- कहीं ड्रोन और डीजे से तो कहीं बर्तन बजाकर किसान भगा रहे हैं टिड्डियों के दल को
- भारत के सात राज्यों के कृषि क्षेत्र पर मंडरा रहा है टिड्डियों के झुंड का खतरा
न्यूज डेस्क
पिछले कई दिनों से भारत के सात राज्यों के किसान परेशान हैं। ये मौसम के मिजाज या पानी की कमी से नहीं बल्कि टिड्डियों के झुंड से परेशान हैं। किसान इन्हें भगाने के लिए तरह-तरह के अजीबोगरीब प्रयोग कर रहे हैं, जो इन दिनों चर्चा में है।
भारत के सात राज्यों की फसलों पर टिड्डियों के झुंड का खतरा मंडरा रहा है। टिड्डियों के दल ने राजस्थान, पंजाब और मध्य प्रदेश में सब्जियों और दलहन की फसल को संकट में डाल दिया है। इन तीनों राज्यों कोभारी नुकसान हुआ है। राजस्थान और मध्य प्रदेश में तो खरीफ की फसल पर भी संकट बना हुआ है। नुकसान के डर से किसान करना नहीं चाह रहे हैं।
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दिल्ली स्थित कृषि थिंक टैंक के निदेशक भागीरथ चौधरी ने टिड्डियों के हमले पर कहा, “हमने अब तक ऐसा नहीं देखा है जो पिछले छह महीनों में भारत में देखा। इतिहास में भी नहीं देखा।”
पिछले साल के आखिर में शुरू हुए टिड्डी दलों के हमले से किसानों ने गेहूं और तिलहन की फसलों को तो किसी तरह से बचा लिया था, लेकिन आगे ही फसल को लेकर किसान चिंतित हैं।
इस साल टिड्डियों के व्यापक फैलाव से किसान और आम लोग हैरान हैं। टिड्डियों के दलों को भगाने के लिए किसानों और आम लोगों ने अल्पविकसित प्रयासों का सहारा लिया है। कुछ लोगों ने अपने ट्रैक्टर पर कीटनाशक स्प्रेयर को लगाया है ताकि टिड्डियों पर कीटनाशक का छिड़काव किया जा सके।
कुछ लोग स्टील के बर्तन को पीट कर आवाज के सहारे उन्हें भगाने की कोशिश कर रहे हैं। कुछ किसान तो टिड्डियों को भगाने के लिए पटाखे और तेज आवाज में संगीत बजा रहे हैं ताकि फसलों पर टिड्डी दल हमला ना कर सके। उत्तर प्रदेश के एक किसान ने तो शादी में इस्तेमाल होने वाले डिस्क जॉकी का इस्तेमाल टिड्डियों को भगाने के लिए किया।
ऐसे समय में जब सरकार कोरोना महामारी से निबटने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है उसी दौरान टिड्डी के नए दलों ने धावा बोल दिया है।
उल्लेखनीय है कि वर्तमान में टिड्डी दलों का हमला बड़ा है और इस हमले को अभूतपूर्व बताया जा रहा है।
कोरोना महामारी और तालाबंदी से देश की अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान हुआ है। ऐसे में यदि कृषि क्षेत्र प्रभावित हुआ तो यह नुकसान और बढ़ेगा।
25 मार्च को देशव्यापी तालाबंदी लागू किया गया। इस वजह से लाखों लोगों की आजीविक चली गई और वे भुखमरी के कगार पर पहुंच गए है। किसान भी इससे प्रभावित हुए। मजदूरों की कमी से वह अपनी फसल काटने में असक्षम रहे।
इस वक्त भारत टिड्डी दल के सबसे खराब हमलों से जूझ रहा है। ऐसा हमला दशकों में नहीं हुआ। देश के पश्चिमी राज्य से लेकर उत्तर और मध्य राज्य तक टिड्डी दल के आतंक से खौफ में हैं। गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में टिड्डी दल के द्वारा किए गए नुकसान को देखा जा रहा है। देश के पूर्वी और दक्षिण राज्य भी अलर्ट पर हैं।
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देश में इससे पहले 1993 में टिड्डी दल ने खतरनाक हमला किया था। उस वक्त भारत-पाकिस्तान सीमा के पास भारी बारिश के कारण टिड्डियों के लिए प्रजनन की अनुकूल स्थिति बन गई थी।
हालांकि पिछले कई सालों तक इन नन्हें शैतानों ने राजस्थान के सीमावर्ती इलाकों में ही घुसपैठ की थी, लेकिन कृषि विशेषज्ञ का कहना है कि यह दुर्लभ है कि टिड्डी दल इस बार गैर रेगिस्तानी क्षेत्र के भीतर तक चले गए हैं।
टिड्डी एक दिन में 150 किलोमीटर तक उडऩे की क्षमता रखती है। ये एक दिन में अपने वजन के बराबर अनाज खा सकती है। एक वर्ग किलोमीटर में 4 से 8 करोड़ तक वयस्क टिड्डियां हो सकती हैं जो एक दिन में इतना भोजन चट कर सकती हैं जितना 35,000 लोग खाते हैं।
वहीं जानकारों का कहना है कि यह एक प्राकृतिक आपदा की तरह हैं। पिछले हफ्ते तो दिल्ली और आस पास के क्षेत्र में टिड्डी दलों के संभावित हमले को लेकर अलर्ट जारी किया गया था।
टिड्डी दलों के हमले के कारण पूर्वी अफ्रीकी देश जिनमें सोमालिया, इथियोपिया, केन्या, इरीट्रिया और जिबूती में खाद्य संकट पैदा हो गया है। इस बार पाकिस्तान में भी दो दशकों में टिड्डी दल का सबसे खतरनाक हमला हुआ था जिसके बाद सरकार को राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा करनी पड़ी थी।