- डैमेज कंट्रोल करने के लिए यूपी में होने जा रही है वर्चुअल रैली
- कोरोना काल में हुए नुकसान की भरपाई करना भी है शामिल
- यूपी के माध्यम से बिहार में संदेश देगी बीजेपी
जुबिली न्यूज डेस्क
कोरोना महामारी के बीच में बीजेपी की सक्रियता बढ़ गई है। शीर्ष नेतृत्व से लेकर कार्यकर्ता एक्शन मोड में आ गए हैं। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बिहार से वर्चुअल रैली कर इसकी शुरुआत किया। ओडीशा, पश्चिम बंगाल के बाद अब उत्तर प्रदेश में भी बीजेपी क्षेत्रीय वर्चुअल रैली की तैयारी में जुट गई है। इस रैली के माध्यम से बीजेपी एक तीर से कई निशाने साधेगी।
उत्तर प्रदेश में भाजपा की पहली क्षेत्रीय वर्चुअल रैली 21 जून को होगी। पूरे यूपी को तीन भागों में बांटा गया है। 21 जून को पश्चिमी क्षेत्र में वर्चुअल रैली होगी जिसे केंद्रीय मंत्री व पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी संबोधित करेंगे। इसी क्रम में पूर्वी क्षेत्र की 24 को प्रस्तावित रैली में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर और 27 जून को मध्य क्षेत्र की रैली में स्मृति ईरानी शामिल होंगी। प्रत्येक रैली में डेढ़ से दो लाख लोगों को जोडऩे की तैयारी है। इसके लिए जिला कमेटियों की बैठकें मंगलवार से आरंभ होगी।
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बीजेपी इसकी तैयारी में जुट गई हैं। इसके लिए बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं को लगा दिया गया है। कार्यकर्ताओं को अपने क्षेत्र में अधिक से अधिक लोगों के मोबाइल फोन एकत्रित करने को कहा गया है। इससे पहले बीजेपी ने जिला व मंडल स्तर पर वर्चुअल सभाएं व बैठके की थी। इसकी सफलता से उत्साहित प्रदेश भाजपा नेतृत्व अब वर्चुअल रैलियों को कामयाब बनाने में जुट गया है।
एक तीर से कई निशाने साधेगी बीजेपी
कोरोना महामारी के बीच में बीजेपी की सक्रियता पर आम लोगों को थोड़ा अचरज होगा, लेकिन जानकारों को नहीं है। जानकारों की माने तो जनता के बीच जाना बीजेपी की मजबूरी है। कोरोना महामारी ने अर्थव्यवस्था को ही नुकसान नहीं पहुंचाया है, बल्कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की छवि के साथ-साथ सरकार के कामकाज को भी सवालों के घेरे में ला दिया है।
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वरिष्ठ पत्रकार सुरेन्द्र दुबे कहते हैं, तालाबंदी के बीच प्रवासी मजदूरों के पलायन ने बीजेपी को खासा नुकसान पहुंचाया है। प्रवासी मजदूर अपने घर तक पहुंचने में जिन तकलीफों को झेले हैं, उसकी टीस इतनी जल्दी नहीं खत्म नहीं होगी। बीजेपी को इसका भलीभांति एहसास है कि सरकार की छवि डैमेज हुई है। वर्चुअल रैली डैमेज कंट्रोल के लिए ही हो रही है।
वह कहते हैं, सबसे ज्यादा प्रवासी मजदूर बिहार और यूपी लौट कर आए हैं। बीजेपी ने इसकी शुरुआत बिहार से की। बिहार में तो पिछले दिनों बीजेपी कार्यकर्ता घर-घर जाकर मोदी की चिट्ठी बांटे। अब यूपी में रैली के माध्यम से सरकार का कामकाज बीजेपी गिनायेगी। जाहिर है यूपी में सरकार के कामकाज की तारीफ होगी तो इसका शोर बिहार में भी सुनाई देगा। और बिहार के लोग ये सब सुने, यही बीजेपी की मंशा है।
बीजेपी की क्षेत्रीय वर्चुअल रैली पर वरिष्ठ पत्रकार राजीव ओझा कहते हैं, देखिए बीजेपी बैठी रहने वाली पार्टी नहीं है। दो महीने से उनके कार्यकर्ता, पदाधिकारी कोरोना की वजह से घरों में थे। इस रैली के माध्यम से सबसे पहले बीजेपी अपने कार्यकर्ताओं को एक् शन मोड में ला दी है। बीजेपी आज यहां तक पहुंची है तो उसकी बड़ी वजह उनके कार्यकर्ता हैं।
फिलहाल बीजेपी सोशल मीडिया छोड़कर अब मैदान में उतर गई है। यूपी में बीजेपी जनता को जहां वह सरकार का उपलब्धियां गिनायेगी तो साथ में विपक्ष की कमियां भी गिनायेगी। पिछले दिनों अमित शाह ने जब बिहार, ओडीशा और पश्चिम बंगाल में वर्चुअल रैली किए थे तो उनके निशाने पर विपक्षी दल ही थे। बिहार में उनके निशाने पर जहां लालू थे तो ओडीशा में कांग्रेस थी। पश्चिम बंगाल में उन्होंने बदलाव का आह्वïान करते हुए ममता बनर्जी पर जमकर निशाना साधा था। तो एक बार फिर यूपी की राजनीति में ऐसा ही कुछ विपक्ष के लिए देखने को मिलने वाला है। अब विपक्ष बीजेपी को कैसे काउंटर करेगी यह देखना दिलचस्प होगा।