प्रमुख संवाददाता
लखनऊ. 75 दिनों बाद ताला खुला तो इमामबाड़ों की रौनक वापस लौटी. लोगों ने सरकार की एडवायजरी का ध्यान रखते हुए फिजीकल डिस्टेंसिंग के पालन के साथ जियारत की और मुल्क व दुनिया से कोरोना वायरस के खात्मे की दुआ की.
सरकार ने सभी धर्मस्थलों को 8 जून से खोलने का फैसला किया था. इस नाते जिला प्रशासन पिछले कई दिनों से धर्मस्थलों को सैनेटाइज़ कराने में लगा था. राजधानी के जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश ने आज एतिहासिक आसिफी इमामबाड़े का निरीक्षण किया और वहां की सफाई इत्यादि की व्यवस्था को देखा.
जिलाधिकारी ने हुसैनाबाद ट्रस्ट को निर्देश दिए कि इमामबाड़े के दूसरे गेट जहाँ पर्यटकों के लिए दुकानें बनी हैं वहां की दीवारों की सफाई और पुताई का इंतजाम करें. साथ ही इमामबाड़ा परिसर में बड़ी संख्या में तुलसी और गिलोय के पेड़ लगाने का निर्देश भी दिया.
रुस्तमनगर स्थित दरगाह हज़रत अब्बास अलैहिस्सलाम का दरवाज़ा भी आज खोल दिया गया. दरगाह में आने जायरीन की गेट पर थर्मल स्क्रीनिंग की गई. दरगाह रोजाना सुबह सात बजे से शाम छह बजे तक खुलेगी. आज पहला दिन था. पहले दिन सरकार की गाइडलाइन का बहुत सख्ती से पालन होता दिखाई दिया. दरगाह के मुतवल्ली रफीकुल हसन को भी बगैर थर्मल स्क्रीनिंग और सैनेटाइज़र के अन्दर नहीं जाने दिया गया.
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दरगाह हजरत अब्बास की जियारत करने गए ताहिर हाशमी ने बताया कि दरगाह हजरत अब्बास के अन्दर बिछे हुए सभी कारपेट हटा लिए गए हैं. लोगों को हार-फूल और अगरबत्ती भी अन्दर ले जाने की इजाजत नहीं है. उन्होंने बताया कि दरगाह में वह सभी हिफाजती इंतजाम किये गए हैं जिनसे कोरोना महामारी के संक्रमण से बचा जा सके.