जुबिली न्यूज डेस्क
लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ संघर्ष में 20 भारतीय जवानों की मौत के ख़िलाफ़ पूरे देश में हो रहे विरोध प्रदर्शन जारी हैं। निहत्थे जवानों पर विश्वासघात करके लाठी-ठंडो से हत्या करने से नाराज जनता अपना गुस्सा चीन से आयात किए गए सामान पर निकाल रही है।
सोशल मीडिया में ऐसे कई वीडियो वायरल हो रहे हैं, जिसमें देखा जा रहा है कि लोग चीनी उपकरणों को तोड़ रहे हैं। कई लोगों का कहना है कि भारत को चीन से समान नहीं मंगाना चाहिए। साथ ही वे चीनी समान का बहिष्कार करने की मांग कर रहे हैं।
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दूसरी ओर व्यापार संगठनों की ओर से चीनी माल के बहिष्कार का उन व्यापारियों पर कोई खास असर नहीं पड़ा है, जो चीन से बड़े पैमाने पर आयात करते हैं। लॉकडाउन की बंदिशों के चलते स्थानीय बाजारों में हाल में चीन से बहुत कम माल आया है।
लेकिन अब बाजार खुलने के साथ बड़े पैमाने पर ऑर्डर दिए जा रहे हैं। फेस्टिव सीजन का माल भी मंगाया जा रहा है। चीन के कई सुपरमार्केट्स और औद्योगिक शहरों में अपने दफ्तर तक खोल चुके स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि अगर सरकार चाहे तो एंटी-डंपिंग से चीनी वस्तुओं का आयात तुरंत घटा सकती है।
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चीन के व्यापारिक शहर ईवू से पिछले 10 साल से इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक और होम अप्लायंसेज का आयात करते आ रहे करोलबाग के ट्रेडर सतीश आहूजा ने बताया, ‘चीन के रवैये से हम सब आहत हैं, लेकिन ऑर्डर कोई भी कैंसल नहीं करना चाहता क्योंकि हम नहीं, तो कोई और मंगाएगा। सरकार आयात नहीं रोक सकती, लेकिन उसके पास टैरिफ लगाने का विकल्प है। वह ऐसा करे और वैकल्पिक बाजार सुझाए तो हम आज चीनी माल रोक दें।’
चीनी माल में व्यापारियों की दिलचस्पी की कुछ व्यावहारिक वजहें भी हैं। सदर बाजार में फेस्टिव सामान के इम्पोर्टर विपिन गुप्ता ने कहा, ‘चीन की कंपनियां जमकर उधार देती हैं। मैं खुद छह-छह महीने या कई बार नौ महीने बाद तक पेमेंट करता रहा हूं। कई कंपनियां तो माल बिकने के बाद ही पेमेंट करने तक का भरोसा देती हैं। ऐसी क्रेडिट फैसिलिटी देश में मिले तो हम वहां से क्यों माल मंगाएं।‘
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भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के पदाधिकारी और सदर बाजार के आयातक पवन कुमार ने कहा, ‘मैं चीन से माल नहीं मंगाना चाहता, लेकिन चाहकर भी ऐसा नहीं कर पाता। हमें जमीनी हकीकत समझनी होगी। क्या वजहें हैं कि आज देश में बिकने वाले 75 फीसदी मोबाइल, 45 फीसदी टीवी, 8 फीसदी लेदर गुड्स, 20 फीसदी ऑटो कंपोनेंट चाइनीज हैं।
बताते चले कि भारत कारोबार खत्म कर चीन को करीब 75 अरब डॉलर (5.7 लाख करोड़ रुपए) का नुकसान पहुंचा सकता है। इसके लिए भारत को सिर्फ करीब 18 अरब डॉलर (करीब 1.37 लाख करोड़ रुपए, 76.14 रुपए प्रति डॉलर की विनिमय दर से) का नुकसान सहन करना पड़ेगा। भारत चीन से जितना आयात करता है, उसकी तुलना में काफी कम उसे निर्यात करता है।
वर्ष 2019 में भारत ने चीन से करीब 75 अरब डॉलर के सामान का आयात किया और उसे सिर्फ करीब 18 अरब डॉलर का निर्यात किया। इस तरह देखें तो चीन से व्यापार में भारत को 56.77 अरब डॉलर का नुकसान हुआ। अगर भारत, चीन के साथ कारोबार खत्म करता है तो न सिर्फ इस घाटे से बच सकता है बल्कि चीन की अर्थव्यवस्था को घुटने के बल झुका भी सकता है। हालांकि इसके लिए सरकार को जरूरी होम वर्क पहले कर लेना होगा।