- तेज प्रताप यादव को आरजेडी भेज सकती है विधान परिषद
- तेजस्वी यादव की राह आसान करने के लिए उठाया जा रहा है यह कदम
- आरजेडी नहीं चाहती है कि पार्टी के अंदर भी नेतृत्व को लेकर उठे कोई सवाल
- महागठबंधन के घटक दल तेजस्वी यादव के नेतृत्व पर उठा चुके हैं सवाल
जुबिली न्यूज डेस्क
राष्ट्रीय जनता दल विधानसभा चुनावों को लेकर खासा एहतियात बरत रही है। हर कदम सोच-समझकर उठा रही है। वह जातीय समीकरण से लेकर नेतृत्व के हर संभावनों पर गौर कर रही है, ताकि आने वाले समय में किसी भी तरह का कोई सवाल न खड़ा हो।
बिहार के सियासी गलियारों में चर्चा है कि आरजेडी तेज प्रताप यादव को विधान परिषद भेज सकती है। फिलहाल तेज प्रताप अभी महुआ सीट से विधायक हैं। विधान सभा चुनावों को देखते हुए पार्टी उन्हें विधान परिषद भेजने का सोच रही है।
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पार्टी के भीतर चर्चा है कि आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए आरजेडी विधान परिषद में जातीय समीकरण बिठाने के लिए अति पिछड़ा और अल्पसंख्यक कोटे से एक-एक उम्मीदवार को विधान परिषद भेज सकती है।
सूत्रों के मुताबिक आरजेडी के अंदर किसी उच्च जाति से खासकर राजपूत समाज से विधान परिषद प्रत्याशी बनाने की मांग हो रही है। कहा जा रहा है कि भूमिहार समाज से आरजेडी ने एडी सिंह को राज्यसभा भेजा है तो राजपूतों को विधान परिषद में उम्मीदवारी मिलनी चाहिए।
बिहार में विधान परिषद की 9 सीटों के लिए चुनाव होने हैं। यह सभी सीटें जेडीयू और बीजेपी के कोटे की हैं, लेकिन इस बार विधान सभा में दलों की मजबूती के हिसाब से तीन सीट आरजेडी के खाते में जाएगी। वहीं एक सीट कांग्रेस के खाते में भी जाना तय है। बाकी की पांच में तीन जेडीयू और दो बीजेपी के हिस्से में जाएंगी।
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एक वजह यह भी है
आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को विधान परिषद भेजने के पीछे एक बड़ी वजह तेजस्वी यादव हैं। पार्टी तेजस्वी की राह को आसान करने के लिए यह करने जा रही है।
आगामी विधानसभा चुनाव में आरजेडी सीएम का चेहरा तेजस्वी यादव को घोषित कर चुकी हैं, पर महागठबंधन के घटक दल तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री का चेहरा मनाने को तैयार नहीं हैं। ऐसे में पार्टी को लगता है कि विधानसभा चुनाव के बीच में पार्टी के अंदर तेजस्वी और तेजप्रताप के चेहरे को लेकर कोई कन्फ्यूजन पैदा ना हो।
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