जुबिली न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली। पारले ब्रांड का बिस्कुट ‘पारले-जी’ देश का सबसे पुराना ब्रांड है जिसकी लोकप्रियता का कोई जवाब नहीं। महज पांच रुपये में मिलने वाले बिस्कुट की बिक्री लॉकडाउन के दौरान सबसे ज्यादा हुई है।
यही वजह है कि लॉकडाउन में जहां कंपनियां औंधे मुंह गिरती रहीं वहीं पारले के शेयर पांच प्रतिशत तक बढ़े हैं। कंपनी के मुताबिक 80-90% ग्रोथ अकेले पारले की वजह से हुई।
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पारले के बिस्कुट बिकने की बड़ी वजह लॉकडाउन के कुछ ही समय बाद कंपनी का ऑपरेशन शुरू कर देना रहा। पारले और दूसरी कंपनियों ने कर्मचारियों को सुरक्षा मानकों के लिहाज से कई सुविधाएं देकर प्रोडक्शन शुरू कर दिया था।
न सिर्फ पारले बल्कि कई दूसरे ब्रांड ने भी प्रोडक्शन शुरू कर दिया। प्रोडक्शन, डिमांड और सप्लाई बराबर रहने की वजह से पारले समेत अन्य बिस्कुट कंपनियों ने लॉकडाउन में अच्छी ख़ासी बिक्री की है।
कंपनी ने क्या कहा?
हालांकि कंपनी ने बिस्कुट के सेल्स आंकड़े तो नहीं बताए हैं मगर कहा कि मार्च, अप्रैल और मई (लॉकडाउन) पिछले 8 दशकों में सबसे अच्छे महीने रहे हैं। पारले प्रोडक्ट्स के कैटेगरी हेड मयंक शाह ने बताया कि कंपनी का कुल मार्केट शेयर (लॉक डाउन के दौरान) करीब 5% बढ़ा है और इसमें से 90% तक की ग्रोथ पारले-जी की बिक्री से हुई है। पारले प्रोडक्ट्स कीमत में कम मगर सबसे ज्यादा बिकने वाले ब्रांड पारले-जी पर फोकस किया है। ग्राहकों का ये पसंदीदा ब्रांड रहा है।
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पहले संकट में थी कंपनी
हालांकि पिछले साल अगस्त में एक रिपोर्ट आई थी जिसमें पारले-जी की डिमांड घटने की बात कही गई थी, खासकर 5 रुपये वाले पैकेट की बिक्री घटने का जिक्र किया गया था। उस रिपोर्ट में कहा गया था कि पारले प्रोडक्ट्स की मांग में सुस्ती की वजह से 8,000-10,000 लोगों की छंटनी करनी पड़ सकती है। कंपनी ने सरकार ने मदद मांगी थी।
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