जाना भी, इसके असफल होने का कारण बनी।

गौरतलब है कि कोरोना वायरस संक्रमण रोकने के लिए हुई तालाबंदी के चलते सरकारी खजाने को हुए नुकसान के कारण सरकार द्वारा कई योजनाओं की समीक्षा की जा रही है।

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