न्यूज डेस्क
दुनिया भर की मीडिया की निगाहे भारत और चीन के बीच हुए खूनी संघर्ष पर टिकी हुई है। भारत – चीन के बीच बढ़ते तनाव के बीच नेपाल की भी चिंता बढ़ गई है। नेपाल ने अपनी चिंता जाहिर करते हुए दोनों देशों से शांति की अपील की है।
नेपाल के सेवानिवृत्त राजनयिकों और अंतरराष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञों ने चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच हिंसक झड़पों की खबरों पर दुख व्यक्त किया है।
मंगलवार को जो हुआ नेपाल को उसकी उम्मीद बिल्कुल नहीं थी। उन्हें उम्मीद थी कि सैन्य गतिरोध आगे नहीं बढ़ेगा क्योंकि पूरे क्षेत्र के लिए इसके दूरगामी परिणाम होंगे।
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भारत और चीन की सेना के बीच हुए खूनी संघर्ष पर नेपाल के विदेश मंत्रालय ने मंगलवार शाम तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी। लेकिन मीडिया से बातचीत में कुछ पूर्व राजनयिकों, रणनीतिक विश्लेषकों और वरिष्ठ पत्रकारों ने लद्दाख क्षेत्र में भारत-चीन सीमा पर शांति बनाए रखने की अपील की है। इन लोगों ने चीन और भारत से संयम बरतने और जल्द से जल्द शांतिपूर्ण समाधान निकालने का आग्रह किया।
बीबीसी में छपी खबर के अनुसार पूर्व उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री सुजाता कोइराला ने उम्मीद जताई है कि भारत और चीन अपने सीमा विवादों को सुलझाने के लिए कूटनीतिक बातचीत में तेजी लाएंगे।
कोइराला ने कहा, ” हमारे दोनों देशों भारत और चीन के साथ अच्छे संबंध हैं। हम उनके संबंधों और दोस्ती को और मजबूत होते देखना चाहते हैं। भारत और चीन के बीच किसी भी संघर्ष के पूरे एशियाई क्षेत्र में दूरगामी प्रभाव होंगे।”
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नेपाल के पूर्व विदेश मंत्री और लंबे समय तक भारत में राजदूत रहे भेख बहादुर थापा ने भी भारत और चीन के बीच हालिया कूटनीतिक संवाद का स्वागत किया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि दोनों पक्ष जल्द ही लंबे समय से चले आ रहे सीमा विवादों का शांतिपूर्ण समाधान निकालेंगे।
थापा ने बीबीसी से कहा है कि “हिंसक झड़पें अब शांति स्थापित किए जाने का संकेत देती हैं। लद्दाख और अन्य क्षेत्रों में भारत-चीन सीमा विवाद पिछले युद्ध की विरासत है। इसका समाधान ज्यादा बैठकें करने और राजनयिक व राजनीतिक हल खोजने से हो पाएगा।”
भेख बहादुर थापा ने सुझाव दिया कि अन्य सीमा विवादों जैसे लिंपियाधुरा-लिपुलेख को लेकर भारत-नेपाल सीमा विवाद को भी लगातार राजनयिक बातचीत के जरिए हल किया जा सकता है।
सोशल मीडिया पर भी लोग अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। वरिष्ठ पत्रकार और हिमाल साउथ एशियन के संस्थापक संपादक कनक मणि दीक्षित ने भी सोशल मीडिया पर अन्य दक्षिण एशियाई पत्रकारों के साथ गलवान घाटी में हुई झड़प पर हैरानी जाहिर की है। उन्होंने उम्मीद जताई कि भारत और चीन के बीच सैन्य तनाव और अधिक खतनाक स्तर पर नहीं पहुंचेगा।
वरिष्ठ पत्रकार और देशसंचारडॉटकॉम के संपादक युवराज घिमिरे ने भी उम्मीद जतायी है कि भारत और चीन हिमालयी सीमाओं पर शांति बनाने की दिशा में काम करना जारी रखेंगे।
घिमिरे ने कहा, “हमें पूरी उम्मीद है कि इस क्षेत्र में शांति है। अगर भारत और चीन के बीच सैन्य तनाव बढ़ता है तो नेपाल भी इससे प्रभावित होगा, क्योंकि उसके दोनों के साथ संबंध हैं। अगर भारत और चीन मौजूदा तनाव को कम करने के लिए राजनयिक रास्ते का इस्तेमाल करते हैं, तो यह क्षेत्रीय शांति की दिशा में एक अच्छा कदम होगा। “