जुबिली न्यूज डेस्क
पिछले दो माह से दिल्ली सहित पूरे उत्तर भारत में 14 बार भूकंप के झटके महसूस किए गए। यह झटके रिक्टर स्केल पर बहुत हल्के स्तर के माने गए और इससे कोई नुकसान नहीं हुआ। लगातार भूकंप के झटकों से विशेषज्ञ भी चिंतित हैं। विशेषज्ञ इसे हल्के में नहीं ले रहे हैं।
देश के विशेषज्ञों और भूकंप पर शोध करने वालों का कहना है कि यह एक बड़े भूकंप की आहट है। इसलिए लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है।
पिछले करीब दो महीने में दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के लगातार झटके महसूस किए गए। 29 मई को रोहतक के पास आए भूकंप की तीव्रता 4.6 थी। इसके अलावा अन्य सभी 3.2 तीव्रता से कम के थे। जो भूकंप के लंबे इतिहास वाली दिल्ली के लिए चेतावनी की तरह हैं।
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विशेषज्ञ यहां किसी बड़े भूकंप की आशंका से इंकार नहीं कर रहे हैं। एक बेवसाइट से बातचीत में देहरादून के वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के निदेशक डॉ कलाचंद सैन ने भी ऐसी ही बात कही है।
उन्होंने कहा है कि इंडियन प्लेट्स के आंतरिक हिस्से में बसे दिल्ली-एनसीआर में भूकंप का लंबा इतिहास रहा है। हम वक्त, जगह और तीव्रता का साफ तौर पर अंदाजा नहीं लगा सकते, मगर यह मानते हैं कि यहां एनसीआर क्षेत्र में लगातार भूकंप के झटके आ रहे हैं, जो दिल्ली में एक बड़े भूकंप की वजह बन सकती है।
दिल्ली-एनसीआर में भूकंप का लंबा इतिहास
दिल्ली-एनसीआर में साल 1720 में यहां 6.5 तीव्रता का भूकंप आया था। वहीं 1956 में 6.7, 1960 में 6.0, 1966 में 5.8 तीव्रता के भूकंप दिल्ली ने झेला है। इसके बाद यहां इतनी तीव्रता के झटके नहीं आए। लेकिन छोटे भूकंप दिल्ली और आसपास के इलाकों में कई वर्षों से लगातार आ रहे हैं। भूकंप के लिहाज से ये पूरा क्षेत्र संवेदनशील है और सेस्मिक जोन 4 में आता है।
जानकारों के मुताबिक रिक्टर स्केल पर 3.0 से कम तीव्रता वाला भूकंप माइक्रो, 3 से 3.9 माइनर, 4 से 4.9 लाइट, 5 से 5.9 मॉडरेट, 6 से 6.9 स्ट्रॉन्ग, 7 से 7.9 मेजर और 8 से ज्यादा तीव्रता के भूकंप को ग्रेट भूकंप की श्रेणी में रखा गया है।
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वेबसाइट डाउन टू अर्थ से बातचीत में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के पूर्व सहायक महानिदेशक और भूकंप विशेषज्ञ डॉ. प्रभास पांडे कहा है, ”भूकंप को लेकर हम काई ठीक-ठीक भविष्यवाणी नहीं कर सकते, लेकिन इन झटाकों के पीछे तीन स्थितियां बन रही हैं। पहला यह कि इस तरह के छोटे झटके लगातार आएंगे और फिर कुछ दिनों में स्थिति सामान्य हो जाएगी।
दूसरी स्थिति यह बनती है कि लगातार छोटे झटके आएं और फिर एक बड़ा भूकंप आए। लेकिन इस में पांच से सात छोटे भूकंप आते हैं और फिर बड़ा भूकंप आ जाता है, जबकि दिल्ली में पिछले दो महीने में 14 छोटे भूंकप आ चुके हैं। पांडे के अनुसार तीसरी स्थिति यह बनती है कि दिल्ली-एनसीआर के भूकंप किसी दूर के इलाके में आने वाले बड़े भूकंप के बारे में बता रहे हों।
वहीं लगातार भूकंप के झटको को लेकर भारतीय मौसम विभाग में भूकंप जोखिम मूल्यांकन केंद्र ने भी अगाह किया है कि दिल्ली-एनसीआर में इमारतों के मानक जल्द से जल्द बदले जाएं। दिल्ली में भूकंप की संभावना हमेशा बनी रहती है। यही वजह है कि दिल्ली को सीस्मिक जोन-4 में रखा गया है।
वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के निदेशक डॉ कलाचंद सैन ने चेतावनी दी है कि दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में लगातार सीस्मिक ऐक्टिविटी हो रही है और इससे दिल्ली में एक बड़ा भूकंप आ सकता है। सैन के अलावा अन्य विशेषज्ञों का भी अनुमान है कि भूकंप आया तो करीब 400 किलोमीटर का इलाका होगा प्रभावित होगा। किसी भी बड़े भूकंप का 300 से 400 किलोमीटर की रेंज तक दिखता है। ध्यान रहे कि 2001 में भुज में आए भूकंप ने करीब 400 किमी दूर अहमदाबाद में भी बड़े पैमाने पर तबाई मचाई थी।