Tuesday - 29 October 2024 - 9:56 AM

प्रियंका गांधी का लेख – अडिग और अजय ‘लल्लू’

प्रियंका गांधी वाड्रा

Probe ordered into Priyanka Gandhi Vadra security breach - The Hinduउन्नाव रेप कांड, जिसमें बलात्कार पीड़िता को बलात्कारियों ने जिंदा जला दिया, ने हम सबको झकझोर दिया था। मैं पीड़ित परिवार से मिलना चाहती थी। ठंड और कुहासे से भरी एक सुबह हम उन्नाव के लिए निकले। कार के अंदर माहौल उदास था, जिस परिवार से हम मिलने जा रहे थे उसे हिंसा ने उजाड़ दिया था।

न्याय के लिए उनके संघर्ष और दर्द को हमने वास्तव में महसूस किया था। लेकिन अन्याय देखकर चुप रहना अजय लल्लू की फितरत नहीं है, कहने लगे, “दीदी, पूरे प्रदेश में आंदोलन खड़ा करना होगा,” उन्होंने आह्वान किया, “संघर्ष, संपर्क, और संवाद” इनके बिना दीदी, कुछ भी कर लीजिये–राजनीति सफल नहीं हो सकती”।

कुछ घंटों में हमारा पड़ाव आ गया। झोंपड़ी के बाहर भीड़ थी। कैमरे और माइक के साथ लोग झोपड़ी के पीछे एक चारपाई पर गिरे पड़े थे। चारपाई पर लड़की की भाभी और नौ साल की भतीजी बैठे थे। उम्र से अधिक बूढ़े हो चुके उसके पिता बगल में खड़े थे।

बेलगाम भीड़ को देखते हुए मैंने अनुरोध किया कि हम उनकी कोठरी के अंदर चलें और उनकी बात सुनें। लड़की की भाभी परिवार के भयानक अनुभव बता रही थी। हम मौन शर्मिंदा होकर उनकी अकल्पनीय आपबीती सुन रहे थे।

Hearing On Bail Plea Of Uttar Pradesh Congress President Ajay ...

लड़की के पिता चारपाई के एक कोने पर बैठे थे। कोठरी की इकलौती खिड़की से आने वाली रोशनी उनके चेहरे की झुर्रियों पर पड़ रही थी। अब तक वे एक शब्द नहीं बोले थे। बहू ने यह बताते हुए अपनी दास्तान खत्म की कि किस तरह उनके खेतों में आग लगा दी गई और जिस कोठरी में हम बैठे थे उसी में घुसकर उन्हें निर्दयता से पीटा गया।

उसने बताया कि इस सबके बावजूद उनकी निडर लड़की ट्रेन में बैठकर बगल के जिले रायबरेली अकेले जाती थी ताकि वह जिला न्यायालय में अपने केस की सुनवाई में हाजिर रह सके। “हमसे कभी कुछ नहीं मांगा, कहती थी, आप फिक्र मत करो, ये मेरी लड़ाई है, मैं इसे खुद लड़ूँगी।“

यूपी में प्रियंका गांधी की सोशल ...

यह सुनते ही अचानक लड़की के पिता अपने मुँह पर हाथ रख रोने लगे। उनका थका हुआ शरीर अंदर की ओर झुक गया। अजय लल्लू तुरंत उनके सामने घुटनों पर बैठ गए और उनके हाथों को अपने हाथ में ले लिया। लल्लू की आँखों से आँसू झलक आए, “हम हैं न आपके साथ बाबा,” उन्होंने धीमे से कहा, “हौसला रखो”।

जब हम कोठरी से निकले तो अजय लल्लू हमारे साथ बाहर नहीं आए। बहुत सारे लोगों के विपरीत आकर्षण का केंद्र बनने में उनकी कोई रुचि नहीं थी। वह उस परिवार के साथ कोठरी में सांत्वना देते बैठे रहे।

जैसे ही हमारा काफिला लखनऊ में दाखिल होने को हुआ, लल्लू कहने लगे कि उन्हें विधानसभा के पास छोड़ दिया जाए, जहां कुछ कार्यकर्ता घटना का विरोध करने के लिए इकट्ठा थे। थोड़ी देर बाद हमें सूचना मिली कि वो गिरफ़्तार हो गए हैं। मैं जहाँ रुकी थी वहां देर शाम जब वह रिहा होकर लौटे, मैंने थोड़ी खिंचाई करते हुए पूछा ‘अब मन शांत हुआ अजय भैया? पुलिस से संपर्क-संवाद कर आए?’ हँसने हुए कहा “दीदी सड़क पर तो उतरना ही होगा!”

