जुबिली न्यूज डेस्क
बीते दिनों सेना के पूर्व अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल एचएस पनाग ने सवाल उठाए थे कि सब कुछ जानते हुए भी जवानों को बिना हथियार के क्यों भेजा गया? प्रमुख विपक्षी पार्टी के नेता राहुल गांधी ने भी सवाल पूछा था कि किसके आदेश पर भारतीय सैनिक तनाव वाले इलाके में बिना हथियार के गए थे? इसके अलावा मीडिया में आई कई खबरों में दावा किया गया था कि घाटी में तैनात कम से कम 10 सिपाही और अधिकारियों की कोई खबर नहीं है और संभव है कि उन्हें चीन ने बंदी बना लिया हो। ये सैनिक कहां है? ऐसे कई सवाल पिछले तीन दिन से पूछे जा रहे हैं और इन सवालों का सही-सही जवाब अब तक नहीं मिल पाया है।
ये भी पढ़े: बंदर ने ऐसा क्या किया जो तीन साल से बंद है बाड़े में
ये भी पढ़े: 6 साल में 18 मुलाकातों के बाद भारत को हासिल क्या है ?
ये भी पढ़े: भारत चीन खूनी झड़प: 76 सैनिक अस्पताल में भर्ती, सीमा पर तनाव बरकरार
लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय सेना के कम से कम 20 सैनिकों के मारे जाने के चार दिनों बाद अभी तक हालात को लेकर सही जानकारी का अभाव नजर आ रहा है। गुरुवार को तो भारतीय सैनिकों के लापता होने की खबरें आई और कुछ घंटों बाद फिर उनकी रिहाई की भी खबरें आने लगी।
इन सब खबरों के बीच भारतीय सेना का आधिकारिक बयान आया कि भारत का कोई भी सैनिक या अधिकारी लापता नहीं है। हालांकि खबरों में दावा किया जा रहा था कि दोनों सेनाओं के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच बातचीत के बाद चीन ने भारतीय सैनिकों को रिहा किया, लेकिन सेना के बयान में कोई भी विस्तृत जानकारी नहीं थी।
सबसे ज्यादा बहस इस पर हो रही है कि कि क्या मारे गए सिपाही और उनके कमांडिंग अधिकारी निहत्थे थे? राहुल गांधी ने जब यह सवाल पूछा तो विदेश मंत्री जयशंकर सिंह ने कहा कि कर कहा कि सीमा पर तैनात सैनिकों के पास हमेशा हथियार होते हैं। गलवान में मारे गए सैनिकों के पास भी हथियार थे लेकिन कुछ समझौतों की शर्तों के तहत इस तरह के गतिरोधों के दौरान हथियारों का इस्तेमाल ना करने का पुराना चलन है।
अब जब विदेश मंत्री ने कहा कि सेना के जवान हथियार के साथ गए थे लेकिन इसका इस्तेमाल नहीं किया। इस पर लोग सवाल कर रहे हैं कि चीन की सेना ने भारत के जवानों को बेरहमी से मारा और भारत के जवानों ने आत्मरक्षा में हथियारों का इस्तेमाल नहीं क्यों नहीं किया? यह कैसा समझौता है?
वहीं विदेश मंत्री जयशंकर के इस बयान से पहले सेना के पूर्व अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल एचएस पनाग ने भी सवाल उठाया था। उन्होंने सवाल पूछा था कि सब कुछ जानते हुए भी जवानों को बिना हथियार के क्यों भेजा गया? उन्होंने यह भी कहा था कि 200 साल के इतिहास में भारतीय सेना का ऐसा अपमान कभी नहीं हुआ। उन्होंने यह भी कहा था कि सेना के जवान ऊपर के आदेश के कारण ही बिना हथियार के गए थे और वहां उनकी हत्या कर दी गई। एचएस पनाग के इस वीडियो को ट्वीट करते हुए राहुल गांधी ने सवाल पूछा था।
हालांकि लेफ्टिनेंट जनरल एचएस पनाग ने उस समझौते का हवाला देते हुए कहा, ”1996 के समझौते का अनुच्छेद छह। यह समझौता सीमा प्रबंधन में प्रभावी है न कि रणनीतिक सैन्य संकट की स्थिति में। अगर सुरक्षा बलों की जान खतरे में होगी तो वो अपने सभी तरह के हथियार का इस्तेमाल कर सकते हैं।”
Article 6 of 1996 Agreement! These agreements apply to border management snd not while dealing with a tactical military situation. Lastly when lives of soldiers or security of post/territory threatened, Cdr on the spot can use all weapons at his disposal including Artillery. pic.twitter.com/6J4KD33nhg
— Lt Gen H S Panag(R) (@rwac48) June 18, 2020
इसके अलावा पूर्व सेना प्रमुख वी पी मलिक ने भी मीडिया को दिए एक साक्षात्कार में कहा है कि इन समझौतों के तहत हथियारों के इस्तेमाल पर पाबंदी तो है लेकिन जब तक दोनों देशों के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा की रूपरेखा स्पष्ट नहीं हो जाती तब तक इन समझौतों का कोई अर्थ ही नहीं है।
ये भी पढ़े: राज्यसभा चुनाव: बीजेपी उच्च सदन में बहुमत हासिल करने में होगी कामयाब ?
ये भी पढ़े: बेरोजगार हैं तो यहां मिलेगा पार्ट टाइम रोजगार
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह समेत कई पूर्व सैन्य अधिकारियों का यही कहना है कि भारतीय सेना के नियम किसी भी सैनिक को अपने प्राणों की रक्षा करने के लिए हथियारों के इस्तेमाल से नहीं रोकते।
कैप्टन के मुताबिक कम से कम कमांडिंग अफसर पर हमला होने के बाद जो भी अगला प्रभारी अफसर था उसे गोली चलाने का निर्देश देना चाहिए था। पूर्व अधिकारियों का मानना है कि ऐसा ना होने का मतलब है कि कहीं ना कहीं चूक हुई है।