जुबिली न्यूज डेस्क
वैश्विक महामारी कोरोना से बचाव के इंतजाम में लोगों को धोखाधड़ी का सामना करना पड़ रहा है। धोखाधड़ी के स्तर का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कोरोना वायरस से बचाव के बेहद जरूरी पीपीई किट देशभर में मेडिकल स्टोरों सहित सामान्य कपड़ों की कुछ दुकानों और रेहड़ी-पटरी मार्केट पर बेची जा रही हैं। इसका दाम भी फुटपाथ पर बिकने वाले एक सामान्य कपड़े के बराबर है। बाजार में ये 100 रुपये से लेकर 1000 रुपये में उपलब्ध है।
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आपको बता दें कि पीपीई किट के साथ अहम शर्त है कि यह किटाणु रहित होना चाहिए, जबकि फुटपाथ पर ये किट धूल के साथ लोगों के थूक से निकलने वाले विषाणुओं को भी झेल रहे हैं। मात्र रेहड़ी-पटरी वाले ही नहीं, कई दुकानों से पीपीई किट के नाम पर यह फर्जीवाड़ा जारी है।
कोविड-19 महामारी कानून की धज्जियां उड़ाकर तिरपाल और नॉन वुवन कपड़े से बिना किसी निर्धारित मापदंड और हाइजेनिक नियमों की अनदेखी कर घरों के अंदर गंदगी के माहौल में तैयार हो रही नकली पीपीई किट कोरोना के योद्धाओं के लिए भी जानलेवा हो सकती है। अगर इस किट के इस्तेमाल से किसी भी डॉक्टर्स व स्वास्थ्य कर्मी की जान पर संकट या खतरा मंडराता है तो उसका जिम्मेवार आखिर कौन होगा।
हाइजेनिक मापदंडों की धज्जियां उड़ाकर नकली पीपीई किट के काले धंधे में पकड़े जाने और इससे किसी डॉक्टर्स व स्वास्थ्य कर्मी की जान चले जाने पर दो साल से लेकर उम्रकैद और जुर्माने की सजा का प्रावधान हैं, लेकिन फिर भी दलालों का नकली पीपीई किट बनाने का काला धंधा बेधड़क जारी है।
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चिंतित करने वाली बात यह कि जानकारी के अभाव में इसे लोग बड़े पैमाने पर खरीद भी रहे हैं। लॉकडाउन-5 में बाजारों और फैक्टि्रयों के साथ कार्यालयों को खोल दिए जाने के बाद निजी खरीदारों में पीपीई किट की मांग बढ़ी है तो उसी हिसाब से इसके नाम पर फर्जीवाड़ा भी शुरू हो गया है। फुटपाथ से लेकर दुकानों पर पीपीई किट के नाम पर ऐसे कपड़े और प्लास्टिक के उत्पाद बेचे जा रहे हैं, जो किसी भी मानक पर खरे नहीं उतरते हैं।
दिल्ली विश्वविद्यालय के पास स्थित कमला नगर मार्केट में एक ब्रैंडेड कपड़ों की दुकान में पीपीई किट बेची जा रही है। इस किट में सर्जिकल गाउन, दस्ताने, फेस शील्ड, फेस मास्क और शू कवर मिल रहे हैं। जबकि चश्मा साथ नहीं मिल रहा।
इसकी वजह पूछने पर दुकानदार बताते हैं कि चूंकि फेस शील्ड मिल रही है, इसलिए पीपीई किट में चश्मा साथ नहीं रखा गया है।
दुकानदार ने बताया, ‘हमारे पास दो तरह की पीपीई किट है। इनमें से एक सिंगल यूज पीपीई किट है जिसे केवल एक बार इस्तेमाल किया जा सकता है, उसकी कीमत 800 है। जबकि दूसरी पीपीई किट वॉशेबल है जिसे धोकर दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है। उसकी कीमत 1000 रुपये है। इनकी असली कीमत 1499 रुपये और 2000 रुपये है, लेकिन ये 50% डिस्काउंट पर बेची जा रही हैं।’
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वहीं कुछ मेडिकल शॉप पर 500-600 रुपये की पीपीई किट बिक रही हैं। उधर राजधानी के थोक दवा मार्केट भगीरथ पैलेस में तो 350 रुपये तक की पीपीई किट भी उपलब्ध हैं।
चूंकि दाम में अंतर है, तो जाहिर सी बात है कि क्वालिटी में भी फर्क नजर आएगा। इस क्वालिटी के अंतर पर एक दुकानदार (जिनकी पीपीई किट 1000 रुपये की है) बताते हैं, ‘दाम के चलते थोड़ा सा क्वालिटी का फर्क तो होता है। जिसका रेट ज्यादा है, वो टेप्ड होती है यानी उसकी सिलाई पर भी टेप लगा होता है जबकि दूसरी वाली पर टेप नहीं होता। फिर सस्ती किट का कपड़ा भी थोड़ा हल्का ही होता है।
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सस्ती पीपीई किट पूरी तरह से कम्फर्टेबल भी नहीं होती, कई बार तो उसे सर्टिफिकेट भी नहीं मिला होता है।’ वह कहते हैं, ‘अगर आप फ्लाइट या ट्रेन से सफर कर रहे हैं, तो सस्ती पीपीई किट पहनी जा सकती है। लेकिन अगर आप सलून, मॉल या ऐसे किसी काम के लिए ले रहे हैं, जिसमें कस्टमर डीलिंग होती है, तो 1000-1200 वाली किट लें, ताकि आप उसे धोकर दोबारा इस्तेमाल कर सकें।’
वहीं पीपीई किट बेच रहे एक मेडिकल शॉप ओनर (जिनकी पीपीई किट 500 की है) ने भी अपनी पीपीई किट को वॉशेबल बताया। दाम के अंतर पर वह कहते हैं, ‘ब्रैंड के चलते ही दाम कम या ज्यादा होता है। बाकी काम दोनों पीपीई किट के एक जैसे ही हैं। हमारे यहां बिकने वाली पीपीई किट भी पूरी तरह सुरक्षित हैं।’
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क्या उनकी पीपीई किट को सरकार की किसी संस्था से मान्यता मिली है। इसका वह कोई सीधा जवाब तो नहीं देते, लेकिन इतना जरूर कहते हैं कि अभी सरकार की मर्जी के बिना कोई पीपीई किट नहीं बन सकती है, तो इसकी भी मंजूरी जरूर ली गई होगी। और वैसे भी इसका पूरा प्रोसेस होता है जिसके बाद ही पीपीई किट हम तक पहुंचती है।’