पीड़ितों के लिए संघर्ष करने की सर्वोच्च भावना से संचालित, अपने कई सहयोगियों की ड्राइंग रूम राजनीति से असहज और बेबाकी से अपनी बात रखने वाले उप्र कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू एक ऐसे व्यक्ति हैं जिनके लिए संघर्ष और पीड़ा स्वयं का भोगा हुआ यथार्थ है।

UP Congress chief gets bail, but taken into custody in another ...

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वो पूर्वी उप्र के कुशीनगर जिले के सेवरही गांव में पैदा हुए, जहां बौद्ध धर्म के अनगिनत चिन्ह एक इतिहास समेटे हुए हैं। अजय लल्लू कक्षा 6 के छात्र थे जब उन्होंने सड़क पर ठेला लगाया। दीवाली में पटाके बेचे, बुआई के मौसम में खाद और बाकी के दिनों में नमक।

कॉलेज के वक्त लल्लू का साबका छात्र राजनीति से पड़ा। वे छात्रसंघ अध्यक्ष चुने गए। सेवाभावना और उत्साह से भरे इस युवा को एक दिन मुख्यधारा की राजनीति में आना ही था। मगर निर्दलीय प्रत्यशी के रूप में अपना पहला चुनाव हारने के बाद आर्थिक मुश्किलों से जूझते हुए लल्लू के सामने दिल्ली जाकर कमाने के अलावा विकल्प न बचा।

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उन्नाव जाने के दिन, उन्होंने मुझे बताया कि दिल्ली में वह एक झुग्गी में अन्य मजदूरों के साथ रहे। कमाई थी रोज का 90 रुपया। मगर क्षेत्र के लोग उन्हें भूले नहीं और फोन कर वापस बुलाते रहे। 2 साल बाद लल्लू वापस लौटे और यूथ कांग्रेस के बूथ अध्यक्ष के रूप में अपनी नई पारी की शुरुआत की। आंदोलन, धरना, प्रदर्शन, गिरफ़्तारी जैसे रोज का काम बन गया।

लल्लू की लोकप्रियता और संघर्षशील अंदाज ने उन्हें 2012 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के टिकट पर दस हजार मतों से जीत दिलाई। ‘जनता का आदमी’ जो हमेशा सर्वसुलभ था- 2017 के चुनाव में वे फिर जीते, जबकि भाजपा की प्रचंड लहर थी।

प्रदेश अध्यक्ष बनते ही अजय कुमार लल्लू ने सभी जिलों का अथक दौरा किया और सोनभद्र कांड से लेकर, उन्नाव-शाहजहाँपुर बलात्कार कांड, बिजली विभाग DHFL घोटाला, CAA-NRC के विरुद्ध आंदोलन, किसान जन जागरण अभियान में सबसे आगे रहकर जनता की आवाज को उठाया और नेतृत्व दिया। उनके नेतृत्व में हमारा संगठन खुद को ईंट दर ईंट जोड़ एक जवाबदेह, करुणामयी और ऐसी निर्भीक ताकत बनने की प्रक्रिया में आगे बढ़ रहा है जो सूबे के आम लोगों की आवाज को बुलंद करता है।

Priyanka Gandhi's Farmers Initiative Gets Huge Response In Uttar ...

