न्यूज डेस्क
कोरोना संकट के बीच एक बार मध्य प्रदेश का सियासी पारा बढ़ गया है। मध्य प्रदेश में आने वाले कुछ महीनों में उपचुनाव होने वाले हैं। इसे लेकर कांग्रेस और बीजेपी ने अभी से ही तैयारी शुरू कर दी है। इसी बीच मध्य प्रदेश से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आई है।
दरअसल, कुछ महीने पहले कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी का दामन थाने वाले कद्दावर नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कथित तौर पर अपने ‘ट्विटर’ अकाउंट से BJP शब्द को हटा दिया है। इसकी जगह उन्होंने पब्लिक सर्वेंट लिखा है।
जिसके बाद राजनीतिक गलियारों में अफवाहों का बाजार गर्म हो गया है। लोग तरह-तरह के अटकलें लगा रहे हैं। गौरतलब है कि जब सिंधिया ने कांग्रेस को छोड़ा था तो उस समय भी उन्होंने ट्विटर अकाउंट से कांग्रेस शब्द को हटा दिया था। हालांकि, इसको लेकर बीजेपी की तरफ से अभी किसी भी तरह की प्रतिक्रिया नहीं आई है।
बता दें कि, सिंधिया ने कांग्रेस में 18 साल रहने के बाद इस साल होली के दिन BJP का दामन थामा। पार्टी में उनकी एंट्री के साथ उनके समर्थकों को शिवराज मंत्रिमंडल में शामिल करने के साथ सिंधिया को केंद्र में कैबिनेट मंत्री बनाए जाने की चर्चा थी, लेकिन अब उपचुनाव में उनके समर्थक पूर्व विधायकों को बीजेपी का टिकट मिलने में भी परेशानी की खबरें आ रही हैं।
मध्य प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनने के दो महीने से ज्याता समय बीत जाने के बाद भी अभी तक पूर्ण रूप से मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं किया गया है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि सिंधिया अपने समर्थक विधायकों का ज्यादा से ज्यादा मंत्री बनवाना चाहते हैं।
वहीं, शिवराज सिंह बैंलेस बनाकर चलना चाहते हैं, ताकि उनके विधायक भी नाराज न हों। यही वजह है कि बीजेपी पर प्रेशर बनाने के लिए सिंधिया ने ट्विटर अकाउंट से बीजपी शब्द को हटा दिया है।
बता दें कि सिंधिया के साथ जिन 22 विधायकों ने कांग्रेस छोड़ी थी, उनमें छह कमलनाथ मंत्रिमंडल में मंत्री थे। भाजपा की सरकार के गठन के बाद शिवराज सिंह चौहान के मंत्रिमंडल में छह मंत्री सिंधिया समर्थक रखने की कवायद के कारण भाजपा के आतंरिक समीकरण गड़बड़ा रहे हैं।
सबसे ज्यादा खींचतान बुंदेलखंड और ग्वालियर-चंबल में चल रही है। बुंदेलखंड क्षेत्र से भाजपा के दो बड़े चेहरे गोपाल भार्गव एवं भूपेन्द्र सिंह हैं। दोनों ही सागर जिले की विधानसभा सीटों से चुनकर आते हैं।
वहीं, सिंधिया समर्थक गोविंद राजपूत भी सागर जिले के ही हैं. राजपूत के मंत्री बनाए जाने के बाद सागर जिले से एक और विधायक को मंत्री बनाया जा सकता है। शिवराज सिंह चौहान अपने समर्थक भूपेन्द्र सिंह को मंत्रिमंडल में लेना चाहते हैं।
केन्द्रीय नेतृत्व गोपाल भार्गव की अनदेखी नहीं करना चाहता. कमलनाथ सरकार को गिराए जाने की रणनीति में भूपेन्द्र सिंह की भूमिका को भी कोई नकार नहीं पा रहा। मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता जेपी धनोपिया का मानना है कि भाजपा में स्थिति बगाबत की है, इस कारण मंत्रिमंडल के गठन को टाला जा रहा है।