ओम दत्त
उत्तर प्रदेश सरकार ने सरकारी कार्यालयों में लाक डाउन-5 मे कार्यालयों में 100 प्रतिशत कर्मचारियों और अधिकारियों की उपस्थिति सुनिश्चित करने का आदेश दिया है। इसके लिए बाकायदा 31 मई को आदेश जारी हुआ कि कार्यालय के सभी स्टाफ को तीन पारियों में बुलाया जाए।
इस प्रक्रिया में प्रथम पाली सुबह 9 से शाम 5 बजे तक, द्वितीय पाली सुबह 10 से 6 बजे और तृतीय पाली सुबह 11 से शाम 7बजे तक होगी। कहा गया कि इससे कोविड-19 के प्रसार को रोकने और सोशल डिस्टेंसिंग बनाने और भीड़ भाड़ नहीं होगी।
निर्देश यह भी दिए गए कि कार्यालयों में सैनिटाइजर की व्यवस्था होगी, कार्मिकों को फेस मास्क पहनना अनिवार्य होगा और आरोग्य सेतु ऐप भी डाउनलोड करना होगा । इस व्यवस्था का एक फायदा ये है कि कार्यालयों में एक समय पर एक साथ आने और जाने वाले कार्मिकों की संख्या कम होगी जिससे भीड़ नहीं होगी।
लेकिन कुछ सवाल हैं जो अनुत्तरित हैं।
पहला सवाल ये उठ रहा है कि जब कार्यालय खुलने का समय 10 से सायं 5 और शनिवार अवकाश वाले दिन कार्यालय में 9:30 से 6:00 बजे तक निर्धारित है और कार्यालय के खुलने की अवधि के लिए सरकार ने कोई भी गाइडलाइन जारी नहीं किया है तो कार्यालयों में पाली कैसे लागू होगी दूसरी बात यह है कि सरकारी कार्यालयों में अधिकारी के ड्यूटी की अवधि कितनी होगी निर्धारित नहीं है ।
दूसरा सवाल ये है कि अधिकांश कार्यालयों में एक टेबल पर कई कार्मिक बैठते हैं, उनकी कुर्सियां भी सटी होती हैं तो फिर 11 से 5बजे तक सोशल डिस्टेंसिंग सुनिश्चित की जाएगी क्योंकि इसके लिए किसी विभाग में सिटिंग अरेंजमेंट की कोई व्यवस्था नहीं की गई है।
तीसरा सवाल ये है कि अधिकांश कार्यालयों में अभी भी फाइलों से कार्य होता है,फिर कुछ काम कम्प्यूटर पर भी हैं जिससे संक्रमण के प्रसार का भय है। लेकिन इन कर्मचारियों के लिए ग्लब्स उपलब्ध कराने की कोई व्यवस्था नहीं है और न ही ग्लब्स पहनने का कोई निर्देश ही दिया गया है।
चौथा सवाल ये कि जिन कार्यालयों से जनता का सीधे आना जाना होता है उनके लिये कोई निर्देश नहीं दिए गए हैं।
सबसे बड़ा सवाल ये है कि आने और जाने के समय तो अलग कर दिए गए मगर 11 से 5 बजे तक की अवधि में जब एक साथ सौ प्रतिशत कर्मचारी साथ रहेंगे तो किस तरह की नीति अपनायी जायेगी जिससे सोशल डिस्टेंसिंग बनी रहे, इसके लिये कोई निर्देश नहीं है।
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वास्तविकता तो ये है कि विभागों के अधिकारी कोरोना के संक्रमण को लेकर गंभीर नजर नहीं आ रहे हैं। इसका सबसे प्रमाण है कि शासन से जिस तरह का आदेश प्राप्त हुआ और बिना अपना विवेक इस्तेमाल किये ही ठीक वैसे ही कवरिंग लगाकर जारी कर दिया गया। पालियों में कार्मिकों के आने के शासनादेश जारी करने वाले अधिकारियों ने भी इस सम्बन्ध में अलग से विभागाध्यक्षों के लिये भी निर्देश भी जारी नहीं किया है।
जुबली पोस्ट को सूत्रों से जानकारी मिली है कि लगभग सभी विभागों ने इसी शासनादेश को जस का तस लागू करने का निर्देश दिया है।