जैसे ही कोरोना महामारी फैलनी शुरू हुई और अनप्लांड लॉकडाउन से लाखों गरीब परिवार दरबदर होने लगे। अजय लल्लू ने लोगों को राहत पहुंचाने के उप्र कांग्रेस के महाअभियान की अगुवाई शुरू की। हर जिले में पार्टी कार्यकर्ताओं ने हेल्पलाइन शुरू की, खाने के पैकेट वितरित किये, साझी रसोइयां संचालित की। उप्र में हमने 90 लाख लोगों को अपने सामूहिक प्रयासों से मदद पहुंचाई और अन्य राज्यों में फंसे 10 लाख उप्रवासियों को मदद पहुंचाई।

सेवा और सहयोग की नियत से यूपी कांग्रेस ने अपने घरों को पैदल लौट रहे हजारों प्रवासियों की मदद करने के लिए अपनी तरफ से 1000 बसें चलाने का प्रस्ताव उप्र सरकार को दिया। सहयोग और सेवा की भावना से प्रेरित हमारे इस प्रस्ताव से न जाने क्यों उप्र सरकार पहले दिन से ही असहज हो गई। पहले 17 मई को तो उन्होंने हमारे प्रस्ताव को नकार दिया और यूपी की सीमा से 500 बसों को वापस भेज दिया। 18 मई को फिर उन्होंने हमारा प्रस्ताव स्वीकारते हुए बसों के दस्तावेज माँगे।

Its UP chief Ajay Lallu in jail over bus row, but Congress is ...

उन्होंने वाहनों की लिस्ट के साथ चालकों-परिचालकों के नाम, बसों की फिटनेस व प्रदूषण प्रमाणपत्र के साथ हमें सिर्फ 10 घंटे का समय देकर सारी बसों को लखनऊ लाने को कहा। यह फैसला बिलकुल बेतुका था क्योंकि मामला तो दिल्ली-यूपी बॉर्डर से प्रवासियों को ले जाने का था। खाली बसों को लखनऊ ले जाना हमें समय और संसाधनों की बर्बादी लगी। इस पर यूपी सरकार ने तर्क दिया कि 2 घंटे में अपनी बसों को नोयडा और गाजियाबाद की सीमा पर खड़ा करें।

इसी बीच सरकार ने भयंकर दुष्प्रचार शुरू करके हम पर फर्जी लिस्ट देने का आरोप लगा दिया। उन्होंने इस तथ्य को नकार दिया कि हमारी 900 बसें आगरा के ऊँचा नगला बॉर्डर और 200 बसें नोयडा के महामाया पुल पर 19 मई की दोपहर से खड़ी थीं। 19 मई की रात अजय लल्लू गिरफ्तार कर लिए गए।

एक हजार से अधिक बसें चलने की अनुमति का इँतजार करती खड़ी रहीं। दो दिनों बाद 1000 बसें खाली वापस लौट गईं।

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जब उन्हें लखनऊ पुलिस आगरा से लखनऊ जेल के लिए लेकर निकल रही थी तो मैंने किसी तरह से उनसे फोन पर बात की। मैं चिंतित थी- ‘क्या जरुरत थी इस महामारी के समय में गिरफ्तार होने की? अपनी सेहत का थोड़ा तो ख्याल रखिये’। इससे पहले कि मैं पूरी बात कह पाती, फोन पर उनकी उत्साह भरी हंसी फूट पड़ी- ‘अरे दीदी, ये दमनकारी सरकार है। इसके सामने मैं कभी भी सिर नहीं झुकाउंगा। आप मेरी फिक्र मत करो’।

ANI on Twitter: "Delhi: UP Congress President Ajay Kumar Lallu ...

अगली सुबह उनके ऊपर कई धाराओं में फर्जी मुकदमें लाद दिए गये। आरोप कि उन्होंने यूपी सरकार को वाहनों के नम्बर गलत दिए। इसी ‘अपराध’ में वे आज तक लखनऊ जेल में कैद हैं। यह बीसवीं बार है जब उन्हें एक डरी हुई अलोकतान्त्रिक सरकार ने हिरासत में लिया है। इतने अन्याय और दमन के बाद भी वे निडर, अडिग और अजय हैं। लोकतंत्र और न्यायालय पर उन्हें पूरा भरोसा है। त्याग और सेवा की उनकी भावना अजेय है।

अजय लल्लू उस भारत के सच्चे नागरिक हैं जिसके लिए महात्मा गांधी ने लड़ाई लड़ी थी। वे इंसाफ के हकदार हैं। उनके साथ न्याय होना चाहिए।

(लेखिका अखिल भारतीय कांग्रेस की महासचिव हैं)

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